परिवार नियोजन के बाद सेक्स से कोई प्रौब्लम तो नहीं है?

सवाल- 

मैं 52 वर्षीय महिला हूं. पति को गुजरे 5 साल हो गए हैं. पिछले कुछ महीनों से एक 27 वर्षीय अविवाहित युवक से मेरे जिस्मानी संबंध हैं. वह मेरा बहुत खयाल रखता है और हम दोनों आपसी रजामंदी से सैक्स संबंध बनाते हैं. मैं उस के साथ सहज महसूस करती हूं और वह न सिर्फ सैक्स में, बल्कि दुखतकलीफ में भी सदैव साथ निभाता है. वह काफी जोशीला भी है मगर सैक्स के समय उसे कंडोम लगाना पसंद नहीं है. हालांकि मैं परिवार नियोजन करा चुकी हूं. इस में कोई खतरा तो नहीं है? कृपया सलाह दें?

जवाब-

आप के सैक्स पार्टनर का सैक्स के दौरान कंडोम का प्रयोग नहीं करने से परिवार नियोजन से कोई संबंध नहीं है. सैक्स संबंध के दौरान गर्भ ठहरेगा इस की भी गुंजाइश न के बराबर है. पर कंडोम न सिर्फ गर्भनिरोध में बल्कि यौनजनित संक्रमण से भी बचाव करने का अच्छा साधन माना जाता है.

सैक्स पार्टनर से कहें कि वह सैक्स के दौरान कंडोम का प्रयोग करे. इस से आप दोनों ही

यौन संक्रमण से बचे रहेंगे और तनावमुक्त हो कर सैक्स का आनंद उठा पाएंगे.

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श्वेता खाना खाकर सोने चली गयी थी. उसका पति प्रदीप अभी घर नहीं लौटा था. पहले श्वेता रात के खाने पर पति का देर तक इंतजार करती थी. कुछ दिनों के बाद प्रदीप ने कहा कि अगर वह 10 बजे तक घर न आये तो खाने पर उसका इंतजार न करे. इसके बाद देर होने पर श्वेता खाना खाकर लेट जाती थी. इसके बाद भी उसको नंीद नहीं आ रही थी. वह अपने संबंधें के बारे में सोच रही थी. उसको लग रहा था जैसे वह पति की जबरदस्ती का शिकार हो रही है. प्रदीप ज्यादातर देर रात से घर लौटता था. इसके बाद कभी सेा जाता था तो कभी श्वेता को शारीरिक संबंध् बनाने के लिये मजबूर करने लगता था. नींद के आगोश में पहुच चुकी श्वेता को इस तरह संबंध बनाना अच्छा नहीं लगता था. कभी तो श्वेता को लगता जैसे पति प्यार न करके बलात्कार कर रहा हो.

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जानें शादी के बाद क्यों बदलती है जिंदगी

शादी जिंदगी का एक अहम रिश्ता होता है. इसके जरिए आपको ढ़ेर सारा प्यार और नए रिश्ते मिलते हैं. शादी और भी कई चीजों से जुड़ी होती है जो आपके जीवन में कई तरह के बदलाव लाती है. ऐसी बहुत सी चीजे हैं जिन्हें आप शादी के बिना अनुभव नहीं कर सकती हैं. जब आप शादी के बंधन में बंध रही होती हैं तो आप एक नई जीवनशैली के साथ भी जुड़ रही होती हैं. शादी के बाद शुरुआत में आपकी जीवनशैली की बहुत सी चीजें बदल सकती है. आइए आज हम ऐसी ही चीजों के बारे में बात करते हैं.

1. आपको कुछ आदतों को छोड़ना पड़ता है

शादी से पहले हो सकता है काफी देर रात तक दोस्तों के साथ मस्ती करना, उनसे बात करना आपकी दिनचर्या का एक अहम हिस्सा हो, लेकिन शादी के बाद हो सकता है आपका पार्टनर आपको इन सभी चीजों की अनुमति ना दे, ऐसे में आपको इन चीजों की कुर्बानी देनी पड़ सकती है.

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2. आपको एक नई जगह पर रहना होता है

शादी के बाद आपको इस बदलाव का सामना करना पड़ता है. आप अब तक जिस जगह पर रह रही थीं उसे छोड़कर किसी नई जगह पर शिफ्ट होना आपके लिए उत्साहित करने वाला भी हो सकता है तो बहुत से लोग इस बदलाव से परेशान भी हो सकते हैं. जैसे महिलाओं को अपने परिवार को छोड़कर अपना कमरा छोड़कर आपको एक नए घर में शिफ्ट होना पड़ता है.

3. आपको हर रोज एक इंसान की बातें सुननी होंगी

औफिस से आने के बाद आप थक जाती हैं और आराम करना चाहती हैं लेकिन अगर आप शादीशुदा हैं तो आपको अपने साथी को समय देना भी जरुरी है. जिस तरह आप शादी से पहले औफिस से आकर अपने कमरे में जाकर आराम करती थीं उस तरह की जीवनशैली शादी के बाद बदल जाती है. अब आपको अपने साथी की दिन भर की बातें सुनने के लिए समय देना भी जरुरी हो जाता है.

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4. आपको अपनी नौकरी भी छोड़नी पड़ सकता है

मान लीजिए कि आपके साथी को किसी दूसरे शहर में नौकरी मिली है और उनकी आय आपके परिवार की सबसे बड़ी वित्तीय शक्ति है तो आप क्या करेंगी. इस मोड़ पर आपको अपना नौकरी छोड़नी पड़ सकती है. इस तरह के बदलाव भी शादी के बाद आप अनुभव कर सकती हैं.

2 महीने बाद मेरी शादी है, लेकिन मुझे ऐंडोमिट्रिओसिस है, मैं क्या करुं?

सवाल-

मुझे ऐंडोमिट्रिओसिस है. 2 महीने बाद मेरी शादी है. क्या इस वजह से मुझे गर्भधारण करने में समस्या आएगी?

जवाब-

ऐंडोमिट्रिओसिस गर्भाशय से जुड़ी एक समस्या है. यह समस्या महिलाओं की प्रजनन क्षमता को सर्वाधिक प्रभावित करती है, क्योंकि गर्भधारण करने और बच्चे को जन्म देने में गर्भाशय की सब से महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है. ऐंडोमिट्रिओसिस के 4 ग्रेड होते हैं, मिनमल, माइल्ड, मौडरेट और सीवियर. ज्यादातर

कोई परेशानी होती है, पहले वाली 2 स्थितियों में गर्भधारण करने में कोई परेशानी नहीं होती है, लेकिन अगर समस्या 3 और 4 ग्रेड तक पहुंच गई है तो गर्भधारण मुश्किल हो सकता है. शादी के बाद 6 महीनों तक प्रयास करें. अगर आप गर्भधारण नहीं कर पाएं तो किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ को दिखाएं. उपचार कराने में देरी न करें.

-डा. वैशाली शर्मा

सीनियर आईवीएफ ऐक्सपर्ट, मिलन फर्टिलिटी सैंटर, नई दिल्ली

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खानपान, शिफ्ट वाली नौकरी और रहन-सहन में आए बदलाव के कारण जहां एक तरफ लाइफस्टाइल पहले से अधिक बढ़ गया है, वहीं दूसरी तरफ टैकनोलौजी से भी कई हेल्थ प्रौब्लम बढ़ गई हैं. अब बढ़ती उम्र के साथ होने वाले रोग युवावस्था में ही होने लगे हैं. इनमें एक कौमन प्रौब्लम है युवाओं में बढ़ती इन्फर्टिलिटी. दरअसल, युवाओं में इन्फर्टिलिटी की समस्या आधुनिक जीवनशैली में की जाने वाली कुछ आम गलतियों की वजह से बढ़ रही है.

1. खानपान की गलत आदतें

इन्फर्टिलिटी के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार होती है खानपान की गलत आदतें. समय पर खाना नही, जंक व फास्ट फूड खाने के क्रेज का परिणाम है युवावस्था में इन्फर्टिलिटी की प्रौब्लम. फास्ट फूड और जंक फूड खाने में मौजूद पेस्टीसाइड से शरीर में हारमोन संतुलन बिगड़ जाता है, जिसके कारण इन्फर्टिलिटी हो सकती है. इसलिए अपने खानपान में बदलाव का पौष्टिक आहार का सेवन करें. हरी सब्जियां, ड्राई फ्रूट्स, बींस, दालें आदि ज्यादा से ज्यादा खाएं.

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न्यूली मैरिड कपल और सेक्स मिथक

प्यार, रोमांस फिर शादी ये चलन सदियों से चला आ रहा है. दो युगलों के बीच प्यार एक पराकाष्ठा को पार तब करता है जब दोनों का मिलन आत्मा से होता है. प्यार का समागम आत्मा और शरीर दोनों से ही होता है. जब नवविवाहिता आती है तो धारणा यह बनती है कि अब दोनों का शारीरिक मिलन तय है, पर यह गलत है. हालांकि, शारीरिक मिलन यानि कि सेक्स जीवन का एक आधार है एक नई पीढ़ी को तैयार करने का. पर नवविवाहित जोड़ों को सेक्स से संबंधी कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ता है. या यूं कहें कि कुछ मतभेद जो उनके दिलों में कई सवाल बनकर खड़े हो जाते हैं. सेक्स से जुड़े वो कौन-से मतभेद हैं जो उनको एक-दूसरे के करीब नहीं आने देते –

  • सेक्स से जुड़ा संदेह
  • गर्भ निरोधकों का प्रयोग
  • पराकाष्ठा का अभाव
  • कुछ मिथक
  • संचार का अभाव

सेक्स से जुड़ा संदेह

सेक्स से जुड़ा सबसे बड़ा मतभेद तो संदेह होता है. जिनकी नई शादी हुई होती है उनके लिए सब कुछ नया-नया होता है. वह अपने आपको असहज महसूस करते हैं. उन्हें संदेह रहता है कि क्या वह अपने जीवनसाथी को संतुष्ट कर सकेंगे. शादी के बाद कुछ व्यक्ति अपने आपको नियंत्रण कर पाने में सक्षम नहीं होते हैं. इसीलिए उन्हें डाउट रहता है. शादी के बाद वह दिन में कई बार सेक्स करना पसंद करते हैं. दोनों ही युगल यह सोचकर सुख का आनंद नहीं ले पाते कि कहीं उनका साथी उनके बारे में क्या सोच रहा होगा. वो असहज फील करते हैं. हालांकि एक समय बाद  वह यह सोचकर सहज हो जाते हैं कि दोनों के लिए सेक्स वास्तव में कितना सामान्य है. एक दूसरे के प्रति वह जरूरतमंद महसूस कर सकता है.

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गर्भ निरोधकों का प्रयोग

गर्भ निरोधक का यूज करने से व्यक्ति सुरक्षित महसूस करता है. लेकिन मतभेद के चलते कुछ लोग इसका प्रयोग नहीं कर पाते हैं. जैसे ही बात इंटीमेट होने की आती है तो पुरूषों में अनुभवहीनता दिखाई देने लगती है. यही कारण है कि लाख कंडोम या निरोधक के विज्ञापन होने का बाद भी उन्हें इसका यूज नहीं पता होता है. ऐसे पुरुष उस क्षण असहज हो जाते हैं, जब उन्हें अपना इरेक्शन खोना पड़ता है. उनकी पत्नी उस समय यह नहीं समझ पाती कि इस स्थिति का जवाब उन्हें कैसे देना है. इसलिए वह अपने आपको बहुत अपमानजनक अहसास करते हैं.

पराकाष्ठा का अभाव

सेक्स करते समय जुनून का अभाव आपको गिल्ट फील कराती है. पुरूषों को जब समय से पहले इजेक्यूलेशन होता है या महिला को जोश से पहले ही फॉल हो जाता है तो इसके अभाव से सेक्स लाइफ में तनाव आने लगती है. सेक्स में जब तक बहुत अधिक प्लैज़र न मिले तो तब तक आप उसका आनंद नहीं ले सकते हैं. मिलन आप दोनों का मन और तन दोनों से ही हो और जब हो तब मन एकाग्रचित हो. ऐसी स्थिति में आप उसका सुख ले पाएंगे, और आपका सेक्स से जुड़ा मतभेद दूर हो जाएगा.

कुछ मिथक

सेक्स से जुड़ा मिथ ये भी है कि अगर फर्स्ट नाइट में महिला को ब्लड आ जाए तो यह उसकी वर्जिनिटी को दर्शाता है. अगर ऐसी स्थिति में वह अंतरंग नहीं होती है तो पुरूष उसे अस्वीकार कर देगा. जिसकी वजह से शादी में समस्याएं आती हैं. इसके अतिरिक्त यदि कोई पुरुष महिला को संतुष्ट करने में सक्षम नहीं है, तो वह भी उन पर अत्यधिक दबाव बनाते हुए हंसी का पात्र बन जाता है. ऐसा सिर्फ मिथक है.

संचार का अभाव

इंटीमेट होना ही काफी नहीं है अगर दोनों के बीच किसी तरह का कोई संवाद न हो तो. संवाद होने से परस्परता बनी रहती है. और सेक्स का उतना ही बुखार चढ़ता है. ऐसा करना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे यौन सुख और सेक्स की संभावना बढ़ जाती है. लेकिन वह इसमें असफल रहते हैं. जोड़ों को यह जानना बहुत जरूरी है कि यह हमेशा एक समान नहीं रहता है. इसलिए संचार करते रहें.

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हालांकि, अब इन मतभेदों पर जल्दी कोई विश्वास नहीं करता है, क्योंकि इंटरनेट की दुनिया ने आज के युवा पीढ़ी को सजग ही नहीं बल्कि जागरुक भी बनाया है. फिर भी कुछ अपवाद अगर रह जाते हैं तो उन्हें उसी तरह से समझाया जा सकता है जिस तरह से वो समझना चाहें.

अपने हसबैंड से ये 5 बातें छिपाकर रखती है वाइफ

पति-पत्नी का रिश्ता विश्वास और भरोसे के लिए जाना जाता है. जिस रिश्ते में ये दोनों चीजें हैं, उस रिश्ते की मजबूती को आसानी से देखा जा सकता है. लेकिन पति-पत्नी के कुछ ऐसे सीक्रेट्स भी होते हैं जो एक-दूसरे से छिपाकर रखे जाते हैं.

जी हां, खासकर बीवियां कुछ ऐसी बातें अपने पति से छिपाकर रखती हैं, जिसमें कई बार उनका छिपा रहना ही अच्छा होता है. आज हम आपको कुछ ऐसी बातों के बारे में बताने जा रहे हैं जो बीवियां अपने पति से छिपाकर रखती हैं.

1. घर-परिवार की जिम्मेदारियों और रिश्तों में चल रही उलझनों के चलते महिलाएं थेरेपिस्ट से सेशन लेने लगती हैं, जिस बात को वह अपने पति से छिपाकर रखती है क्योंकि उनका मानना है कि पति उनकी इस परेशानी को नहीं समझेगा, इसलिए उनसे इस बात को छिपाकर रखना ही बेहतर हैं.

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2. पत्नियां अक्सर अपनी हैल्थ प्रौबल्म को पार्टनर से छिपाने की कोशिश करती है, ताकि उन्हें कोई परेशानी न हो क्योंकि वह अपनी प्रौबल्म बताकर पति को परेशान नहीं करना चाहती इसलिए उन्हें बताने से हिचकिचाती हैं.

3. घर के खर्चे करने के बाद महिलाएं जो सेविंग करती हैं, उसके लिए अलग से एक बैंक अकाउंट खुलवाती हैं, जिसके बारे में वह अपने पति से छिपाकर रखती हैं. पत्नियों को अलग से सेविंग करना का मतलब है कि मुसीबत के समय अगर कोई आर्थिक तंगी आ जाए तो वह पैसे काम आ जाएगे.

4. संबंध बनाते समय अक्सर महिलाएं पार्टनर को अपनी पसंद और नापसंद बताते समय हिचकिचाती है, जो बात वह अक्सर अपने पार्टनर से छिपाकर रखती हैं.

5. हर कोई महिला अपने रिश्ते में चल रही दिक्कतों को अक्सर अपनी सहेली के साथ शेयर करती है. यहां तक अपने बैडरूम की बाते भी सहेली के साथ शेयर कर लेती है, लेकिन यह बात वह अपने पति से छिपाकर रखती है, ताकि उसे गुस्सा न लग जाए.

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सासससुर पुराने खयालात वाले हैं, जिसका असर हमारी शादीशुदा जिंदगी पर पड़ रहा है?

सवाल-

मैं 26 साल की हूं. विवाह को डेढ़ साल हुए हैं. परिवार संयुक्त और बड़ा है. यों तो सभी एकदूसरे का खयाल रखते हैं पर बड़ी समस्या वैवाहिक जीवन जीने को ले कर है. सासससुर पुराने खयालात वाले हैं, जिस वजह से घर में इतना परदा है कि 9-10 दिन में पति से सिर्फ हांहूं में भी बात हो जाए तो काफी है. रात को भी हम खुल कर सैक्स का आनंद नहीं उठा पाते. कभीकभी मन बहुत बेचैन हो जाता है. दूसरी जगह घर भी नहीं ले सकते. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

सैक्स संबंध हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है. स्वस्थ व जोशीली सैक्स लाइफ हमारे संबंधों को मजबूत बनाती है एवं जीवन को खुशियों से भरती है. संयुक्त परिवारों में जानबूझ कर औरतों को दबाने के लिए उन्हें पति से दूर रखा जाता है और वे पति के साथ खुल कर सैक्स ऐंजौय नहीं कर पातीं. इस के लिए आप को पति से खुल कर बात करनी होगी. सिर्फ आप ही नहीं आप के पति भी आप की चाह रखते होंगे.

बेहतर होगा कि इस के लिए कभी किसी रिश्तेदार के या कभी मायके जाने के बहाने पति के साथ बाहर घूमने जाएं. इस तरह के संबंधों को तो झेलना ही होता है. कोई उपाय नहीं मिलता.

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सैक्स केवल शारीरिक गतिविधि ही नहीं है वरन इस में भावनात्मक लगाव भी प्रमुख होता है. आर्थिक तनाव के कारण इमोशन के स्तर पर खासा प्रभाव पड़ता है. चिंता में डूबा मन शरीर का पूरी तरह साथ नहीं दे पाता है, जिस वजह से सैक्स लाइफ प्रभावित होती है. इस का प्रभाव केवल पतिपत्नी पर ही नहीं वरन घरपरिवार बच्चे और समाज पर भी पड़ता है. खराब सैक्स लाइफ का प्रभाव व्यक्ति की कार्यक्षमता पर भी पड़ता है.

वैसे तो हर तरह का तनाव सैक्स लाइफ पर असर डालती है. आर्थिक तनाव होने पर केवल खुद पर ही असर नहीं पड़ता साथी या पार्टनर पर भी असर पड़ता है. इस की वजह यह है कि पैसों की कमी के कारण डाक्टर और दवा दोनों मुश्किल हो जाते हैं.

पार्टनर को खुश रखने के लिए उपहार या घुमाना भी कठिन हो जाता है. जो लोग सालोंसाल से साथ होते हैं वे भी कमियां निकालने लगते हैं. कोविड 19 के समय आर्थिक तनाव का सब से बड़ा कारण मकान का किराया देना, नौकरी का चले जाना, पूरा वेतन न मिलना, समय पर वेतन न मिलना प्रमुख है.

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सहमति से बना संबंध जब रेप में बदल जाए

योंतो आए दिन रेप के मामले लगातार सामने आते रहते हैं, लेकिन कई बार ऐसे मामले भी सामने आते हैं, जिन में प्रेमिका ने अपने प्रेमी पर रेप का इलजाम लगाया. ऐसे मामले सच में चौंका देने वाले होते हैं.

प्रयागराज से दिल्ली आए विशाल की कहानी भी कुछ ऐसी ही चौंका देने वाली है. विशाल दिल्ली में अपनी गर्लफ्रैंड कंचन के साथ एक ही फ्लैट में रहता था. दोनों साथ में रह कर सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे थे. साथ कोचिंग जानाआना था. दोनों ज्यादातर वक्त एकदूसरे के साथ ही बिताते थे.

विशाल अपने कैरियर को ले कर बहुत सीरियस था, जबकि कंचन अपने कैरियर से ज्यादा विशाल को ले कर सीरियस थी या यों कह लीजिए कंचन विशाल के साथ अपना भविष्य देखने लगी थी.

यूपी के बलिया की रहने वाली कंचन का स्वभाव थोड़ा जिद्दी और गुस्से वाला था. दिल्ली आने के बाद उस में काफी बदलाव आया. विशाल और कंचन की मुलाकात दिल्ली में हुई. देखते ही देखते दोनों एकदूसरे के करीब आने लगे.

ये नजदीकियां विशाल के लिए खतरनाक साबित होंगी इस का उसे अंदाजा भी नहीं था. एक ही फ्लैट में रहने के बावजूद विशाल ने कभी कंचन के साथ सैक्स संबंध बनाने की कोशिश नहीं की. दोनों एकदूसरे के नजदीक तो आए, लेकिन एक दायरे में रह कर.

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विशाल अपने परिवार का अकेला बेटा था और उस के पेरैंट्स चाहते थे कि वह जल्दी शादी कर ले. इधर विशाल की परीक्षा शुरू होने वाली थी और दूसरी तरफ शादी का दबाव. विशाल ने अपने परिवार वालों से गुस्से में बोल दिया कि अगर उस की परीक्षा क्लीयर हो गई तो वह जल्द ही शादी कर लेगा.

2 महीने बाद विशाल का रिजल्ट आया, जिसे देख कंचन के पैरों तले की जमीन खिसक गई. विशाल ने परीक्षा क्लीयर कर ली थी.

अब कंचन को डर था कि विशाल उस से दूर हो जाएगा. विशाल बहुत खुश नजर आ रहा था. आखिर उस की मेहनत रंग जो लाई थी. उस के घर वाले भी बहुत खुश थे.

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उधर कंचन के व्यवहार में बदलाव दिखने लगा था. हर बात पर गुस्सा, चिड़चिड़ापन. विशाल ये सब देख रहा था, लेकिन उस ने कंचन से कुछ कहा नहीं. रिश्ते की शुरुआत में ही विशाल ने कंचन को बोल दिया था कि वह उस से शादी नहीं कर सकता और इस बात पर कंचन भी विशाल से सहमत थी. लेकिन अब वह उस पर अपना हक जमाने लगी थी. विशाल कंचन की इन हरकतों को नजरअंदाज कर देता था.

कुछ समय बाद विशाल ने फैसला किया कि अब उसे अलग हो जाना चाहिए. अत: वह कुछ दिनों के लिए प्रयागराज चला गया. प्रयागराज जाते ही कुछ दिनों बाद उस की सगाई हो गई. यह बात जब विशाल ने कंचन को बताई तो वह उस पर चिल्लाने लगी. धमकियां देने लगी कि अगर विशाल ने उस से शादी नहीं की तो वह मर जाएगी, उसे बरबाद कर देगी

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विशाल ने कंचन को बहुत समझाने की कोशिश की पर वह तो अपनी जिद्द पर अड़ी थी. सगाई के बाद जब विशाल दिल्ली अपने फ्लैट सामान लेने आया तो उस दिन कंचन फ्लैट में ही थी. विशाल के आने पर कंचन फूटफूट कर रोने लगी और उस से शादी के लिए बोलने लगी. विशाल उसे समझा रहा था. तभी कंचन उस के घर वालों को भी उलटासीधा सुनाने लगी. विशाल से यह सहन न हुआ तो वह उसी वक्त वहां से गुस्से में निकल गया.

पूरी रात विशाल परेशान था. उस रात विशाल अपने एक दोस्त के घर रुका. उसे परेशान देख दोस्त ने उस से परेशानी की वजह पूछी. लेकिन विशाल चुप रहा. अगली सुबह जब विशाल उठा तो सबकुछ बदल चुका था. पुलिस उस के सामने थी. उस के दोस्त के घर वाले उसे गुस्से में देख रहे थे. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि ये सब क्या हो रहा है. दरअसल, मामला यह था कि कंचन ने विशाल पर जबरदस्ती यानी रेप का आरोप लगाया था. यह बात सुनते ही विशाल हक्काबक्का रह गया. उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि कंचन ऐसा इलजाम भी उस पर लगा सकती है. कंचन के द्वारा विशाल पर झूठा रेप का इलजाम लगाने से विशाल की पूरी दुनिया तहसनहस हो गई.

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आखिर क्यों होता है ऐसा

दरअसल, एकदूसरे के टच में रहते हुए यानी लंबे समय तक साथ रहते हुए पार्टनर के साथ इमोशनल जुड़ाव हो जाता है. यह जुड़ाव इतना गहरा होता है कि किसी एक का जुदा होना दूसरे को बरदाश्त नहीं होता. ऐसे में जब किसी एक की तरफ से नकारात्मक प्रतिक्रिया होती है तो दूसरा कुछ भी करने पर उतारू हो जाता है.

इस बारे में मनोचिकित्सक अमित कुमार का कहना है, ‘‘जब हम किसी के साथ ज्यादा वक्त बिताते हैं फिर चाहे वह कोई पशु हो या इंसान हम धीरेधीरे उस से क्लोज हो जाते हैं और फिर इस बात का एहसास हमें तब होता है जब वह दूर चला जाता है.’’

अगर हम रिलेशनशिप की बात करें तो एक ही रूम में एक व्यक्ति के साथ रहना, सारा वक्त साथ बिताना, छोटी से छोटी बातें भी शेयर करना ये सब हमारी जिंदगी का हिस्सा बन जाता है. दरअसल, हमें इस की आदत हो जाती है और जब ऐसा न हो तो गुस्सा आना स्वाभाविक है.

मगर जरूरत से ज्यादा गुस्सा आना, हर बात पर लड़ना यह तभी होता है जब सामने वाले की जिंदगी में वैसा नहीं होता जैसा वह चाहता है. आप देखेंगे ऐसे व्यक्ति तुरंत गुस्सा करने लगते हैं तो कभी शांत रहते हैं. इन का यह व्यवहार इन्हें डिप्रैशन की ओर ले जाता है. डिप्रैशन से पीडि़त व्यक्ति हर वक्त खुद में खोया नजर आएगा. ऐसे लोग जिद में आ कर कुछ भी कर सकते हैं.

मगर ऐसे भी लोग हैं जो ऐसे घिनौने इलजाम अपने फायदे के लिए लालच में आ कर लगाते हैं.

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कैसे बचें रेप के झूठे इलजाम से रेप एक जघन्य अपराध है, इस में कोई दो राय नहीं, पर जब सहमति से संबंध बनें और बाद में लड़की रेप का झूठा इलजाम लगा दे तो यह कानून का बेजा इस्तेमाल ही कहलाएगा.

कई बार लड़की के मातापिता ही ऐसा इलजाम लगा देते हैं और वह भी सिर्फ कुछ रुपयों, कुछ दिनों की सुखसुविधा के लिए. यह कहां की समझदारी है? शायद वे भूल जाते हैं कि इस से उन की बेटी के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

यदि कोई किसी पर रेप का झूठा आरोप लगाता है और वह झूठा साबित होता है तो हमारे कानून के अनुसार इलजाम लगाने वाले को 10 साल की सजा के साथसाथ जुरमाना भी देना पड़ सकता है.

मुद्दे की बात यह है कि आखिर कैसे इन निर्दोष पीडि़तों को रेप के झूठे आरोप से बचाया जाए? न जाने आज कितने निर्दोष व्यक्ति कालकोठरी में इस कलंक के साथ घुटघुट कर जिंदगी जी रहे हैं.

कुछ सुझाव

इस पूरे मामले पर एडवोकेट सुमित शर्मा कहते हैं कि जैसा हम जानते हैं आजकल किसी भी महिला या पुरुष की दोस्ती के बाद शारीरिक संबंध बनाना कोई बड़ी बात नहीं है. ऐसे में बहुत सी लड़कियां पुरुष को शादी के लिए या ठगने के लिए उस पर रेप का आरोप लगा देती हैं. यदि कोई पुरुष शादी का झांसा दे कर शारीरिक संबंध बनाता है तो यह रेप की श्रेणी में आता है. लेकिन कई बार लड़का निर्दोष होता है और लड़की के जाल में फंस जाता है. ऐसे में लड़कों को इन सुझावों को अपनाना चाहिए:

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– यदि रेप करने का कोई ठोस सुबूत नहीं है तो आप लड़की से शारीरिक संबंध नकार सकते हैं तथा मैडिकल टैस्ट में टू फिंगर टैस्ट की रिपोर्ट पर जोर दे कर लड़की को गलत साबित कर सकते हैं.

– अगर लड़की ने कभी शारीरिक संबंध के लिए अप्रोच किया है और उस का कोई सुबूत आप के पास है तो आप उसे कोर्ट में पेश कर सकते हैं.

– यदि शारीरिक संबंधों की रिपोर्ट फोरेंसिंक रिपोर्ट या वीडियो अथवा फोटो में है तो आप संबंध बनाना स्वीकार करें तथा संबंध धोखे

से नहीं बनाए यह साबित करें. लेकिन ध्यान रखें यह तभी कारगर है जब लड़की की उम्र 18 वर्ष हो.

– मैडिकल रिपोर्ट की कमियां देखें व उन्हें हथियार के तौर पर इस्तेमाल करें.

– यदि केस ज्यादा गंभीर हो तो चार्जशीट जल्दी फाइल करवाने की कोशिश करें.

गंदी बात नहीं औरत का और्गेज्म

हाल ही में दूसरे देशों में नैशनल और्गेज्म डे मनाया गया और वहां इस से जुड़ी बातें लोग खुले तौर पर करते भी रहते हैं. वहीं भारत में सैक्स और और्गेज्म पर बात करने से लोग मुंह छिपाने लगते हैं. यहां तक कि ज्यादातर लोग अपने ही साथी या पार्टनर से भी इस पर बात नहीं कर पाते. एक बेहद दिलचस्प बात यह भी है कि हिंदी में और्गेज्म का मतलब तृप्ति है जो इस शब्द का सही अर्थ नहीं है.

महिला और पुरुष दोनों एकदूसरे से शारीरिक तौर पर बेहद अलग हैं और दोनों पर धर्म से नियंत्रित समाज का नजरिया और भी अलग है. जहां पुरुषों को सभी प्रकार की छूट बचपन से ही भेंट में मिल जाती है, वहीं महिलाओं को बचपन से ही अलग तरीकों से पाला जाता है. उन के लिए तमाम तरह के नियमबंधन बनाए जाते हैं. उन के बचपन से वयस्क होने की दहलीज तक आते आते उन्हें इस तरह की शिक्षा दी जाती है कि वे अपने शरीर से जुड़ी बातें चाह कर भी नहीं कर पाती हैं.

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जो पुरुषों के लिए वह महिलाओं के लिए गलत क्यों:

अगर एक महिला बिना पुरुष के साथ संबंध बनाए शारीरिक सुख प्राप्त करने में सक्षम है तो इस बात को यह पूरा समाज हजम नहीं कर पाता. हम यहां सीधे तौर पर मास्टरबेशन यानी हस्तमैथुन पर बात कर रहे हैं, जिस के बारे में ज्यादातर लड़के 10-12 साल की उम्र में ही जान लेते हैं, पर लड़कियों को वयस्क होने तक भी इस बात की पूरी जानकारी नहीं होती है. अगर वे बिना किसी पुरुष के साथ संबंध बनाए शारीरिक सुख प्राप्त करती हैं तो उसे वे अपने दोस्तों में स्वीकार नहीं कर पातीं. समाज में यह धारणा जो बना दी गई है कि पुरुषों के लिए मास्टरबेशन ठीक है पर महिलाओं के लिए गलत है.

क्या है इमोशनल एब्यूज

मास्टरबेशन सही तो और्गेज्म गलत क्यों…

इसी तरह मास्टरबेशन पर बात करना एक पुरुष के लिए बेहद साधारण बात है पर एक महिला के लिए ऐसा मसला है जो उस का होते हुए भी उस का नहीं है. जबकि ऐसे मुद्दों पर बात करना बेहद जरूरी है. यह जितनी आसानी से पुरुष के लिए स्वीकार्य है, उतना ही एक औरत के लिए भी होना जरूरी है.

लड़कियां तो अगर अपनी सब से सामान्य चीजों जैसे पीरियड्स और ब्रा जैसी चीजों पर भी बात करने का साहस जुटाती हैं, तो उन्हें पब्लिकली ट्रोल किया जाता है, शेम किया जाता है. ऐसे में और्गेज्म और वह भी लड़कियों के और्गेज्म पर बात करना तो कल्पना से भी परे की बात है.

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बौलीवुड ने शुरू की कोशिश…

‘वीरे दी वैडिंग’ और ‘लस्ट स्टोरीज’ ऐसी फिल्में हैं जिन में महिला से जुड़े शारीरिक सुख के मुद्दे पर थोड़ी रोशनी डालने का प्रयास किया गया, लेकिन भारतीय मर्दों ने खुल कर उस पर बातचीत करने के बजाय इन फिल्मों की और इन की हीरोइनों को ही ट्रोल किया.

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मर्दों को यह पता ही नहीं:

ज्यादातर भारतीय मर्द नहीं जानते कि महिलाओं का भी और्गेज्म उतना ही मैटर करता है, जितना उन का. दरअसल, इंटरकोर्स यानी शारीरिक संबंध के वक्त उन को इस बारे में खयाल ही न आना एक तरह से पितृसत्ता का हावी होना ही बताता है.

इस पर जयपुरिया अस्पताल, जयपुर की अधीक्षक विमला जैन का कहना है, ‘‘भारतीय पुरुष लड़कियों के मास्टरबेशन को इसलिए भी हजम नहीं कर पाते, क्योंकि उन्हें अपनी सत्ता, मर्द होने की धमक पर यह हमले जैसा लगता है, जबकि कई ऐसी रिसर्च बताती हैं कि 62% महिलाओं को और्गेज्म मास्टरबेशन के वक्त ही होता है. यह भी दूसरी सामान्य और प्राकृतिक प्रक्रियाओं का ही एक हिस्सा है. स्वास्थ्य पर इस का सीधा असर होता है, लेकिन भारतीय मर्द यह शायद ही समझें. उन्हें लगता है कि और्गेज्म पुरुषों के अधिकार क्षेत्र का ही मसला है, सामाजिक टैबू है.’’

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इन मुद्दों पर यौन शिक्षा से जुड़े पहलुओं पर खुल कर बात हो ताकि एक स्वस्थ और बराबरी वाला समाज बनाया जा सके. घरों में औरतें हर समय खीजी सी और तनाव में न रहें या उन्हें अछूतपन न लगे और वे अन्य रिस्क न लें इस के लिए जरूरी है कि इन बातों को कम से कम लड़कियां तो आपस में खुल कर कर सकें.                                   –

फिर अकेले हैं कहीं…

शादी के बाद पतिपत्नी के जीवन में एक अलग सी चाहत होती है. एकदूसरे के साथ अधिक से अधिक समय तक करीब रहना, एकदूसरे को छूना, उत्तेजित हो जाना, सैक्स के लिए पोर्न फिल्में देखना, उसी तरह की चाहत रखना सामान्य बातें होती हैं. यही वजह है कि शादी के निजी पलों को खुल कर जीने के लिए लोग हनीमून के लिए जाते हैं. शादी के बाद का सा आनंद जीवन में दोबारा तब आता है जब बच्चे होस्टल चले जाते हैं. पतिपत्नी के जीवन में आने वाला यह एकांत उन को बहका देता है.

कई कपल्स तो ऐसे मौके का लाभ उठा कर सैकंड हनीमून तक प्लान कर लेते हैं. ऐसे में कई बार वैसी ही गड़बडि़यां हो जाती हैं जैसी शादी के बाद होती हैं. शादी के बाद अबौर्शन संभव हो जाता था पर सैकंड हनीमून के बाद ऐसी गड़बड़ी भारी पड़ सकती है. इसलिए जरूरी है कि गर्भधारण से बचने वाले उपाय व साधनों का प्रयोग करें.

महिला रोग विशेषज्ञ डाक्टर नमिता चंद्रा कहती हैं, ‘‘कंडोम और पिल्स सब से अहम उपाय हैं. महिलाएं गर्भ रोकने के लिए पिल्स का प्रयोग डाक्टर की राय से करें. गर्भनिरोधक गोलियां कई बार बौडी के हार्मोंस को प्रभावित करती हैं. इन के लगातार प्रयोग से जिस्म में कैल्शियम भी प्रभावित होता है. कुछ औरतों में जल्दी मेनोपौज की शुरुआत हो जाती है. जिस से कई बार मासिकधर्म अनियमित हो जाता है. ऐसे में यह भ्रम हो जाता है कि माहवारी बंद है तो गर्भधारण कैसे हो सकता है?

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‘‘कई मामलों में देखा गया कि माहवारी बंद होने के बाद भी गर्भधारण हो गया. कई बार माहवारी न होने का कारण मेनोपौज को समझ लिया जाता है, जबकि माहवारी न होने का कारण गर्भधारण होता है. इस का पता तब चलता है जब पेट में दर्द या दूसरे कारण दिखाई देते हैं. देर से पता चलने के कारण गर्भपात कराना संभव नहीं रह जाता और बच्चा पैदा करने के बाद तमाम तरह की सामाजिक व शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ जाता है.’’

भ्रांतियों का शिकार न हों आज के दौर में 40 से 50 वर्ष की उम्र वाली महिलाओं का मुकाबला 20 से 30 वर्ष की महिलाओं के साथ किया जा सकता है. दोनों ही उम्र में सैक्स को ले कर कुछ भ्रांतियां होती हैं. आमतौर पर पुरुष इस उम्र में कंडोम का इस्तेमाल पसंद नहीं करते. इस का कारण यह होता है कि कई बार उन में इरैक्शन को ले कर परेशानियां होती हैं.

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ऐसे में महिला को पिल्स का सेवन करना चाहिए. वैसे गर्भनिरोधक पिल्स के साथ ही साथ इमरजैंसी पिल्स का भी प्रयोग कर सकती हैं. इमरजैंसी पिल्स का प्रयोग सैक्स संबंध बनने के बाद जितनी जल्दी हो सके कर लें. कई बार इरैक्शन के शिकार व्यक्ति का डिस्चार्ज योनि के बाहर ही हो जाता है. वह सोचता है कि डिस्चार्ज योनि के बाहर होने से गर्भधारण का खतरा नहीं रहता. यह भी एक तरह की भ्रांति है. पुरुष का वीर्य अगर किसी भी तरह से योनि के अंदर पहुंच गया तो गर्भधारण हो सकता है. ऐसे में किसी भी तरह से वीर्यस्खलन होने पर सावधान रहें. अगर ऐसा हो जाता है तो सावधानी बरतें. गर्भधारण से बचने के लिए उचित डाक्टरी सलाह व प्रैग्नैंसी टैस्ट किट की मदद लें.

क्यों होते हैं ‘एक्सट्रा मैरिटल अफेयर

लगभग एक साल पहले भंवरताल गार्डन जबलपुर में रहने वाली आयशा ने स्वास्थ्य महकमे में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर तैनात अपने पति डा. शफातउल्लाह खान की हत्या इसलिए करवा दी थी, क्योंकि उस का पति अपने विभाग की कई महिला कर्मचारियों से अवैध संबंध रखता था. अपनी अय्याशी की वजह से पत्नी के साथ संबंध भी नहीं बनाता था और पत्नी को प्रताडि़त करता था. हद तो तब हो गई जब पति ने पत्नी की नाबालिग भतीजी को अपनी हवस का शिकार बना लिया और इस से नाबालिग को गर्भ ठहर गया. तंग आ कर पत्नी ने सुपारी दे कर उस की हत्या करवा दी. इसी तरह दिसंबर 2019 में नरसिंहपुर जिले के गोटेगांव थाना क्षेत्र में एक युवक आशीष की हत्या उस के दोस्त पंकज ने इसलिए कर दी थी, क्योंकि आशीष ने पंकज की पत्नी से सैक्स संबंध बना रखे थे.

ये घटनाएं साबित करती हैं कि समाज में बढ़ते व्यभिचार और विवाहेत्तर संबंधों के कारण अपराधों का ग्राफ भी तेजी से बढ़ रहा है. आमतौर पर विवाह होने के बाद पति और पत्नी के बीच के सैक्स संबंध प्रारंभ के कुछ वर्षों में तो ठीक रहते हैं, परंतु बच्चों के जन्म के बाद पार्टनर की जरूरतों पर पर्याप्त ध्यान न देना और सैक्स संबंधों के प्रति लापरवाही कलह का कारण बन जाते हैं.

सैक्स स्पैशलिस्ट बताते हैं कि सुखद सैक्स उसी को माना जाता है जिस में दोनों पार्टनर और्गेज्म पा सकें. यदि पतिपत्नी सैक्स संबंधों में एकदूसरे को संतुष्ट कर पाने में सफल होते हैं तो उन के दांपत्य संबंधों की कैमिस्ट्री भी अच्छी रहती है.

राकेश और प्रीति की शादी को 5 वर्ष हो चुके हैं. उन की 2 साल की एक बेटी भी है, परंतु बेटी के जन्म के साथ ही प्रीति का ध्यान अपनी बेटी में ही रम गया है. पति की छोटीछोटी जरूरतों का ध्यान रखने वाली प्रीति अब पति के प्रति बेपरवाह सी हो गई है. कभी रोमांटिक मूड होने पर राकेश सैक्स संबंधी बातों के साथ जब सैक्स करने की पहल करता है तो प्रीति उसे यह कह कर झिड़क देती है कि तुम्हें तो बस एक ही चीज से मतलब है. इस से राकेश कुंठित हो कर चिड़चिड़ाने लगता है. वह अपनी कामेच्छा को मन मसोस कर दबा लेता है, परंतु सैक्स न करने की कुंठा से उस के मन में कहीं और शारीरिक संबंध बनाने के खयाल भी आने लगते हैं. प्रीति जैसी अनेक महिलाओं का यही व्यवहार राकेश जैसे पुरुषों को दूसरी स्त्री के साथ संबंध बनाने को प्रोत्साहित करता है.

जिस तरह स्वादिष्ठ भोजन करने के बाद कुछ और खाने की इच्छा नहीं होती, ठीक उसी तरह सैक्स क्रिया से संतुष्ट पतिपत्नी अन्यत्र सैक्स के लिए नहीं भटकते. दांपत्य जीवन में सुख प्राप्त करने के लिए पतिपत्नी को उन की सैक्स जरूरतों का भी ध्यान रखना चाहिए.

सैक्स की पहल आम तौर पर पति द्वारा की जाती है. पत्नी को भी चाहिए कि वह सैक्स की पहल करे. पतिपत्नी में से किसी के भी द्वारा की पहल का स्वागत कर सैक्स संबंध स्थापित कर एकदूसरे की संतुष्टि का खयाल रख कर विवाहेत्तर संबंधों से बचा जा सकता है.

बच्चों के जन्म के बाद भी सैक्स के प्रति निरुत्साहित न हो. सैक्स दांपत्य जीवन का मजबूत आधार है. शारीरिक संबंध जितने सुखद होंगे भावनात्मक प्यार उतना ही मधुर होगा. घर में पत्नी के सैक्स के प्रति रूखे व्यवहार के चलते पुरुष अन्यत्र सुख की तलाश में संबंध बना लेते हैं. कामकाजी पति द्वारा पत्नी को पर्याप्त समय और यौन संतुष्टि न देने के मामलों में भी पत्नी द्वारा अन्य पुरुष से शारीरिक संबंध बना लिए जाते हैं, जिस की परिणिति से दांपत्य जीवन में तनाव और बिखराव देखने को मिलता है.

1. स्वाभाविक होता है बदलाव

मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि संबंधों में यह बदलाव स्वाभाविक है. शादी के आरंभिक सालों में पतिपत्नी एकदूसरे के प्रति जो खिंचाव महसूस करते हैं, वह समय के साथ खत्म होता जाता है और तब शुरू होती है रिश्तों में उकताहट. आर्थिक, पारिवारिक और बच्चों की परेशानियां इस उकताहट को बढ़ावा देती है. फिर इस उकताहट को दूर करने के लिए पतिपत्नी बाहर कहीं सुकून तलाशते हैं जहां उन्हें फिर से अपने वैवाहिक जीवन के आरंभिक वर्षों का रोमांस महसूस हो. यहीं से विवाहेत्तर संबंधों की शुरुआत होती है.

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2. कौन से कारण हैं उत्तरदाई

समाज के अलगअलग वर्गों में किए गए अध्ययन से पता चलता है कि अलगअलग लोगों में विवाहेत्तर संबंधों के कारण भी अलगअलग होते हैं. कई बार वर्क प्लेस पर लगातार एकांत में काम करने से तो कभी किसी से भावनात्मक जुड़ाव हो जाने से भी संबंध बन जाते हैं. सैक्स लाइफ से असंतुष्टि, सैक्स से जुड़े कुछ नए अनुभव लेने की लालसा, वक्त के साथ आपसी संबंधों में प्रेम का अभाव, अपने पार्टनर की किसी आदत से तंग होना और कई बार एकदूसरे को जलाने के लिए भी विवाहेतर संबंध स्थापित हो जाते हैं.

3. स्त्री के प्रति दोयम दर्जे का व्यवहार

भारतीय समाज और संस्कृति में स्त्रियों के प्रति दोयम दर्जे का व्यवहार आज भी देखने को मिलता है. सामाजिक परंपराओं की गहराई में स्त्री द्वेष छिपा है और यही परंपराएं पीढि़यों से महिलाओं को गुलाम मानती आई हैं. सामाजिक ढांचे में उन्हें इस तरह ढाला जाता है कि वे अपने शरीर के आकार से ले कर निजी साजसज्जा तक के लिए स्वतंत्र नहीं हैं. जो महिला अपने ढंग से जीने के लिए परंपराओं और वर्जनाओं को तोड़ने का प्रयास करती है उस पर समाज चरित्रहीन होने का कलंक लगा देता है.

पुरुष को घर में व्यवस्था, पत्नी का समय व बढि़या तृप्तिदायक खाना, सुख चैन का वातावरण और देह संतुष्टि की कामना रहती है, परंतु कभी पुरुष उन की सुखसुविधाओं और शारीरिक जरूरतों का उतना खयाल नहीं रखता. पत्नी से यह अपेक्षा जरूर की जाती है कि वह पति की नैसर्गिक चाहें पूरी करती रहे. मनोवैज्ञानिकों के अनुसार विवाहेत्तर संबंधों को रोकने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. यदि आपसी रिश्तों की गरमाहट कम हो गई है तो रिश्तों को पुराने कपड़े की तरह निकाल कर नए कपड़े की तरह नए रिश्ते बनाना समस्या का हल नहीं है.

अपने पार्टनर को समझाने के कई तरीके हैं. उस से बातचीत कर समस्या को सुलझाया जा सकता है. सैक्स को ले कर की गई बातचीत, सैक्स के नएनए तरीके प्रयोग में ला कर एकदूसरे की शारीरिक संतुष्टि से विवाहेत्तर संबंधों से बचा जा सकता है.

4. फोर प्ले से आफ्टर प्ले तक का सफर

सफल दांपत्य जीवन जीने वाले पतिपत्नी के अनुभव बताते हैं कि किस तरह एकदूसरे को जरूरतों का ध्यान रख कर पार्टनर को भटकाव से बचाया जा सकता है.

सैक्स को केवल रात्रिकालीन क्रिया मान कर निबटाने से सहसंतुष्टि नहीं मिलती. जब दोनों पार्टनर को और्गेज्म का सुख मिलेगा तभी सहसंतुष्टि प्राप्त होगी. स्त्री और पुरुष का एक साथ स्खलित होना और्गेज्म कहलाता है. सुखद सैक्स संबंधों की सफलता में और्गेज्म या चरम सुख की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है. और्गेज्म पाने में फोर प्ले का रोल अहम रहता है.

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सैक्स को शारीरिक तैयारी के साथ मानसिक तैयारी के साथ भी किया जाना चाहिए. यह पतिपत्नी की आपस की जुगलबंदी से ही मिलता है. सैक्स करने के पहले की गई सैक्स से संबंधित चुहल और छेड़छाड़ भूमिका बनाने में सहायक होती है. सैक्स के दौरान घरपरिवार की समस्याएं बीच में नहीं आनी चाहिए. सैक्स संबंधों के दौरान छोटीछोटी बातों को ले कर की जाने वाली यही शिकायतें संबंधों को बोझिल बनाती और सैक्स के प्रति अरुचि भी उत्पन्न करती हैं. सैक्स के लिए नए स्थान और नए तरीकों के प्रयोग कर संबंधों को प्रगाढ़ बनाया जा सकता है. सैक्स की सहसंतुष्टि निश्चित तौर पर दांपत्य जीवन को सफल बनाने के साथ विवाहेत्तर संबंधों को रोकने में मददगार साबित हो सकती है और विवाहेत्तर संबंधों की वजह से समाज में बढ़ रहे अपराधों पर भी काबू पाया जा सकता है.

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