ट्रौफी पत्नी: कैसे निभाएं रिश्ता

सुंदर, चतुर और स्मार्ट पत्नी सुंदरता और बुद्धिमानी का अद्भुत संगम होती है. ऐसी पत्नी समाज में किसी सैलिब्रिटी से कम नहीं होती है. इस के साथ रिश्ता निभाने के लिए जरूरी है कि रिश्ता खुले दिल से निभाएं. दिल में कहीं कोई मैल रखा तो परेशानी खड़ी हो सकती है. शशि थरूर और सुनंदा पुष्कर इस बात का सब से बड़ा उदाहरण हैं. आज समाज में ऐसी पत्नियों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है. कई बार दूसरी पत्नी के रूप में भी ऐसी सुंदर, चतुर और स्मार्ट ट्रौफी पत्नी मिलती है. ऐसे में जरूरी है कि उस के साथ रिश्ता खुले दिल से निभाएं. आज आपसी सहमति से तलाक जल्दी मिलने लगे हैं. ऐसे में दूसरी शादी का चलन तेजी से बढ़ रहा है. इन रिश्तों में अगर किसी तरह का कोई छिपाव होता है, तो पतिपत्नी में से किसी के लिए ठीक नहीं होता. कई बार इस तरह के छिपाव अपराध का कारण भी बनते हैं, जो आप की खुशहाल जिंदगी को बरबाद कर सकते हैं.

सुंदर, चतुर और स्मार्ट पत्नी का अपना एक सामाजिक दायरा होता है. वह हर तरह के सामाजिक दायरे में अपने को फिट रखती है. ऐसे में कई बार पति को हीनभावना का शिकार होना पड़ता है. पति अगर हीनभावना का शिकार हो कर सुंदर, चतुर और समार्ट पत्नी पर किसी तरह की पाबंदी लगाता है, तो वह उसे बरदाश्त नहीं करती और रिश्ते बिगड़ जाते हैं. ऐसे में पति के पास समझौता कर के आगे बढ़ने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचता है.

पहले संबंध को न छिपाएं

अगर ट्रौफी पत्नी दूसरी वाली है, तो पहली पत्नी के साथ बीते संबंधों की उसे थोड़ीबहुत जानकारी जरूर दें. कई बार दूसरी पत्नी से संबंधों के समय में पहली पत्नी से जुड़ी तमाम बातों को छिपाने की कोशिश होती है. इस तरह की बातें कभी न कभी खुलती हैं, जिस की वजह से संबंध खराब होते हैं. ये संबंध केवल शारीरिक और मानसिक ही नहीं होते, कई बार संपत्ति और बच्चों से जुड़े विवाद भी होते हैं. ऐसे में दूसरी शादी करने से पहले पहली शादी से जुड़े विवाद को सुलझा लें. यह पतिपत्नी दोनों के लिए लाभकारी होता है.

खुल कर करें बातें

ट्रौफी पत्नी के साथ जरूरी है कि खुल कर बातें हों. जिन बातों को गैरजरूरी समझा जाता हो उन्हें भी साझा करें. मसलन, सैक्स और दूसरे दोस्तों के संबंध को ले कर भी परहेज न करें. कई बार पतिपत्नी दोनों के ही अपने निजी दोस्त होते हैं, जो बहुत करीबी होते हैं. इन के रिश्तों को देख कर सहज भरोसा करना संभव नहीं होता कि ये कितने करीबी हैं. जब इन्हें ले कर आपस में बात नहीं होती तो मन में शंका पनपने लगती है और फिर शंका एक ऐसे मुकाम तक पहुंच जाती है जहां संबंध का निर्वहन मुश्किल हो जाता है.

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इस का एक ही इलाज है कि आपस में खुल कर बातें करें. सैक्स को ले कर ऐसी पत्नी कुछ और की चाहत रखती है. इस में पोर्न सैक्स से ले कर पार्टी और मौजमस्ती सब कुछ होता है. कई बार ट्रौफी पत्नी अपने दोस्तों के साथ इतना घुलमिल जाती है कि पति को शक होने लगता है. यहां पति को समझदारी दिखाने की जरूरत है. ऐसे संबंधों में टोकाटाकी पत्नी को पसंद नहीं आती है.

रूढिवादी विचारों को छोड़ें

समाज में रूढिवादी विचार बहुत गहरे तक फैले हुए हैं कि पत्नी को पति से काबिल नहीं होना चाहिए. ऐसे विचार सुंदर, चतुर और स्मार्ट पत्नी के सामने कोई माने नहीं रखते हैं. अगर पत्नी बेहतर है, तो उसे काबिल मान लेने में कोई बुराई नहीं है. कई सफल जोड़े इस बात की मिसाल हैं, जिन की बीवी उन से अधिक सुंदर, बुद्धिमान और व्यवहारकुशल है. आज समाज में पति से उम्र में बड़ी, पति से ज्यादा कमाने वाली और पति से अधिक मानसम्मान वाली पत्नियां मौजूद हैं. अपने आसपास देखें तो कई ऐसे उदाहरण मिल जाते हैं जहां हम पत्नी को जानते हैं पर उस के पति का नाम नहीं सुना है. राजनीति से ले कर समाजसेवा तक के क्षेत्र में तमाम ऐसे उदाहरण भरे पड़े हैं. पतियों को अपने रूढिवादी विचारों को छोड़ कर पत्नी के गुण को सम्मान देते हुए उसे पूरा मौका देना चाहिए.

सुंदरता की परेशानी

जब पत्नी सुंदर हो तो उस की तारीफ करने वालों की कमी नहीं होती है. इसे पति जलन के रूप में लेने लगता है. सुंदर पत्नी जब अल्ट्रामौडर्न ड्रैस पहन कर बाहर निकलती है, तो उस की तारीफ में कई तरह के ऐसे शब्दों का भी प्रयोग होता है जो सैक्स की भावना से ग्रस्त होते हैं. किसी भी पति के लिए इसे स्वीकार करना संभव नहीं होता. ऐसे में वह पत्नी पर तमाम तरह के आरोप लगाने लगता है. पार्टी में जाने पर लोग पति से अधिक पत्नी की तारीफ करते हैं. ऐसे में पति कुंठित होता है. जब तारीफ होती है तो पत्नी अपनी सुंदरता पर कुछ ज्यादा ही घमंड करती है. कई बार पति को लगता है कि यह उस की उपेक्षा कर रही है जबकि यह उपेक्षा नहीं होती है.

कई बार एक ओर पत्नी सुंदर और स्मार्ट दिखने की कोशिश करती है और पति पुराने तौरतरीकों से रहता है. ऐसे में पतिपत्नी की जोड़ी अनफिट सी दिखती है. पतिपत्नी की जोड़ी अनफिट न दिखे, यह प्रयास करें. पति को खुद को इस तरह से रखना चाहिए कि उन की जोड़ी सुंदर दिखे.

सोच में खुलापन जरूरी

आज के समय में तारीफ करने के ऐसे तमाम मौके भी मिल जाते हैं. फेसबुक इन में सब से प्रमुख है. सुंदर इनसान के फोटो पर तमाम तरह के कमैंट और बहुत सारे लाइक मिलते हैं. ट्विटर पर उस के कमैंट की तारीफ करने वालों की लाइन लगी रहती है. फ्रैंडलिस्ट में उस के दोस्तों की संख्या अधिक होती है.

ऐसे में कई बार समयबेसमय मैसेज भी आते हैं. पत्नी भी ऐसे मैसेज को खुले दिल से लेती है. इस पर जब पति की नजर पड़ती है तो उसे बुरा लगता है.

यहां यह सोचने वाली बात है कि जब 2 दोस्तों में किसी भी तरह की बातचीत होती है तो पत्नी भी अपने दोस्तों के साथ कुछ भी बात कर सकती है. समाज में अभी भी औरत और मर्द की दोस्ती को सही नजरिए से नहीं देखा जाता है. उसे चरित्रहीनता से जोड़ कर देखा जाता है. अब इस तरह की सोच बदलनी चाहिए.

सोच बदल कर आगे बढ़ रही औरतें

लड़कियों की पढ़ाई के आंकड़ों के बाद भी देखा जाता है कि पढा़ई के बाद नौकरियों में उन का स्थान काफी पीछे है. आंकड़े बताते हैं कि केवल 29% लड़कियां नौकरी में आती हैं. सिविल सेवा में लड़कियों का प्रतिशत पुरुषों के मुकाबले काफी पीछे है. आईएएस में 13%, आईपीएस में 5%, आईएफएस में 13% और आईआरएस में 7% महिलाओं की संख्या है. हर 20 में से केवल 3 महिला अफसर हैं. 1991 में नौकरीपेशा महिलाओं की संख्या 33.7% थी.

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2012 में यह घट कर 29 फीसदी ही रह गई. भारत में स्नातक करने वाली केवल

22 फीसदी लड़कियां ही नौकरी करती हैं. इस की मुख्य वजह यह है कि लड़कियों को आज भी पीछे रखने का काम किया जाता है. सामाजिक सोच है कि लड़कियों को केवल शादी तक की शिक्षा दी जाए. इस के बाद जैसा उस की ससुराल वाले चाहे करें. लड़की ससुराल और मायके के 2 पाटे में जिंदगी भर पिसती रहती है. जो लड़कियां अपनी सोच बदल रही हैं वे आगे बढ़ रही हैं. ऐसे में चतुर, स्मार्ट और सुंदर पत्नियों के पतियों को भी अपने विचार बदलने पड़ते हैं.

आईआईएम जैसी जगहों में भी लड़कियां काफी पीछे हैं. 2015-17 के बैच में ऐडमिशन लेने वाली लड़कियों की संख्या 31 फीसदी घट गई है. आईआईएम अहमदाबाद में इस साल केवल 14 फीसदी लड़कियों ने ही प्रवेश लिया जबकि पिछले साल लड़कियों की संख्या 29 फीसदी थी. स्नातक करने वाली लड़कियों में इंजीनियरिंग में 29 फीसदी, कंप्यूटर साइंस में 37 फीसदी, मैनेजमैंट में 32 फीसदी और कानून में 32 फीसदी लड़कियां होती हैं. इस के उलट सीबीएससी बोर्ड की परीक्षा के आंकड़े देखें तो लड़कियों का दबदबा साफ दिखता है. 2012 से ले कर 2015 तक की बोर्ड परीक्षाओं को देखें तो लगेगा कि लड़कियों ने हर साल लड़कों को पीछे छोड़ा है. इन परीक्षाओं में पास होने वाले लड़कों का प्रतिशत 77.77 रहा तो लड़कियों का 87.57.

पति की चाह पर आप की न क्यों?

हिंदी फिल्म ‘की एंड का’ में गृहिणी की भूमिका निभा रहा नायक पति की भूमिका निभा रही नायिका से रात में बिस्तर पर कहता है कि आज नहीं डार्लिंग, आज मेरे सिर में दर्द है. तात्पर्य यह कि यदि लड़का पत्नी की भूमिका निभाएगा, तो सैक्स के नाम पर उस के भी सिर में दर्द उठेगा. ऐसा क्यों होता है कि पति की तुलना में पत्नी को संभोग के प्रति थोड़ा ठंडा माना जाता है? सिरदर्द की बात चाहे बहाने के रूप में हो या सचाई, निकलती पत्नी के मुख से ही है. क्या वाकई सहवास का जिक्र पत्नियों के सिर में दर्द कर देता है? यदि पत्नी के मन में अपने पति के प्रति आकर्षण या प्रेम में कुछ कमी है, तो रोमांटिक होना कष्टदाई हो सकता है. लेकिन जब नानुकुर बिना किसी ठोस कारण हो तब?

मर्द और औरत की सोच का फर्क

सैक्स के मामले में मर्द और औरत भिन्न हैं. एक ओर जहां मर्द का मन स्त्री की शारीरिक संरचना के ध्यान मात्र से उत्तेजित हो उठता है, वहीं एक स्त्री को भावनात्मक जुड़ाव तथा अपने पार्टनर पर विश्वास सहवास की ओर ले जाता है. एक स्त्री के लिए संभोग केवल शारीरिक नहीं अपितु मानसिक और भावनात्मक स्तर पर होता है. पुरानी हिंदी फिल्म ‘अनामिका’ का गाना ‘बांहों में चले आओ…’ हो या नई फिल्म ‘रामलीला’ का गाना ‘अंग लगा दे…’ ऐसे कितने ही गाने इस विषय को उजागर करते हैं. जो पत्नियां अपने पति से प्यार करती हैं और उन पर विश्वास रखती हैं, उन के लिए संभोग तीव्र अंतरंगता और खुशी को अनुभव करने का जरीया बन जाता है. किंतु जिन पतिपत्नी का रिश्ता द्वेष, ईर्ष्या और अनबन का शिकार होता है वहां सहवास को अनैच्छिक रूप में या बदले के तौर पर महसूस किया जाता है. लेकिन कई बार हमारी अपनी मानसिकता, हमारे संस्कार, हमारी धारणाएं सैक्स को गलत रूप दे डालती हैं और हम अनजाने ही उसे नकारने लगते हैं. इस का इलाज संभव है और आसान भी.

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क्या कहता है शोध

ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय के यौन चिकित्सा कार्यक्रम की निर्देशिका डा. रोसमैरी बेसन कहती हैं कि स्त्रियों में यौनसंतुष्टि से जुड़ी सब से बड़ी शिकायत उन में इच्छा, उत्तेजना और यौन संतुष्टि की कमी होती है.

एक और खास मुद्दा लैंगिक विभिन्नता का है. जहां एक ओर एकतिहाई औरतों में मर्दों से अधिक कामुकता होती है, वहीं दूसरी ओर दोतिहाई जोड़ों में मर्दों की कामप्रवृत्ति औरतों से ज्यादा होती है. इसी कारण ऐसे जोड़े में एक स्त्री को कामोत्तेजित पुरुष की वजह से अपनी कामेच्छा को अनुभव करने का मौका नहीं मिल पाता है.

फ्लोरिडा विश्वविद्यालय की डा. लौरी मिंज अपनी पुस्तक ‘अ टायर्ड विमंस गाइड टु पैशिनेट सैक्स,’ में बताती हैं कि जहां औरतों की कामप्रवृत्ति अधिक होती है, वहां भी रोजमर्रा की गृहस्थी संबंधी जिम्मेदारियों के कारण वे कामोत्तेजना तथा यौनसंतुष्टि नहीं भोग पाती हैं.

भारतीय कानून का नजरिया

जो पत्नी बिना कारण अपने पति को लगातार सैक्स से वंचित रखती है या सिर्फ अपनी मरजी से ही संबंध स्थापित करना चाहती है, उसे खुदगर्ज कहना अनुचित न होगा. भारतीय कोर्ट पति या पत्नी द्वारा बिना कारण लंबे समय तक अपने पार्टनर को सैक्स से वंचित रखने को मानसिक क्रूरता की श्रेणी में रखते हैं. ऐसे कई उदाहरण हैं जहां कोर्ट ने सुनवाई में इस दलील पर तलाक तक की मंजूरी दे दी. अप्रैल, 2005 में पति केशव ने मद्रास हाई कोर्ट में पत्नी सविता के खिलाफ लंबे समय तक अंतरंग संबंध स्थापित न करने देने पर तलाक की मांग की, जिस की उसे मंजूरी मिल गई. मद्रास हाई कोर्ट के इस निर्णय के खिलाफ पत्नी सविता सुप्रीम कोर्ट पहुंची जहां न्यायाधीश ज्योति मुखोपाध्याय एवं न्यायाधीश प्रफुल पंत ने मद्रास हाई कोर्ट के निर्णय को सही बताते हुए कहा कि बिना किसी ठोस कारण तथा बिना किसी शारीरिक दुर्बलता के यदि कोई अपने पति या पत्नी को लंबे समय तक संबंध स्थापित नहीं करने देता है तो यह मानसिक क्रूरता की श्रेणी में गिना जाता है. उन के शब्दों में, मानसिक क्रूरता शरीरिक चोट से अधिक आघात पहुंचा सकती है.

अतीत में झांक लें

मालिनी के एक रिश्तेदार ने उस के साथ दुष्कर्म करते समय उस का बाल उम्र का लिहाज नहीं किया. नतीजा यह रहा कि आज भी अपने पति के निकट जाते हुए उसे लगता है जैसे उस के शरीर पर वही लिजलिजे हाथ जबरदस्ती कर रहे हों. सैक्स को वह अपने पत्नी फर्ज की तरह निभाती है न कि अपने पति के साथ बिताए उन प्रेमालाप पलों को पूर्णरूप से जीती है. क्या आप के अतीत में ऐसा कुछ हुआ था, जिस की छाया आप के वर्तमान पर गहरी छाई है? हो सकता है पुराने किसी बुरे अनुभव के कारण आप आज संभोग से घबराती हों. यदि आप के अतीत में हनन या दुर्व्यवहार का ऐसा कोई अनुभव है, जिस से संबंध बनाते समय आप खुश नहीं रह पाती हैं तो आप को जल्द से जल्द प्रोफैशनल मदद लेनी चाहिए और स्वयं को अपने उस बुरे अतीत से मुक्त करना चाहिए.

शारीरिक समस्याओं से छुटकारा पाएं

कभीकभी शारीरिक समस्या जैसे हारमोनल इंबैलैंस के कारण भी स्त्री का मन सैक्स से उचट सकता है. यदि आप को स्वयं में सैक्स के प्रति अरुचि का कारण भावना से अधिक शारीरिक जवाबदेही की कमी लगती है तो आप को यौनरोग विशेषज्ञ से मिलना चाहिए. वे और भी परेशानियों से मुक्ति दिला सकते हैं जैसे चरमोत्कर्ष पर न पहुंच पाना, स्नेह की कमी, पीडा़दायक सहवास, आप के द्वारा खाई गई कुछ ऐसी दवाएं, जिन के कारण आप में यौन ड्राइव की कमी आई हो इत्यादि.

हमसफर के साथ को करें ऐंजौय

‘‘तुम्हारे साथ होते हुए मुझे ऐसा लगता है जैसे मैं एक लाश के साथ हूं,’’ अंतरंग क्षणों में कभी पत्नी की तरह से कोई रिस्पौंस न मिलने पर अमित के मुंह से निकल गया. यदि पत्नी कभी प्यार में पहल नहीं करेगी तो पति को ही पहल करनी पड़ेगी. इस का परिणाम यह होगा कि पति असुरक्षित भावना का शिकार हो जरूरत से अधिक पहल करने लगेगा और इस का नतीजा यह हो सकता है कि पत्नी, पति की आवश्यकता से अधिक पहल पर उस से और दूर होती जाए. यदि पति को आश्वासन हो कि पत्नी भी पहल करेगी या उस की पहल पर पौजिटिव रिस्पौंस देगी तो वह धैर्य के साथ पत्नी के तैयार होने का इंतजार कर सकता है.

जब एक पत्नी सिर्फ ग्रहण नहीं करती, बल्कि शुरुआत भी करती है तो वह सैक्स को एक जबरदस्ती, जिम्मेदारी या दबाव के रूप में न देख कर आपसी मेल के रूप में देख पाती है.

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किताबें काफी मददगार

अधिकतर परिवारों से मिले संस्कार ऐसे होते हैं, जिन के कारण लड़कियां संभोग को गलत या वर्जित मानती हैं और इसी कारण विवाहोपरांत भी वे इस विषय पर खुल नहीं पातीं. अपनी इस हिचक को दूर करने के लिए ‘गाइड टु गैटिंग इट औन, ‘द गुड गर्ल्स गाइड टू ग्रेट सैक्स’ आदि किताबें पढ़ सकती हैं.

सैक्सुअल थेरैपी भी लाभकारी

कई बार केवल स्वयं कदम उठाना काफी नहीं होता. यदि आप को स्वस्थ  वैवाहिक जीवन जीने में असुविधा हो रही है तो आप प्रोफैशनल मदद के बारे में सोच सकती हैं. सैक्सुअल थेरैपी में एकदम शुरू से आरंभ किया जाता है. जैसे आप दोनों पहली बार मिल रहे हैं. जोड़ों में धीरधीरे रिश्ता कायम कराया जाता है. स्टैप बाई स्टैप सैक्स की ओर ले जाते हैं. हो सकता है कि आप के पति ऐसे प्रोग्राम में जाने को तैयार न हों. ऐसे में आप अकेले भी ऐसे प्रोग्राम का लाभ उठा सकती हैं. आप देखेंगी कि काउंसलर की मदद से आप न केवल सैक्स से संबंधित कितनी ही समस्याओं

का समाधान खोज पाएंगी, बल्कि अपने पति से इस विषय में बात करना भी आप के लिए आसान हो जाएगा.

समाज में आ रहे लगातार बदलाव से लिंग भूमिका व कामुकता में भी बदलाव आ रहे हैं. संभोग कोई ऐसा कार्य नहीं जो मर्द औरत के लिए करेगा या औरत मर्द के लिए. संभोग में समान रूप से भागीदारी करें.

वैवाहिक सुख की ओर मिल कर बढ़ाएं कदम

यदि हर बार आप को अपने पति का अंतरंग साथ बेचैनी की भावना की ओर धकेलता है, तो आप को कुछ ऐसे कदम उठाने चाहिए जिन से आप दोनों को वैवाहिक सुख की प्राप्ति हो सके. यह समस्या संवेदनशील अवश्य है, किंतु इसे सुलझाना कठिन नहीं. आइए जानते हैं कुछ ऐसे स्टैप्स जिन्हें आप आसानी से फौलो कर सकती हैं और इस में आप के पति भी यकीनन आप का साथ देंगे:

– हो सकता है कि रिश्ते की शुरुआत में कुछ समय के लिए आप वैवाहिक सुख के लिए तैयार न हों, लेकिन यदि आप के पति यह जानते हैं कि आप का उद्देश्य कम सैक्स नहीं, अपितु पूरे जीवन के लिए ज्यादा व बेहतर सैक्स है, तो वे आप की बात से सहमत होंगे. उन्हें आप के साथ इस विषय पर बातचीत करने, किताबें पढ़ने या किसी काउंसलर से मिलने में भी आपत्ति नहीं होगी. लेकिन यदि उन्हें आपत्ति हो तो आप अकेली ही काउंसलर से मिल कर इस समस्या का हल खोजने का प्रयास करें.

– कोई ऐसी बात या कोई ऐसी चीज जिस के कारण आप का अपने पति के निकट आना मुश्किल हो जाता हो जैसे उन के शरीर से आ रही पसीने की बू, उन के मुंह से आ रही गंध आदि के बारे में उन्हें अवश्य अवगत कराएं, क्योंकि ये छोटीछोटी बातें भी अंतरंग क्षणों पर असर डालती हैं.

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फ्रिजिडिटी : इलाज है

कई स्त्रियां ऐसी होती हैं, जो सहवास के दौरान उत्तेजित नहीं हो पाती हैं, जिस से वे सहवास के दौरान पति को सहयोग भी नहीं दे पाती हैं. ऐसी स्त्रियां ‘फ्रिजिड’ अर्थात ‘ठंडी’ स्त्री के रूप में जानी जाती हैं. फ्रिजिड स्त्री की व्यथा को न कोई जान सकता है और न ही समझ सकता है. वह स्वयं भी इस बात को जान नहीं पाती कि वह यौन सुख से वंचित क्यों है? जिस प्रकार छप्पन पकवानों से सजी थाली का भोजन नलिका द्वारा पेट में पहुंचाए जाने पर व्यक्ति को स्वाद का पता नहीं चलता, ठीक उसी प्रकार फ्रिजिड स्त्री संतान तो उत्पन्न कर सकती है, लेकिन यौनसुख का अनुभव नहीं कर सकती. पति उस की फ्रिजिडिटी (ठंडेपन) से तंग आ कर पत्नी को मानसिक रूप से प्रताडि़त करता है और उसे शारीरिक पीड़ा भी पहुंचाता है. वह समझता है कि उस की पत्नी उसे जानबूझ कर सहयोग नहीं देती है या कोई अनैतिक संबंध रख कर उस से बेवफाई कर रही है. इस से पतिपत्नी के बीच दीवार खड़ी हो जाती है और पत्नी को स्वयं को कोसने के सिवा कोई चारा नहीं रह जाता है.

मेरे पास ऐसी कई स्त्रियां आई हैं, जिन में से कुछ की ‘केस हिस्ट्री’ आप को बताना चाहूंगा ताकि आप लोगों को फ्रिजिड स्त्रियों की व्यथा का पता चल सके. 23 वर्षीय मध्यवर्गीय वैशाली मासूमियत की प्रतीक थी. खुले दिल से हंसना, तत्परता से काम करना व कपटरहित व्यवहार उस का स्वभाव था. जब एक बड़े घराने में उस की शादी हुई तो वह खुशी से नाच उठी. उस ने सोचा कि अब उसे किसी प्रकार की कमी नहीं रहेगी, लेकिन कुछ दिनों में उस का यह भ्रम टूट गया. उस की हंसी, उछलकूद, सब से हिलनामिलना आदि पर पाबंदी लग गई, क्योंकि उस बड़े घराने में इसे अशिष्ट माना जाता था. हमेशा सास और ननद उस की हंसी उड़ाया करती थीं, जिस से वह धीरेधीरे स्वयं में खोने लगी. यहां तक की पति के साथ सहवास के समय पर अत्यंत आनंद के क्षणों में मुंह से निकले हुए उद्गार अथवा सिसकारी को दबाने लगी, क्योंकि उसे डर था कि पति उसे बदचलन या अशिष्ट स्त्री न समझ ले. धीरेधीरे वह भावशून्य होने लगी. बच्चे होने पर वह बच्चों में ही अधिक समय बिताने लगी और पति की मांग के कारण केवल एक फर्ज के रूप में यौन संबंध रखने लगी. वह यह भी भूल गई कि इस संबंध में सुख भी मिलता है.

हादसे की शिकार

उर्वशी की समस्या कुछ अलग ही है. विवेक जैसे शिक्षित, सुशील और होनहार युवक से उस का विवाह हुआ था, जो उस के कालेज जीवन का प्रेमी था. विवाह से पहले उर्वशी अपने प्रेमी विवेक से मिलने के लिए हमेशा आतुर रहती थी. वह अधिक से अधिक समय उस के साथ बिताना चाहती थी. जब दोनों का विवाह हुआ तो उस रात बड़ी देर तक विवेक दोस्तों से छुटकारा नहीं पा सका. उर्वशी उस की राह देखतेदेखते थक कर अपने कमरे में सो गई. जब विवेक बहुत देर बाद कमरे में पहुंचा तो उर्वशी की सुंदरता देख कर मुग्ध हो गया. उस ने धीरे से उस का सिर उठा कर एक चुंबन ले लिया, जिस से उर्वशी घबरा कर उठ गई और सिसकसिसक कर रोने लगी. उस का सारा शरीर कांप रहा था और वह पसीने से तरबतर हो गई. यह देख कर विवेक बहुत डर गया, क्योंकि उस ने ऐसा उर्वशी को डराने के लिए नहीं किया था. वह उर्वशी से बारबार माफी मांगने लगा. थोड़ी देर बाद उर्वशी सामान्य हुई तो घबराहट के कारण हुई गलतियों पर शर्मिंदा होने लगी. जब दोनों पतिपत्नी हनीमून के लिए गए, तब सहवास के दौरान उर्वशी को निश्चेष्ट और बर्फ समान ठंडा पा कर विवेक को बहुत परेशानी हुई, क्योंकि वह तृप्ति से वंचित रह जाती थी.

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विवेक को कुछ समझ में नहीं आया कि दिन भर प्यार करने वाली उर्वशी सहवास के दौरान ऐसा बरताव क्यों करती है? डाक्टरी जांच कराने पर पता चला कि 14 साल की उम्र में जब वह मामा के घर किसी की शादी में गई थी, एक दिन दोपहर के समय वह सो गई थी, तब एक लड़का छिप कर उस के कमरे में आ गया और उस से जबरदस्ती करने की कोशिश करने लगा. उर्वशी ने किसी तरह वहां से भाग कर अपनी लाज बचाई. जैसेजैसे दिन बीतते गए उर्वशी उस हादसे को भूल गई, लेकिन विवेक द्वारा लिए गए प्रथम चुंबन ने उस के अवचेतन मन में छिपे इस पुराने डर को ताजा कर दिया, जिस से उस की भावनाएं आहत हुईं और वह फ्रिजिड हो गई.

शर्म व तनाव के कारण

रीता शर्मीले स्वभाव की लड़की थी. उस की सगाई सुदेश के साथ हो गई थी. एक दिन जब घर में कोई नहीं था, तो रीता को अकेली पा कर सुदेश उत्तेजित हो उठा और उस ने रीता से सहवास की मांग की, जिस से वह सहम गई. वह सोचने लगी कि यदि वह सुदेश को मना करती है तो वह नाराज हो जाएगा. अगर वह उस की बात मान लेती है तो उस की बदनामी हो जाएगी और उस के मन में गर्भवती होने का डर भी उत्पन्न हो गया. इस बीच सुदेश ने रीता के मौन को सहमति समझ कर सहवास कर ही लिया. इस के बाद रीता हताश और बेचैनी की अवस्था में मासिकधर्म की राह देख कर दिन बिताने लगी. जिस दिन रीता को मासिकधर्म शुरू हुआ उस ने चैन की सांस ली और आराम की नींद सोने लगी. लेकिन उस के कुछ समय बाद ही सुदेश ने उसे फ्रिजिड लड़की कह कर सगाई तोड़ दी. दुनिया की कोई भी स्त्री जन्म से फ्रिजिड नहीं होती. वह फ्रिजिड अपने घर के वातावरण, समाज और किसी भी हादसे के कारण जैसे- बलात्कार आदि से बन सकती है.

फ्रिजिडिटी मानसिक और शारीरिक कारणों से आती है, जिन में शारीरिक कारण तो बहुत कम होते हैं, लेकिन मानसिक कारण अधिक होते हैं. इसलिए उपरोक्त उपायों को अपना कर फ्रिजिडिटी दूर की जा सकती है और दांपत्य जीवन को सहज और सुखद बनाया जा सकता है.        

शारीरिक कारण

शारीरिक विकलांग अवस्था में योनि का न होना. वैसे यह कारण बहुत कम स्त्रियों में होता है.

दुखद यौन संबंध, योनि शोथ, गर्भाशय शोथ, रजोनिवृत्ति हो जाना, अंडाशय और यकृत रोग भी इस का कारण हो सकते हैं.

गर्भवती और गुप्तरोग हो जाने की शंकाएं भी स्त्री को फ्रिजिड बना देती हैं.

रक्तचाप कम करने वाली दवाओं का सेवन, नींद की गोलियां, ट्रैंक्विलाइजर्स और 3-4 साल से लगातार गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन भी फ्रिजिडिटी उत्पन्न कर सकता है.

मानसिक कारण

जब बच्चे बचपन में अनजाने में अपने शरीर को समझने के लिए यौनांगों को छूते हैं, तब उन्हें इस के लिए डांटा जाता है और कभीकभी तो मातापिता उन्हें सजा भी दे देते हैं.

बचपन से ही कड़े अनुशासनपूर्ण माहौल में परवरिश होने के कारण, जिस में सैक्स को बुरा या गंदा मानने वाले विचारों का बच्चे के मन में घर कर जाना, बच्चों द्वारा किए गए सैक्स संबंधित सवालों का जवाब न देना या डांट देना भी फ्रिजिडिटी का कारण होता है.

भावनाओं को दबाना, लड़के और लड़की से किए जाने वाले व्यवहार में भिन्नता, जिस में लड़की की उपेक्षा करना लड़की की आयु बढ़ने पर उस में फ्रिजिडिटी उत्पन्न कर देता है. इसे मूल कारण समझा जा सकता है.

धार्मिक शिक्षा, जो सैक्स को पाप मानती है और सहवास को केवल पुत्र प्राप्ति का साधन मात्र मानती है.

कई बार पुरुष अपने शीघ्रपतन और नपुंसकता की समस्या को छिपाने के लिए भी पत्नी को फ्रिजिड कह देता है, जिस से उस का मन आहत हो उठता है और वह फ्रिजिड बन जाती है.

मानसिक रोग जैसे डिप्रैशन, तनाव, चिंता आदि भी फ्रिजिडिटी पैदा करते हैं.

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फ्रिजिडिटी दूर करने के उपाय

यदि पतिपत्नी एकदूसरे को समझने का प्रयास करें व पति अपनी पत्नी को उचित प्यार व सहयोग दे तो यह समस्या हल हो सकती है.

पत्नी के मन में भी इसे दूर करने की तीव्र इच्छा होनी चाहिए. पतिपत्नी के बीच उत्पन्न तनाव के कारणों को दूर करना चाहिए.

पतिपत्नी युगल चिकित्सा का सहारा ले कर भी इसे दूर कर सकते हैं.

प्रेम, स्पर्श, आलिंगन व रसभरी बातों से भी इसे दूर किया जा सकता है.

इस के अलावा ‘सैक्स पावर’ बढ़ाने वाली एक्सरसाइज द्वारा भी आप इसे दूर कर सकते हैं.

इस में सम्मोहन चिकित्सा बहुत ही लाभकारी होती है, जो मन में बैठे हुए अज्ञात भय को निकालती है.

Healthy रिश्ते में स्वच्छता का महत्त्व

रानी और रजनी पक्की सहेलियां हैं. दोनों मध्यवर्गीय, पढ़ीलिखी, उदार, सहिष्णु, मितव्ययी, परिवार का खयाल रखने वाली, नईनई चीजों को सीखने की इच्छुक हैं.

बस दोनों में एक ही अंतर है. यह अंतर देह प्रेम को ले कर है. एक छत के नीचे रहते हुए भी रानी और उस के पति के बीच देह प्रेम उमड़ने में काफी वक्त लगता है. महीनों यों ही निकल जाते हैं.

उधर रजनी और उस का पति हफ्ते में 1-2 बार शारीरिक निकटता जरूर पा लेते हैं. रानी इस प्रेम को गंदा भी समझती है, जबकि रजनी ऐसा नहीं सोचती है. दोनों एकदूसरे के इस अंतर को जानती हैं.

आप कहेंगे कि भला यह क्या अंतर हुआ? जी हां, यही तो बड़ा अंतर है. पिछले दिनों इस एक अंतर ने दोनों सहेलियों में कई और अंतर पैदा कर दिए थे.

इस एक अंतर से ही रानी तन को स्वच्छ रखने में संकोची हो गई थी. केवल वह ही नहीं, बल्कि उस के पति का भी यही हाल था. उसे अपने कारोबार से ही फुरसत नहीं थी. वह हर समय गुटका भी चबाता रहता था.

सैक्स सिखाए स्वच्छ रहना

उधर, रजनी नख से शिख तक हर अंग को ले कर सतर्क थी. बेहतर तालमेल, प्रेम, अंतरंगता और नियमित सहवास की वजह से रजनी को यह एहसास रहता था कि एकांत, समय और निकटता मिलने पर पति कभी भी उसे आलिंगन में भर सकता है. वह कभी भी उस के किसी भी अंग को चूम सकता है. कभी भी दोनों के यौन अंगों का मिलन हो सकता है. ऐसे में वह अंदरूनी साफसफाई को ले कर लापरवाह नहीं हो सकती थी. रजनी की तरफ से इसी प्रकार की कोई भी प्रतिक्रिया उस के पति को भी अंदरूनी रूप से स्वच्छ रखने में मदद करती थी.

इस एक अंतर से ही रानी अपनी देह और खानपान के प्रति भी लापरवाह हो गई थी. जब देह को निहारने वाला, देह की प्रशंसा करने वाला कोई न हो तो अकसर शादी के बाद इस तरह की लापरवाही व्यवहार में आ जाती है. रानी इस का सटीक उदाहरण थी. इस वजह से समय बीतने के साथ उस ने चरबी की कई परतों को आमंत्रण दे दिया था. उधर रजनी का खुद पर पूरा नियंत्रण था, लिहाजा वह छरहरे बदन की स्वामिनी थी.

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इस एक अंतर के कारण ही रानी एक दिन डाक्टर के सामने बैठी थी. रजनी भी साथ थी. रानी को जननांग क्षेत्र में दर्द की समस्या थी, जो काफी अरसे से चली आ रही थी. डाक्टर ने बताया कि इन्फैक्शन है. इन्फैक्शन का कारण शरीर की साफसफाई पर ठीक से ध्यान नहीं दिया जाना है. साफसफाई में लापरवाही से समस्या गंभीर हो गई थी.

रानी का मामला रजनी के पति को भी पता चल गया था. वास्तव में हर वह बात जो रजनी और उस के पति में से किसी एक को पता चलती थी, वह दूसरे की जानकारी में आए बिना नहीं रहती थी. वे दोनों हर मामले पर बात करते थे. रात में जब रजनी ने पति राजेश को सारी बात बताई तो राजेश ने कहा, ‘‘तुम्हें अपनी सहेली को समझाना चाहिए कि देह प्रेम गंदी क्रिया नहीं है. मैं यह तो नहीं कहता कि ऐसे सभी विवाहित लोग जो सहवास नहीं करते, वे शरीर की साफसफाई को ले कर लापरवाह रहते होंगे, लेकिन मैं यह गारंटी से कह सकता हूं कि यदि पतिपत्नी नियमित अंतराल पर देह प्रेम करते हैं, तो दोनों ही अपने तन की स्वच्छता के प्रति लापरवाह नहीं रह सकते यानी यदि वे सहवास का आनंद लेते हैं तो वे ज्यादा स्वस्थ और स्वच्छ रहते हैं.’’

दवा है सैक्स

राजेश ने बिलकुल ठीक कहा. दरअसल, जब पतिपत्नी को यह एहसास रहता है कि वे एकदूसरे को प्यार करते हैं और उन्हें शारीरिक रूप से जल्दीजल्दी निकट आना है, तो दोनों ही स्वाभाविक रूप से अपने हर अंग की साफसफाई के प्रति सचेत रहते हैं. इस से न सिर्फ उन का व्यक्तित्व निखरता है और दोनों में प्रेम बढ़ता है, बल्कि कई रोग भी शरीर से दूर रहते हैं. इस के उलट जो दंपती शारीरिक संबंधों के प्रति उदासीन रहते हैं, वे अपनी साफसफाई के प्रति भी लापरवाह हो सकते हैं.

हम सभी जानते हैं कि वैवाहिक जीवन में पतिपत्नी के बीच शारीरिक संबंध के 2 प्रमुख उद्देश्य होते हैं. पहला संतान की उत्पत्ति और दूसरा आनंद की प्राप्ति. लेकिन बारीकी से नजर डालें तो सहवास से एक परिणाम और निकलता है, जिसे तीसरा उद्देश्य भी बनाया जा सकता है. दरअसल, सहवास से पतिपत्नी अच्छा स्वास्थ्य भी पा सकते हैं. इसे हम यों भी कह सकते हैं कि यदि पतिपत्नी के बीच नियमित अंतराल पर शारीरिक संबंध बन रहे हैं, तो इस बात की संभावना ज्यादा है कि वे स्वस्थ भी रहेंगे.

जी हां, पतिपत्नी के बीच सैक्स को कई तरह की दिक्कतें दूर करने की दवा बताया गया है. सैक्स को ले कर दुनिया भर में अनेक शोध किए गए हैं और किए जा रहे हैं. विभिन्न शोधों के बाद दुनिया भर के विशेषज्ञों ने सैक्स के फायदे कुछ इस तरह गिनाए हैं:

– पतिपत्नी के बीच नियमित अंतराल पर शारीरिक संबंध बनने से तनाव और ब्लड प्रैशर नियंत्रण में रखने में सहायता मिलती है. तनाव में कमी आती है, तो अनेक अन्य रोग भी पास नहीं फटकते हैं.

– सप्ताह में 1-2 बार किया गया सैक्स रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है.

– सैक्स अपनेआप में एक शारीरिक व्यायाम है और विशेषज्ञों के अनुसार आधे घंटे का सैक्स करीब 90 कैलोरी कम करता है यानी सैक्स के जरीए वजन घटाने में भी मदद मिलती है.

– एक अध्ययन कहता है कि जो व्यक्ति हफ्ते में 1-2 बार सैक्स करते हैं उन में हार्ट अटैक की आशंका आधी रह जाती है. ऐसा इसलिए है, क्योंकि शारीरिक प्यार एक तरह से भावनात्मक प्यार का ही बाहरी रूप है, इसलिए जब हम शारीरिक प्यार करते हैं, तो भावनाओं का घर यानी हमारा दिल स्वस्थ रहता है.

– वैज्ञानिकों के अनुसार सैक्स, फील गुड के एहसास के साथसाथ स्वसम्मान की भावना को भी बढ़ाने में सहायक होता है.

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– शारीरिक संबंध प्रेम के हारमोन औक्सीटौसिन को बढ़ाने का काम करता है, जिस से स्त्रीपुरुष का रिश्ता मजबूत होता है.

– सैक्स शरीर के अंदर के स्वाभाविक पेनकिलर ऐंडोर्फिंस को बढ़ावा देता है, जिस से सैक्स के बाद सिरदर्द, माइग्रेन और यहां तक कि जोड़ों के दर्द में भी राहत मिलती है.

– वैज्ञानिकों के अनुसार जिन पुरुषों में नियमित अंतराल पर स्खलन (वीर्य का निकलना) होता रहता है, उन में ज्यादा उम्र होने पर प्रौस्टेट संबंधी समस्या या प्रौस्टेट कैंसर की आशंका काफी कम हो जाती है. यहां नियमित अंतराल से मतलब 1 हफ्ते में 1-2 बार सहवास से है.

– सैक्स नींद न आने की दिक्कत को भी दूर करता है, क्योंकि सैक्स के बाद अच्छी नींद आती है.

सहवास एक दवा है. दवा भी ऐसी जिस का कोई साइड इफैक्ट भी नहीं है, इसलिए पतिपत्नी को स्वस्थ रहने के लिए इस दवा का नियमित अंतराल पर सेवन अवश्य करना चाहिए.

मौसम और Mood: क्या होता है असर 

बरसात के मौसम में बच्चों का बाहर निकल कर खेलना कूदना बंद हो जाता है और वे कहते हैं- रेन रेन गो अवे… उसी तरह अधिक गरमी या जाड़े में परेशान हो कर हम कहते हैं कि यह मौसम कब जाएगा. मौसम का अपना एक नैचुरल साइकिल है और आमतौर पर किसी खास भौगोलिक स्थान पर यह अपने समय पर आता जाता है. हालांकि आजकल क्लाइमेट चेंज के चलते बेमौसम के भी कभी मौसम में बदलाव देखने को मिल सकता है.

कोई भी स्थिति ज्यादा बरसात या ज्यादा गरमी या ज्यादा ठंड जब लगातार लंबे समय के लिए हमें परेशान करता है तब मन में कुढ़न होती है. मगर क्या यह मात्र मन की परिकल्पना है कि सच में मौसम का असर हमारे मूड पर पड़ता है? 70 के अंत और 80 की शुरुआत में इन का संबंध उभर कर आने लगा था जब कुछ वैज्ञानिकों ने इस विषय पर अध्ययन शुरू किया है

मौसम और मूड का संबंध: यह संबंध बहुत मर्की है जिसे आप धुंधला, उदास, फीका या गंदा कुछ भी कह सकते हैं. विज्ञान के अनुसार मौसम और मूड का संबंध विवादों से घिरा है और दोनों तरह के तर्कवितर्क भिन्न हो सकते हैं. 1984 में वैज्ञानिकों ने मूड चेंज के विभिन्न पहलुओं पर अध्ययन किया. इस अध्ययन में देखा गया कि मूड में परिवर्तन जैसे क्रोध, खुशी, चिंता, आशा, निराशा या आक्रामक व्यवहार जिन पहलुओं पर निर्भर करता है वे हैं- धूप, तापमान, हवा,  ह्यूमिडिटी, वायुमंडल का दबाव और उतावलापन.

अध्ययन में देखा गया कि जिन बातों का सर्वाधिक असर मूड पर पड़ता है वे हैं- सनशाइन या धूप, तापमान और ह्यूमिडिटी. खास कर ज्यादा   ह्यूमिडिटी बढ़ने पर कंसंट्रेशन में कमी होती है और सोने को जी चाहता है. 2005 के एक अध्ययन में देखा गया कि अच्छे मौसम में बाहर घूमने या समय बिताने से मूड अच्छा होता है और याददाश्त में बढ़त देखने को मिलती है.

अच्छा और खराब

वसंत ऋतु में मूड सब से अच्छा और गर्मी में खराब होता है. पर कुछ वैज्ञानिक इस अध्ययन से सहमत नहीं थे और उन्होंने 2008 में अलग अध्ययन किया. इस अध्य्यन में उन्होंने देखा कि धूप, टैंपरेचर और ह्यूमिडिटी का मूड पर कुछ खास सकारात्मक या नकारात्मक असर नहीं पड़ता है. अगर है भी तो वह नगण्य है. उन्होंने यह भी देखा कि 2005 के अध्ययन में कहे गए अच्छे मौसम का बहुत ही मामूली सकारात्मक प्रभाव मूड पर पड़ता है.

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मौसम और मूड के संबंध में अभी और अध्ययन की जरूरत है. पर एक बात जिस पर लगभग सभी सहमत हैं वह यह कि मौसम का आदमी पर प्रभाव किसी व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है जो सभी के लिए समान नहीं हो सकता है.

क्या हर आदमी वैदर टाइप होता है: मौसम के प्रति प्रतिक्रिया या संवेदनशीलता हर आदमी की अलग होती है. उदाहरण के लिए स््नष्ठ (सीजनल इफैक्टिव डिसऔर्डर) जिसे मौसम के अनुसार मूड में बदलाव कहते हैं को लें तो जाड़ों में दिन छोटा होने से कुछ लोगों के मूड डिप्रैसिव पाए गए हैं जिसे विंटर ब्लू भी कहते हैं.

वैज्ञानिकों के अनुसार विंटर ब्लू सिंड्रोम दुनिया की 6% आबादी में देखा गया है, इसलिए इसे रेयर मूड रिलेटेड डिसऔर्डर कहा जाता है. अमेरिका के नैशनल इंस्टियूट औफ मैंटल हैल्थ के अनुसार स््नष्ठ एक अति साधारण स्तर का डिसऔर्डर है.

समर सैड: अध्ययन में देखा गया है कि कुछ लोगों में समर सैड होता है जिस से वे डिप्रैस्ड अनुभव करते हैं . खास कर बाइपोलर डिसऔर्डर रोग में गरमी के चलते लोगों को दौरा पड़ सकता है जिस से वे उन्मत्त या हाइपोमैनियक हो सकते हैं. कुछ लोग गरमियों में चिंतित, चिड़चिड़े या हिंसक भी हो सकते हैं.

कुछ मामलों में बुरे मौसम (व्यक्ति विशेष के लिए ज्यादा गरमी या ठंड अथवा बरसात कुछ भी हो सकता है) में लो मूड और खराब हो सकता है. ह्यूमिडिटी (आर्द्रता) में असहज और प्रेरणाहीन महसूस हो सकता है.

संबंधित प्रतिक्रिया

इस के बाद पुन: 2011 में अध्ययन किया गया जिस में कहा गया है कि मौसम का असर मूड पर जरूर पड़ता है, भले ही थोड़े लोगों में न हो. जिन लोगों पर यह अध्ययन किया गया उन में 50% पर मौसम का कोई प्रभाव नहीं देखा गया? जबकि शेष 50% में इस का पौजिटिव या नैगेटिव असर देखने को मिला.

इन सभी अध्ययनों के बाद, अध्ययन में शामिल लोगों में निम्नलिखित 4 मौसम संबंधित बातें या प्रतिक्रिया देखने को मिली है-

मौसम और मूड का कोई संबंध नहीं: जिन पर मौसम का कोई असर नहीं उन के अनुसार मूड और मौसम का कोई संबंध नहीं है.

समर लवर्स: कुछ लोगों में गरमी और सनशाइन के मौसम में मूड अच्छा रहता है.

समर हेटर्स: ठंडे और बादल वाले दिनों में मूड अच्छा रहता है.

रेन हेटर्स: इन्हें बरसात का मौसम बिलकुल पसंद नहीं है. इन दिनों इन का मूड अच्छा नहीं (लो) रहता है. करीब 9% लोग इस श्रेणी में आते हैं. अमेरिकन मनोवैज्ञानिक डा. टैक्सिआ एवंस के अनुसार बरसात की अंधेरी रातों में अकेलापन और डर महसूस होता है और मूड अच्छा नहीं रहता है.

इस के विपरीत न्यूयौर्क की मनोचिकित्सक और लाइट थेरैपिस्ट डा. जूलिया सैम्टन बरसात और क्लाउडी दिनों में भी अपने रोगी को बाहर प्रकाश में जाने के लिए प्रोत्साहित करती हैं. उन के अनुसार लाइट से कुछ लोगों का सिरकाडियन रिद्म रैगुलेट होता है और उन का मूड अच्छा होता है.

पेंसिलवेनिया यूनिवर्सिटी के फैलो डा. उरी सिमोन्सन द्वारा प्रस्तुत शोध पेपर ‘क्लाउड्स मेक नर्ड लुक बैटर’ (बादल बेवकूफ को बेहतर बनाते हैं)’ में कहा गया है कि यूनिवर्सिटी के एडमिशन अफसर विद्यार्थियों के शैक्षणिक  गुण का आकलन क्लाउडी दिनों में करते हैं और गैरशैक्षणिक योग्यता का आकलन धूप के दिनों में करते हैं.

दूसरी ओर धूप हो न हो तापमान का असर भी व्यक्ति के व्यवहार और मस्तिष्क पर पड़ता है. सामान्यतया 25% तापमान से जितनी दूर (ज्यादा  या कम हों) आदमी हो उतना ही ज्यादा असहज महसूस करता है. एक अध्ययन में देखा गया है कि इस तापमान से दूर होने पर आदमी में  सहायता करने की प्रवृत्ति कम हो जाती है.

क्या मौसम और सैक्स में संबंध है: हालांकि मौसम और सैक्स के बारे में कोई एक जनरल नियम नहीं है जो सब पर लागू हो. फिर भी मौसम का असर कुछ हद तक सैक्स ड्राइव पर पड़ता है.

गरमियों में सैक्स ड्राइव जाड़े की तुलना में बेहतर: विडंबना यह है कि गरमी के मौसम में ठंड की अपेक्षा सैक्स की इच्छा ज्यादा होती है. वैज्ञानिकों के अनुसार इस के लिए हारमोन बधाई का पात्र है. महिलाओं के सैक्स हारमोन गरमी और सनशाइन में ज्यादा बनते हैं जिस के चलते उन में सैक्स ड्राइव बढ़ा देता है. इसके अलावा फील गुड न्यूरो ट्रांसमीटर, सैरोटोनिन, महिलाओं और पुरुषों दोनों में वसंत और गरमी में ज्यादा बनते हैं जिस के चलते मूड अच्छा रहता है.

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जाड़े में सैक्स ड्राइव: इस मौसम में फील गुड हारमोन. सैरोटोनिन कम बनता है और महिलाओं में ऐस्ट्रोजन भी कम बनता है जिस के चलते सैक्स में कमी हो सकती है. इस के अतिरिक्त ठंड में बदन पर हमेशा ज्यादा कपड़े होने से स्किन का ऐक्सपोजर कम होता है जिस के चलते परस्पर आकर्षण में कुछ कमी होती है. इस मौसम में अनड्रैस होना भी कठिन है. धूप में कम ऐक्सपोजर होने से विटामिन डी का कम बनना भी एक कारण हो सकता है.

मौनसून सैक्स के लिए सब से अच्छा: मौनसून को सैक्स के लिए सर्वोत्तम मौसम माना जाता है. बिजली की चमक और बादलों की गर्जना से एक अलग थ्रिल का एहसास होता है और सैक्स का उन्माद जाग्रत होता है.

ठंडी हवा और बारिश की फुहारें सैक्स की चिनगारी भड़काती हैं. बरसात में कडलिंग से लव हारमोन औक्सीटोसिन भी ज्यादा बनता है जो दोनों पार्टनर में सैक्स ड्राइव बढ़ा देता है.

इन अध्ययन से प्रतीत होता है कि कुछ व्यक्ति मौसम के प्रति लचीला व्यवहार करते हैं यानी एक तरह से वैदरपू्रफ हैं, उन पर किसी मौसम का कोई खास असर नहीं पड़ता है. सब से अच्छी बात यह है कि ज्यादातर आदमी स्वाभाविक रूप से मौसम के अनुकूल अपने को एडजस्ट कर सकता है.

दूसरी ओर कुछ लोग मौसम विशेष के प्रति संवेदनशील होते हैं और मौसम की प्रतिक्रिया की तीव्रता उस व्यक्ति विशेष पर निर्भर करती है.

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मनपसंद के लिए इतना तो कीजिए

लेखिका -स्नेहा सिंह

अब उस से मिलने के लिए मन बेचैन नहीं होता. सबकुछ छोड़ कर उस के पास जाने की इच्छा की धार कुंद हो गई है. बातों के विषय खत्म हो गए हैं. भावनाएं फर्ज बन कर रह गई हैं. शरीर का आकर्षण मर चुका है. जो स्पर्श पतिंगे उड़ा सकता था, अब वह शरीर पर कांटे की तरह चुभता है. संस्कार कमिटमैंट, संबंध और समाज ने अभी एकदूसरे के साथ जोड़ रखा है. पर सचाई और कही न जा सके वास्तविकता यह है कि अब उस के साथ पहले जैसा अच्छा नहीं लगता.

जब आप किसी के साथ संबंध में होती हैं तो उस संबंध को बनाए रखने के लिए उस का जमाउधार नियमित जांचते रहना चाहिए. धंधे में संबंध का उसूल और संबंध में धंधे का उसूल रखने और पालन करने की कोशिश करेंगी तो दोनों ओर से कोई दिक्कत नहीं आएगी. आप महिला हैं. आप को मनपसंद पुरुष के लिए हमेशा इंटरैस्टिंग बने रहना जरूरी होगा.

आप को इंटरैस्टिंग बने रहना होगा

सामाजिक जिम्मेदारियों और बच्चों के बीच महिलाएं इस तरह खो जाती हैं कि पति के प्रति इंटरैस्टिंग बन कर रहना भूल जाती हैं. ऐसा ही पति के साथ भी होता है. पैसा और नाम कमाने में व्यस्त रहना पतिपत्नी को ‘अच्छा’ लगने की कोशिश नहीं कराता. प्रेम संबंध में भी ऐसा ही होता है. इंटरैस्टिंग बन कर रहना यानी आप अपने पसंद के व्यक्ति के लिए शारीरिक और मानसिक, दोनों तरह से रुचिकर रहें.

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मानसिक अपग्रेडेशन

एक घर अच्छी तरह चले, इस में गृहिणी की बहुत बड़ी भूमिका होती है पर घर संभालने के चक्कर में गृहिणियां संबंध संभालने में चूक जाती हैं. आप हाउसवाइफ हैं तो क्या हो गया. मानसिक रूप से अपग्रेडेड रह सकती हैं और रहना भी चाहिए. हाउसवाइफ को पढ़ना चाहिए, अच्छी फिल्में देखनी चाहिए, अच्छे गाने सुनने चाहिए और देशविदेश के समाचार जानने चाहिए.

शरीर

शरीर को संभालना और यथास्थित रखना महिलाओं के लिए एक नैशनल समस्या बन गई है. कमर लचीली न रहे, चलेगा, पर वहां चरबी घर कर जाए, यह नहीं चलेगा. सैक्सलाइफ के लिए शरीर को संभाल कर रखना जरूरी है. नियमित वैक्स, अंडरआर्म्स, विकिनी वैक्स कराते रहना जरूरी है. प्राइवेट पार्ट की सफाई भी उतनी ही जरूरी है.

मैनर्स

पति की अनुपस्थिति में उन का व्हाट्सऐप पढ़ना, उन का कौल लौग देखना मैनर्स नहीं है. ऐसा ही पत्नी के फोन के साथ भी नहीं किया जा सकता. खाना आप बहुत अच्छा बनाती हैं, पर उसे परोसना भी आना चाहिए. थाली में सब्जी कहां रखी जाए और रोटी किस तरह रखी जाए, यह सब पता होना चाहिए. कहां रोका जाए, इस का भी ज्ञान होना चाहिए. आप को समय नहीं देते, यह शिकायत हर समय नहीं होनी चाहिए.

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अभिव्यक्ति

किसी भी संबंध को बनाए रखने के लिए अभिव्यक्ति बहुत जरूरी है. आप कितना प्रेम करती हैं, आप एकदूसरे को कितना मिस करते हैं, आप दोनों को क्या अच्छा लगता है, क्या नहीं , इस बात की अभिव्यक्ति जरूरी है. तमाम लोग यह कह देते हैं कि मैं इंट्रोवर्ट हूं, पर इंट्रोवर्ट रह कर भी आप के व्यवहार से प्रेम की अभिव्यक्ति हो सकती है.

आप के पार्टनर की बदल रही जरूरतें आप को पता होनी चाहिए. उसे आप से क्या अपेक्षाएं हैं, इस की भी आप को खबर होनी चाहिए. बातबात में आप को अपनी जरूरतें भी पार्टनर से कह देनी चाहिए.

शादी से पहले प्यार की सीमाएं

प्राय: मंगनी होते ही लड़कालड़की एकदूसरे को समझने के लिए, प्यार के सागर में गोते लगाना चाहते हैं. एक बात तो तय रहती है खासकर लड़के की ओर से, क्या फर्क पड़ता है, अब तो कुछ दिनों में हम एक होने वाले हैं, फिर क्यों न अभी साथ में घूमेंफिरें. उस की ओर से ये प्रस्ताव अकसर रहते हैं कि चलो रात में घूमने चलते हैं, लौंग ड्राइव पर चलते हैं. वैसे तो आजकल पढ़ीलिखी पीढ़ी है, अपना भलाबुरा समझ सकती है. वह जानती है उस की सीमाएं क्या हैं. भावनाओं पर अंकुश लगाना भी शायद कुछकुछ जानती है. पर क्या यह बेहतर न होगा कि जिसे जीवनसाथी चुन लिया है, उसे अपने तरीके से आप समझाएं कि मुझे आनंद के ऐसे क्षणों से पहले एकदूसरे की भावनाओं व सोच को समझने की बात ज्यादा जरूरी लगती है. मन न माने तो ऐसा कुछ भी न करें, जिस से बाद में पछतावा हो.

मेघा की शादी बहुत ही सज्जन परिवार में तय हुई. पढ़ालिखा, खातापीता परिवार था. मेघा मल्टीनैशनल कंपनी में अच्छे ओहदे पर थी. खुले विचारों की लड़की थी. मंगनी के होते ही लड़के के घर आनेजाने लगी. जिस बेबाकी से वह घर में आतीजाती थी, लगता था वह भूल रही थी कि वह दफ्तर में नहीं, ससुराल परिवार में है. शुरूशुरू में राहुल खुश था. साथ आताजाता, शौपिंग करता. ज्योंज्यों शादी के दिन नजदीक आते गए दूरियां और भी सिमटती जा रही थीं. एक दिन लौंग ड्राइव पर जाने के लिए मेघा ने राहुल से कहा कि क्यों न आज शाम को औफिस के बाद मैं तुम्हें ले लूं. लौंग ड्राइव पर चलेंगे. एंजौय करेंगे. पर यह क्या, यहां तो अच्छाखास रिश्ता ही फ्रीज हो चला. राहुल ने शादी से इनकार कर दिया. कार्ड बंट चुके थे, तैयारियां पूरी हो चली थीं. पर ऐसा क्या हुआ, कब हुआ, कैसे हुआ? पूछने पर नहीं बताया, बस इतना दोटूक शब्दों में कहा कि रिश्ता खत्म. बहुत बाद में जा कर किसी से सुनने में आया कि मेघा बहुत ही बेशर्म, चालू टाइप की लड़की है. राहुल ने मेघा के पर्स में लौंग ड्राइव के समय रखे कंडोम देख लिए. यह देख कर उस ने रिश्ता ही तोड़ना तय कर लिया. शायद उसे भ्रम था मेघा पहले भी ऐसे ही कई पुरुषों के साथ इस बेबाकी से पेश आ चुकी होगी. आजकल की लड़कियों में धीरेधीरे लुप्त होती जा रही लोकलाज, लज्जा की भनक भी मेघा के सरल व्यवहार में मिलने लगी थी. इन बातों की वजह से ही रिश्ता टूटने वाली बात हुई.

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कौन सी बातें जरूरी

इसलिए बेहतर है कोर्टशिप के दौरान आचरण पर, अपने तौरतरीकों पर, बौडी लैंग्वेज पर विशेष ध्यान दें. वह व्यक्ति जिस से आप घुलमिल रही हैं, भावी जीवनसाथी है, होने वाला पति है, हुआ नहीं. तर्क यह भी हो सकता है, सब कुछ साफसाफ बताना ही ठीक है. भविष्य की बुनियाद झूठ पर रखनी भी तो ठीक नहीं. लेकिन रिश्तों में मधुरता, आकर्षण बनाए रखने के लिए धैर्य की भावनाओं को वश में रखने की व उन पर अंकुश लगाने की जरूरत होती है.

प्यार में डूबें नहीं

शादी के पहले प्यार के सागर में गोते लगाना कोई अक्षम्य अपराध नहीं. मगर डूब न जाएं. कुछ ऐसे गुर जरूर सीखें कि मजे से तैर सकें. सगाई और शादी के बीच का यह समय यादगार बन जाए, पतिदेव उन पलों को याद कर सिहर उठें और आप का प्यार उन के लिए गरूर बन जाए और वे कहें, काश, वे पल लौट आएं. इस के लिए इन बातों के लिए सजग रहें- 

हो सके तो अकेले बाहर न जाएं. अपने छोटे भाईबहन को साथ रखें.

बहुत ज्यादा घुलनामिलना ठीक नहीं.

मुलाकात शौर्ट ऐंड स्वीट रहे.

घर की बातें न करें.

अभी से घर वालों में, रिश्तेदारों में मीनमेख न निकालें.

एकदूसरे की भावनाओं का सम्मान करें.

अनर्गल बातें न करें.

बेबाकी न करें. बेबाक को बेशर्म बनते देर नहीं लगती.

याद रहे, जहां सम्मान नहीं वहां प्यार नहीं, इसलिए रिश्तों को सम्मान दें.

कोशिश कर दिल में जगह बनाएं. घर वाले खुली बांहों से आप का स्वागत करेंगे.

मनमानी को ‘न’ कहने का कौशल सीखें.

चटोरी न बनें

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छोटा घर कैसे बनाएं संबंध

बड़े शहरों में सब से बड़ी समस्या आवास की होती है. 2 कमरों के छोटे से फ्लैट में पतिपत्नी, बच्चे और सासससुर रहते हैं. ऐसे में पतिपत्नी एकांत का नितांत अभाव महसूस करते हैं. एकांत न मिल पाने के कारण वे सैक्स संबंध नहीं बना पाते या फिर उन का भरपूर आनंद नहीं उठा पाते क्योंकि यदि संबंध बनाने का मौका मिलता है तो भी सब कुछ जल्दीजल्दी में करना पड़ता है. संबंध बनाने से पूर्व जो तैयारी यानी फोरप्ले जरूरी होता है, वे उसे नहीं कर पाते. इस स्थिति में खासकर पत्नी चरमसुख की स्थिति में नहीं पहुंच पाती है. पतिपत्नी को डर लगा रहता है कि कहीं बच्चे न जाग जाएं, सासससुर न उठ जाएं. मैरिज काउंसलर दीप्ति सिन्हा का कहना है, ‘‘संबंध बनाने के लिए एकांत न मिलने के कारण महिलाएं चिड़चिड़ी, झगड़ालू और उदासीन हो जाती हैं और फिर धीरेधीरे दांपत्य जीवन में दरार पड़नी शुरू हो जाती है, यह दरार अनेक समस्याएं खड़ी कर देती है. कभीकभी तो नौबत हत्या या आत्महत्या तक की आ जाती है.’’

कहीअनकही

विकासपुरी की रहने वाली सीमा के विवाह को 5 वर्ष हो गए हैं. इस दौरान उस के 3 बच्चे हो गए. तीनों बच्चों की देखभाल, सासससुर की सेवाटहल और घर का काम करतेकरते शाम होतेहोते वह पूरी तरह थक जाती है. सीमा का कहना है कि उस के तीनों बच्चे पति के साथ ही बड़े बैड पर सोते हैं. सीमा पलंग के पास ही नीचे जमीन पर बिस्तर लगा कर सोती है. उसे हर वक्त यही डर लगा रहता है कि सैक्स करते समय कोई बच्चा उठ कर उन्हें देख न ले. परिणामस्वरूप वह सैक्स का पूर्ण आनंद नहीं उठा पाती. इस के असर से वह निराशा से घिरने लगी हैं. ढंग से कपड़े पहनने, सजनेसंवरने का उस का मन ही नहीं करता. फिर वह सजेसंवरे भी किसलिए? स्थिति यह हो गई है कि अब पतिपत्नी दोनों में मनमुटाव रहता है.

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खानपान का असर

मांसमछली, शराब आदि का सेवन करने वाले पतियों की सैक्स की अधिक इच्छा होती है और इसीलिए वे न समय देखते हैं और न माहौल, पत्नी पर भूखे भेडि़ए की तरह टूट पड़ते हैं. संबंध बनाने से पहले फोरप्ले की बात तो दूर, वे यह भी नहीं देखते हैं कि बच्चे सोए हैं या जाग रहे हैं अथवा मांबाप ने देख लिया तो वे क्या सोचेंगे. ऐसे में कई बार पत्नी को सासससुर के सामने शर्म महसूस होती है. मांबाप अपने बेटे को कुछ न कह कर बहू को ही सैक्स के लिए उतावली मान बैठते हैं.

संयुक्त परिवार का दबाव

हमारे समाज में विवाह 2 प्राणियों का ही संबंध नहीं, बल्कि 2 परिवारों का संबंध भी होता है. लेकिन मौजूदा हालत में पतिपत्नी अकेले ही अपने बच्चों के साथ रहना पसंद करते हैं. यह उन की मजबूरी भी है, लेकिन यदि पत्नी को परिस्थितिवश सासससुर के साथ छोटे से आशियाने में 2-3 बच्चों के साथ रहना पड़े तो वह कई बार मानसिक दबाव महसूस करती है. सासससुर से शर्म और बातबात पर उन की टोकाटोकी से परेशान बहू पति के लिए खुद को न तो तैयार कर पाती है और न ही एकांत ही ढूंढ़ पाती है. मनोरोगचिकित्सक डाक्टर दिनेश के अनुसार, ‘‘कई बार मेरे पास ऐसे केस आते हैं कि शादी के बाद बच्चे जल्दीजल्दी हो गए. पत्नी उन की देखभाल में लगी रहती है और पति के प्रति उदासीन हो जाती है. इस के चलते पति भी कटाकटा सा रहने लगता है.’’

समय निकालना जरूरी

सैक्स ऐक्स्पर्ट डा. अशोक के अनुसार, ‘‘वास्तव में सैक्स के लिए उम्र की सीमा निर्धारित नहीं होती है कि आप 35 या 40 साल के हो गए हैं. छोटा घर है, बच्चे हैं, सैक्स ऐंजौय नहीं कर सकते. घरगृहस्थी और बच्चों की देखभाल के बाद यदि पतिपत्नी अपने लिए समय निकाल कर शारीरिक संबंध नहीं बनाएंगे तो आगे चल कर उन्हें कई परेशानियां हो सकती हैं. ‘‘डिप्रैशन के अलावा हारमोंस का स्राव भी धीरेधीरे कम हो जाता है. ऐसी स्थिति में अचानक संबंध बनाने पर पत्नी को तकलीफ होती है. फिर निरंतर तनाव बने रहने पर कभीकभी ऐसी स्थिति बन जाती है कि पत्नी को हिस्टीरिया के दौरे तक पड़ने लगते हैं.’’

मन की बात

जनकपुरी की रहने वाली काजल और राजेश ने लव मैरिज की है. उन की शादी को 7 साल हुए हैं. इन 7 सालों में 3 बच्चे भी हो गए. पहला बच्चा 3 साल का है. उस के बाद 2 बेटियां डेढ़ साल और 7 महीने की हैं. काजल कहती हैं, ‘‘हम शादी के शुरुआती दिनों से ही बहुत झगड़ते आ रहे हैं. वजह है राजेश का प्लान कर के साथ नहीं चलना. राजेश ने कहा था कि वे अपने मातापिता के लिए पड़ोस में ही मकान खरीद लेंगे. छोटे से 2 कमरों के मकान में हम ढंग से नहीं रह पाते हैं. मैं राजेश से अपने मन की बात नहीं कर पाती.

‘‘बस, यही डर लगा रहता है कि कहीं सासूमां कुछ कह न दें. जबकि मन की बात करने का मौका पतिपत्नी दोनों को ही मिलना चाहिए.’’ अगर आप भी इस समस्या से गुजर रहे हैं तो निम्न उपाय अपना कर शारीरिक संबंधों का पूर्ण आनंद उठा सकते हैं-

बच्चों को चाचा, मामा के पास भेजें. उन के बच्चों के लिए कोई भेंट भेजें. ऐसा उस समय करें जब सासससुर कहीं शादीविवाह में बाहर गए हों.

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यदि मांबाप को फिल्म देखने या पिकनिक मनाने भेज रहे हों तो बच्चों को भी उन के साथ भेज दें.

अगर आप का कोई मित्र छुट्टी पर अपने घर जा रहा हो तो उस के घर की देखभाल के लिए रात में पतिपत्नी वहां रहें और सैक्स ऐंजौय करें. बदले में मित्र के घर लौटने से पहले घर को सजासंवार कर अच्छा सा खाना बना कर उन के लिए रखें.

संबंध बनाने के लिए यह जरूरी नहीं है कि फोरप्ले ठीक सैक्स से पहले हो. उसे बारबार थोड़ेथोड़े समय में जब भी जहां भी समय मिले किया जा सकता है. इस से सैक्स के समय दोनों पूरी तरह तैयार होंगे.

सुबह जब बच्चे स्कूल जा चुके हों तब मातापिता को सुबह घूमने जाने के लिए प्रेरित करें.

सैक्स का समय बदलें. नयापन मिलेगा.

पत्नी के साथ हर 15 दिन बाद कहीं डेट पर जाएं. यानी गैस्टहाउस या होटल में जा कर रहें और सैक्स ऐंजौय करें.

गरमी का मौसम हो तो पत्नी को देर रात छत पर बने कमरे में ले जाएं.

बरसात की रात में भी पत्नी को छत पर बने कमरे में ले जा कर बरसात की फुहारों का आनंद लेते हुए सैक्स एंजौय करें.

सुबह बच्चों के स्कूल जाने के बाद, रात में छत पर और किसी दिन यदि आप औफिस से जल्दी घर आते हैं और बच्चे स्कूल से नहीं आए हैं, मातापिता पड़ोस में गए हैं, तब भी आप सैक्स ऐंजौय कर सकते हैं. हां, इस के लिए आप पत्नी को पहले से ही तैयार कर लें.

मदिरापान और मैरिड लाइफ से जुड़ी बातों के बारे में बताएं?

सवाल

मैं 32 वर्षीय पुरुष हूं. मैं ने सुना है कि मदिरापान से सैक्स क्षमता बढ़ जाती है. क्या यह बात सच है? क्या किसी हलकेफुलके नशे का कामोन्माद पर कोई असर पड़ता है?

जवाब

मदिरापान और यौन क्षमता के बीच के संबंध को न केवल समाज में, बल्कि पुराने चलचित्रों और नाटकों में भी तरह तरह से उकेरा गया है. शायद इसी के चलते समाज में यह धारणा भी बहुप्रचलित है कि मदिरा सेवन से यौन क्षमता बढ़ जाती है.

मदिरा थोड़ी लें या अधिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालती है. मदिरा से प्रेम के सुर झंकृत होते हों, ऐसा ठीक नहीं मालूम होता. मदिरा लेने के बाद संवेदनशीलता भी किसी सीमा तक कम हो जाती है.

60 मिलीलीटर से अधिक मात्रा में ली गई मदिरा यौन क्षमता को पक्के तौर पर घटाती है. सचाई से नाता टूटने के कारण तरह तरह के भ्रम भी जन्म ले सकते हैं. लंबे समय तक निरंतर मदिरा सेवन करते रहने से पुंसत्वहीनता भी उत्पन्न हो जाती है.

हलकेफुलके नशे से आप का तात्पर्य क्या है, यह समझ पाना मुश्किल है. पर गांजा, चरस और कोकीन का लंबे समय तक बराबर सेवन यौन सामर्थ्य समाप्त कर सकता है. दूसरे नशों और कुछ दवाओं के सेवन पर भी यही समस्या आम देखी जाती है.

इसी प्रकार प्रशांतक दवाएं जैसे डायजेपाम, लोराजेपाम, सिडेटिव दवाएं, अल्सररोधी दवा रैनिटिडाइन और ब्लडप्रैशर घटाने के लिए दी जाने वाली कुछ उच्च रक्तचापरोधक दवाएं भी पुरुष यौन सामर्थ्य के आड़े आ सकती हैं.

सैक्स का सुख पाने के लिए किसी भी प्रकार के नशे पर निर्भर रहने के बजाय आपसी प्रेम होना अधिक माने रखता है.

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अगर आप अपने जीवनसाथी के साथ पहले मिलन को यादगार बनाना चाहती हैं तो आप को न केवल कुछ तैयारी करनी होंगी, बल्कि साथ ही रखना होगा कुछ बातों का भी ध्यान. तभी आप का पहला मिलन आप के जीवन का यादगार लमहा बन पाएगा.

करें खास तैयारी: पहले मिलन पर एकदूसरे को पूरी तरह खुश करने की करें खास तैयारी ताकि एकदूसरे को इंप्रैस किया जा सके.

डैकोरेशन हो खास: वह जगह जहां आप पहली बार एकदूसरे से शारीरिक रूप से मिलने वाले हैं, वहां का माहौल ऐसा होना चाहिए कि आप अपने संबंध को पूरी तरह ऐंजौय कर सकें.

कमरे में विशेष प्रकार के रंग और खुशबू का प्रयोग कीजिए. आप चाहें तो कमरे में ऐरोमैटिक फ्लोरिंग कैंडल्स से रोमानी माहौल बना सकती हैं. इस के अलावा कमरे में दोनों की पसंद का संगीत और धीमी रोशनी भी माहौल को खुशगवार बनाने में मदद करेगी. कमरे को आप रैड हार्टशेप्ड बैलूंस और रैड हार्टशेप्ड कुशंस से सजाएं. चाहें तो कमरे में सैक्सी पैंटिंग भी लगा सकती हैं.

फूलों से भी कमरे को सजा सकती हैं. इस सारी तैयारी से सैक्स हारमोन के स्राव को बढ़ाने में मदद मिलेगी और आप का पहला मिलन हमेशा के लिए आप की यादों में बस जाएगा.

सैल्फ ग्रूमिंग: पहले मिलन का दिन निश्चित हो जाने के बाद आप खुद की ग्रूमिंग पर भी ध्यान दें. खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करें. इस से न केवल आत्मविश्वास बढ़ेगा, बल्कि आप स्ट्रैस फ्री हो कर बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगी. पहले मिलन से पहले पर्सनल हाइजीन को भी महत्त्व दें ताकि आप को संबंध बनाते समय झिझक न हो और आप पहले मिलन को पूरी तरह ऐंजौय कर सकें.

दूर रहें या पास, जगे रहें एहसास

विवाह का मकसद ही है लंबी दूरी तक एकसाथ चलते जाना, पर दूरी से विवाह और अपने फूलतेफलते कैरियर को क्यों प्रभावित होने दें? आजकल कई लड़कियां अपने लौंग डिस्टैंस रिलेशनशिप को अपने कैरियर के बीच में नहीं आने देना चाहतीं. इस विषय पर कुछ पत्नियों से बात की गई. उन के विचार जान कर समाज में आता बदलाव साफ दिखाई देता है.

अलग अलग रहना आसान नहीं

मुंबई की कविता टीवी सीरियल्स में काम करती हैं. 7 साल पहले उन का विवाह दिल्ली के एक बिजनैसमैन से हुआ था. वे बताती हैं, ‘‘अलगअलग रहना आसान नहीं है. बहुत धैर्य रखना पड़ता है. एकदूसरे पर विश्वास रखना पड़ता है और एकदूसरे को समझना पड़ता है. हम अकसर फोन पर ही रहते हैं. वीडियो कौल चलती रहती है. हम अपने रिश्ते को अच्छा बनाने की कोशिश करते हैं. रोज हमें एकदूसरे के बारे में पता चलता रहता है. 2-3 महीनों बाद ही मिलना होता है. बीचबीच में काम नहीं होता तो साथ रहना होता है. जब भी हम लंबे समय बाद मिलते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे खोया प्यार मिल गया हो. यहां मुंबई में मैं अपने मातापिता के साथ रहती हूं. जब मुंबई में होती हूं पति और ससुराल की हर चीज याद आती है. दिल्ली में होती हूं तो पेरैंट्स याद आते हैं.’’

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रिश्ते में विश्वास जरूरी

अंधेरी, मुंबई निवासी सीमा बंसल ने दुबई निवासी अनिल मेहरा से विवाह किया. जैसे ही सीमा ने वहां जा कर घरगृहस्थी संभाली, उन्हें मुंबई में ड्रैस डिजाइनिंग का एक नया काम मिला. तब से वे हर महीने 15 दिनों के लिए मुंबई आती हैं. सीमा ने अपने अनुभव के बारे में बताया, ‘‘अब जीवन खूबसूरत लगता है. मैं दुबई शिफ्ट कर चुकी थी, क्योंकि मुझे अपनी घरगृहस्थी पर पूरा ध्यान देना था पर मैं यह औफर लेने से खुद को रोक नहीं पाई. मेरी ससुराल वाले आधुनिक और विकसित सोच वाले हैं. वे मुझ से पारंपरिक बहू बनने की उम्मीद भी नहीं करते. अनिल मेरे सब से अच्छे दोस्त हैं. वे अच्छी तरह जानते हैं कि वे मेरे लिए सब से महत्त्वपूर्ण हैं और वे मेरी दुनिया हैं. हमारा अफेयर 2 साल चला था. तब भी ये लौंग डिस्टैंस रिलेशन ही था. असल में दूर रहने से हम एकदूसरे को और अच्छी तरह जान गए. हमारे शौक भी एकजैसे हैं और हम एकदूसरे की स्पेस का सम्मान करते हैं. हमारे रिश्ते में विश्वास और अंडरस्टैंडिंग 2 ठोस चीजें हैं. जब मैं मुंबई में होती हूं, उन्हें बहुत याद करती हूं.’’

एक नया अनुभव

गीता देसाई दिल्ली में एक मौडल हैं. उन्होंने यू.एस. में रहने वाले वौलेंटियों से विवाह किया है. वे भी अब वहीं रहती हैं पर जब उन्हें कोई शो औफर होता है वे दिल्ली आ जाती हैं. वे कहती हैं, ‘‘इस विवाह ने मुझे एक ताकत, एक संतुलन दिया है. अब मैं ज्यादा सेफ, रिलैक्स्ड और तनावमुक्त रहती हूं. वे बहुत अंडरस्टैंडिंग हैं. मैं अपनी प्रोफैशनल और पर्सनल लाइफ कैसे बैलेंस करती हूं यह देख कर वे हमेशा खुश होते हैं. बहुत दिनों के बाद मिलना हमेशा एक नया अनुभव होता है. विश्वास और सम्मान लौंग डिस्टैंस रिलेशनशिप की 2 महत्त्वपूर्ण चीजें हैं. मैं स्वयं को खुशहाल समझती हूं. मैं कई तरह के कल्चर, परंपराओं, लोगों और लाइफस्टाइल का अनुभव कर रही हूं.’’

आपसी प्यार और सहयोग जरूरी

मुंबई की ही अभिनेत्री नीता बंसल का कहना है, ‘‘मेरे पति कोलकाता में रहते हैं. मैं ने बे्रक लेने का फैसला किया था पर मेरे पति और सासूमां ने 6 महीनों बाद काम करने की छूट दे दी. उन्होंने मुझे अपनी मरजी से काम करने के लिए कहा. उन्हीं दिनों एक सीरियल का औफर मिला तो मैं फिर मुंबई आ गई. वीडियो चैट होती रहती है. मेरे पति का भी काम से मुंबई आना होता रहता है. कभी मैं चली जाती हूं तो कभी सब को बुला लेती हूं.’’

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इन सब के विचार जानने के बाद लंबी दूरी के विवाह में सब से जरूरी चीजें हैं, आपस में विश्वास और अंडरस्टैंडिंग. वैसे देखा जाए तो ये हर विवाह में जरूरी है, पर कई बार रोज साथ रह कर भी रिश्ते में खटास आ जाती है और कई बार दूर रह कर भी प्यार बना रहता है. आजकल लड़कियां भी कैरियर में कम मेहनत नहीं करतीं. ऐसे में विवाह के बाद सारी मेहनत पर पानी फिर जाना उन्हें अच्छा नहीं लगता. ऐसी स्थिति में जीवनसाथी और ससुराल वालों का थोड़ा सहयोग मिल जाए तो वे भी प्रोफैशनल और पर्सनल लाइफ में सफल हो कर जीवन का आनंद उठा सकती हैं. बात बस आपसी प्यार और सहयोग पर ही निर्भर करती है.

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