पिछला भाग- ज़िन्दगी-एक पहेली: भाग-6
अविरल ने अनु की डायरी के बारे में किसी को कुछ न बताने का निश्चय किया.अविरल ने अकेले में अनु की डायरी पढ़नी शुरू की. डायरी पढ़ते ही अविरल को पता चला कि अनु रातों दिन पढ़ाई में लगी रहती थी।वो अपनी पढ़ाई को लेकर बहुत ज्यादा परेशान रहा करती थी. अगर अनु किसी दिन अच्छी तरह पढ़ नहीं पाती तो वह अपनी डायरी में लिखकर अपने आपको कोसती .अनु का अकेलापन डायरी में बिलकुल साफ झलक रहा था.
अविरल के मम्मी पापा ने न चाहते हुए भी अनु का एड्मिशन हॉस्टल में कराया था क्योंकि अनु की मौसी के घर में पढ़ाई का माहौल नहीं था और उन्होंने सोचा की जब भी अनु का मन करेगा तो वह अपनी मौसी के घर चली जाएगी.
अनु की मौसी और मामा दिल्ली में ही रहते थे लेकिन फिर भी अनु को इतना अकेलापन.यह बात अविरल को अटक सी गयी.वह डायरी को आगे पढ़ने लगा तो उसे पता चला कि हॉस्टल में पहुँचने के बाद अनु की दोस्ती एक लड़की(स्वाती) से हुई जो कि उसकी रूममेट भी थी.वह बहुत अच्छी थी.उसका एक दोस्त(अरविंद) था जो दिल्ली में ही रहता था और उसी कॉलेज में पढ़ता था.अरविंद और स्वाति एक ही कॉलेज में थे इसलिए अक्सर उनका मिलना- जुलना हो जाता था. चूंकि अनु स्वाति की दोस्त थी इसलिए कभी- कभार वो अरविंद से बात कर लेती थी. धीरे-धीरे अरविंद अनु को पसंद करने लगा था. उसने इस बारे में स्वाती को बताया.तो स्वाती भी उसका साथ देने को तैयार हो गयी.स्वाती ने अनु को यह बात बताई लेकिन अनु का तो केवल एक ही सपना था…. अपने पापा का सपना पूरा करना कि “अनु देश कि सबसे अच्छी डॉक्टर बने”.अनु के पास तो इन सबके लिए टाइम ही नहीं था तो उसने स्वाती को सारी बात बताकर मना कर दिया।
लेकिन अरविंद की दीवानगी धीरे-धीरे कब एक ज़िद में बदल गयी इसका एहसास अनु को तब हुआ जब अरविन्द ने अपने और अनु को लेकर झूठी अफवाह पूरे कॉलेज में फैला दी.जिससे अनु को बहुत दुख हुआ.अनु ने अपने पापा को सब बताने कि कोशिश भी की लेकिन पापा और परेशान न हों इसलिए उसने सोचा की मै खुद ही हैंडल कर लूँगी.पर जब बात हद से ज्यादा बढ़ने लगी तो उसने मौसी लोगों से मदद लेने को सोचा।
अगले ही संडे वह मौसी के घर गयी.वो जैसे ही घर पहुंची वैसे ही सब लोगों ने उस पर comment करना शुरू कर दिया. अनु को कुछ समझ नहीं आया और वह अंदर चली गयी.थोड़ी देर बाद जब सभी लोग हाल में बैठे, अनु ने बताने का सोचा तब उसे पता चला कि उन्हे पहले से ही सबकुछ पता है।दरसल अमन का दोस्त अनु के कॉलेज में उसका सीनियर था और उसी ने नमक- मिर्च लगाकर वो सारी बातें अनु की मौसी के घर बता दी. सभी ने अनु को बुरा भला कहना शुरू कर दिया.किसी ने अनु कि कोई बात नहीं सुनी और उसे ही कसूरवार ठहरा दिया गया.अनु बहुत दुखी हुई.वह उठी और बिना कुछ बोले अपना समान उठाकर हॉस्टल चली गयी.वह पहला दिन था जब अनु अपने आपको पूरा परिवार होते हुए भी एकदम अकेला फील कर रही थी.वह अपने पापा और अविरल को भी परेशान नहीं करना चाहती थी।वह दिन रात रोती रही पर उसके आंसू पोछने वाला कोई नहीं था.उसकी डायरी ही उसका एकमात्र सहारा थी.
अब अनु बहुत ज्यादा डिप्रेस रहने लगी ,अब अनु के सर में हमेशा ही दर्द बना रहता.वह अपने पास हमेशा pain –killer रखती और जब भी सर दर्द होता खा लेती.
उसने अपनी डायरी में लिखा…..आज रात मुझे सर में बहुत दर्द हुआ तो स्वाति मुझे डॉक्टर के पास ले गयी.भैया अगर आज तुम मेरे पास होते तो मै तुमसे फूट-फूटकर रोती ….
डॉक्टर ने अनु को कुछ दवा दी और साथ ही साथ नींद की भी दवा दी.पर अब अनु डेली डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के बिना 3-4 pain –killer लेने लगी.अनु अन्दर से बिलकुल खोखली होती जा रही थी.
अनु ने जहां -जहां भी रोकर डायरी में कुछ भी लिखा था, वहाँ उसके आंसूओं के निशान पड़ गए थे.अविरल का दिल निकलकर बाहर आने लगा जब उसने अनु के आँसू के निशान देखे.वह आगे कुछ नहीं पढ़ पाया और बहुत रोया.अविरल के पापा ने जैसे ही अविरल को आवाज दी वह डायरी को छुपाकर वाशरूम चला गया और खूब रोया.वह अकेले में रोता जिससे उसे देखकर और लोगों को दुख न हो.वह वाशरूम से आया और नॉर्मल ही सभी से बात .वह नींद आने का बहाना बनाकर अपने कमरे में चला गया , लेकिन नींद तो उसकी आँखों से कोसों दूर थी.रात भर वह अनु के बारे में ही सोचता रहा.अनु के बारे में ही सोचते- सोचते न जाने कब सुबह हो गयी.अगले दिन फिर अविरल अनु की डायरी लेकर बाहर निकल गया.
अविरल ने डायरी आगे पढना शुरू की………………..
अनु ने अरविंद को समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन वह नहीं माना.अब स्वाती भी रूम में अरविंद की बातें लेकर बैठ जाती जिससे वह और डिस्टर्ब होती.आखिर में अनु डायरी से ही अपना अकेलापन बांटने लगी.
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अनु अपने आप को बहुत अकेला फील कर रही थी.वह किसी भी तरह अरविंद और स्वाति से छुटकारा पाना चाहती थी.उसने स्वाति से इस बारे में बात की तो स्वाति ने कहा कि “ठीक है तुम एक बार अरविंद से मिल लो और खुद बोल दो फिर वह नहीं आएगा लेकिन यह बात किसी को मत बताना,मै भी वहां रहूंगी” .
अनु मान गयी.लेकिन किसी को न बताने वाली बात को लेकर उसे कुछ शक हुआ तो वह चुपके से अपनी एक दूसरी दोस्त(पूजा) को लेकर अरविंद कि बताई हुई जगह पर गई. हालांकि उसका मन उस जगह पर जाने का बिलकुल भी नहीं था क्योंकि वह उस जगह से बिलकुल अंजान थी. लेकिन वो करती भी क्या.उसको उम्मीद थी की शायद अरविन्द अब उसका पीछा छोड़ देगा. उसने पूजा से छुपने को बोल दिया और खुद अरविंद के पास पहुंची.वहाँ पर उसने देखा कि स्वाति भी पास ही खड़ी है और आसपास कोई भी नहीं था.अरविन्द ने स्वाति को जाने का इशारा करके वहां से भेज दिया.स्वाति के जाने के बाद अरविन्द ने अनु का हाथ पकड़कर बोला,”मै तुम्हे बहुत चाहता हूँ और तुम्हारे बिना रह नहीं सकता.अगर तुम मेरी बात नहीं मानोगी तो मै तुम्हे बदनाम कर दूंगा”.
अनु बहुत डर गयी और वो वहां से रोकर भाग गयी. अगले दिन अरविंद कॉलेज के बाद अनु के पास आया और उसे वीडियो डिवाइस में 1 क्लिप दिखाई जिसमे अनु और अरविंद बात करते हुए दिख रहे हैं और बीच में अरविंद अनु का हाथ पकड़ता है जो कि उसने जानबूझकर पकड़ा था वीडियो के लिए।
अरविंद ने फिर अनु से कहा ,”मेरी बात मान लो ….नहीं तो यह वीडियो वायरल कर दूंगा और बोलूँगा कि अनु ने मुझे अकेले मिलने को बुलाया था”.
अनु ने अरविन्द को बहुत समझाया ,उससे request भी की लेकिन वो कहाँ मानने वाला था.उसके सर पर तो जैसे अनु का भूत सवार था.
अनु वहाँ से बिना कुछ कहे सीधे अपनी मौसी के घर चली गयी और वहाँ जाकर सारी बाते बता दी.
पर कहते है न हमारे पुरुषप्रधान देश में लड़कियों की तब तक नहीं सुनी जाती जब तक उनके निर्दोष होने का सबूत न मिल जाये.
वहां भी ऐसा ही हुआ .किसी ने अनु की बात नहीं सुनी .वो लोग तो उल्टा अनु को ही बातें सुनाने लगे और कहने लगे की तुम गयी ही क्यूँ, तुम्हारे मन में ही पाप होगा और पता नहीं क्या क्या?
अनु ये सब सुनकर बहुत ज्यादा आहत हो गयी .उसने सिर्फ एक ही चीज़ बोली,”मौसी शायद आप ये इसलिए कह रही है क्योंकि आपके कोई लड़की नहीं है ,अगर आपकी लड़की होती तब आप समझती की एक लड़की की इज्ज़त क्या होती है”. अनु बस इतना कहकर मौसी के घर कभी न जाने की कसम खाकर वहाँ से हॉस्टल चली गयी.
हॉस्टल जाते ही अनु ने सारी बात पूजा को बताई तो पूजा ने बोला ,” मैं अच्छी तरह शक्ल तो नहीं देख पायी लेकिन कोई लड़की वीडियो बना रही थी “.तब अनु को स्वाति की याद आई कि वह भी वहीं थी.
अब यह साफ था कि वह विडियो स्वाति ने बनाया है लेकिन अनु को यह कन्फ़र्म करना था.अनु वापस अपने रूम में आ गयी जहां स्वाति पहले से थी.जैसे ही स्वाति वॉशरूम गयी, अनु ने तुरंत स्वाति का कैमरा उठाया और देखने लगी तो उसे वह वीडियो मिल गयी.अनु तुरंत उठी और पूजा को साथ लेकर डीन के घर पहुंची जो कैम्पस में ही रहते थे.पूरी बात बताते बताते अनु कई बार रोयी और बाद में वह वीडियो दिखाई.पूजा ने भी अनु का पूरा साथ दिया.
अगले दिन ही डीन ने अरविंद और स्वाति के पैरेंट्स को बुलाया और दोनों को कॉलेज से निकाल दिया.आज अनु बहुत खुश थी क्योंकि एक तो उसकी परेशानी खत्म हो गयी थी और दूसरी कि उसे 4 दिन बाद अपने घर जाना था दशहरे कि छुट्टी में.
अब डायरी कि लाइंस खत्म हो चुकी थी लेकिन अविरल मन ही मन अपनी मौसी लोगों से नफरत करने लगा .हालांकि उसने यह बातें अपने दिल में दफन कर ली. लेकिन वह जब भी डायरी देखता तो उसे अनु के आँसू याद आते और उसका दिल फट सा जाता.
अगले भाग में हम जानेंगे कि कैसे अविरल अपने आप से लड़ता है जिससे कि वह अपने घर में सभी को खुश रख पाये लेकिन भगवान को तो शायद अभी अविरल की और परीक्षा लेनी थी..