जूही के लिए वहां एक मिनट भी ठहरना मुश्किल हो रहा था. सूप पीने के बाद उस ने अपनी तबीयत ठीक न होने का बहाना बनाया और बिना खाना खाए वापस लौट आई.
घर पहुंच कर उसे लग रहा था जैसे किसी शिकारी के जाल से बच कर आई हो. जूही का जी चाह रहा था कि अभी विहान के पास पहुंच जाए और उस के सीने में अपना मुंह छिपा ले. विहान फिर उसे खूब प्यार करे. स्वयं पर आश्चर्यचकित हो जूही सोच रही थी कि राहुल के हाथ पकड़ने पर उस का मन घृणा से भर उठा था, लेकिन विहान के बाहुपाश में समाने को वह व्याकुल हो रही है. अचानक उस का दिल पूछ बैठा कि कहीं यह प्यार तो नहीं?
रात को सोने से पहले जूही ने व्हाट्सऐप पर विहान को लिखा, ‘‘बहुत याद आ रहो आज, मन कर रहा है मिलने का, साथ में उदास चेहरे वाला इमोजी भी लगा दी.’’
विहान का तुरंत जवाब आ गया कि मोबाइल से हाथ बाहर निकालो. अभी खींच लूंगा.
‘‘मैं मजाक नहीं कर रही हूं. आ जाऊंगी किसी दिन मिलने. आमनेसामने बैठ कर बातें किए कितने दिन हो गए.’’
‘‘मु झे भी अच्छा ही लगेगा तुम्हारा आना, लेकिन एक प्रौब्लम है.’’
‘‘क्या?’’
‘‘यहां 4 कमरे हैं और दोस्त भी 4. सब के कमरे में अपनाअपना सिंगल बैड है. तुम कहां सोओगी रात में?’’
‘‘क्या विहान, मु झे अपने पास नहीं सुला सकते? इतना भी एडजस्ट नहीं करोगे मेरे लिए? तुम बदल गए हो,’’ इस मैसेज के साथ जूही ने रोते चेहरे वाले 2 इमोजी लगा दी.
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‘‘अरे, नहींनहीं… बदला नहीं हूं. आ जाना जब चाहो. मैं इंतजार करूंगा. नाराज मत होना, मेरी जान निकल जाएगी,’’ मैसेज के अंत में लगाने के लिए इमोजी ढूंढ़ते हुए विहान का मन किस करती इमोजी पर जा कर ठहर गया. मन में हलचल होने लगी. जीवन में पहली बार किसी को वह चुंबन करते चेहरे वाला इमोजी भेज रहा था.
विहान की ओर से किसिंग फेस इमोजी और वह भी उस दिन जब जूही कल्पना में विहान के गले लगी हुई थी. जूही के गाल तपने लगे. सोच में पड़ गई कि अब क्या टाइप करे?
जब कुछ देर तक जवाब नहीं आया तो बातचीत का रुख बदलते हुए विहान ने लिखा, ‘‘कल मैं अपने औफिस न जा कर एमजी रोड जाऊंगा, वहां के एक औफिस में काम है. 4 फ्रैंड्स भी जा रहे हैं साथ. तीन दिन रुक कर वापस आएंगे हम सब… और हां… उन चारों फ्रैंड्स में एक लड़की भी है.’’
जवाब में जूही ने लिखा, ‘‘सो व्हाट…? लड़की ही तो जा रही है न या फिर वह कोई भूतनी है कि स्पैश्ली बता रहे हो?’’ मैसेज भेजते ही अपने डाउनलोड किए स्टिकर्स में से झाड़ू पर बैठी विच का स्टिकर लगाना नहीं भूली जूही.
विहान की हंसी छूट गई. उस ने लिखा, ‘‘भूतनी हो या हूर की परी, मु झे किसी और से क्या लेनादेना अब?’’
जूही के मन की वीणा के तार झंकृत होने लगे. पूछना तो चाहती थी कि फिर अब किस से लेनादेना है यह तो बता दो, लेकिन संकोचवश लिख नहीं पाई. जवाब में एक गुलाब का फूल पोस्ट कर दिया.
कुछ देर बाद विहान का मैसेज आ गया, ‘‘अब सोना है मु झे क्योंकि कल जल्दी उठना है. आज से ही आधे बैड पर सोने की प्रैक्टिस शुरू कर दूंगा, तुम प्रोग्राम बना ही लो आने का… गुड नाइट.’’
जूही ने इस बार जवाब दिया,’’ गुड नाइट… मैं भी सो जाती हूं. सपनों में मिलेंगे.’’
विहान जूही को याद कर बेचैन हो सोने का प्रयास करने लगा. लग रहा था जैसे जूही आ कर उस के पास बिस्तर पर लेटी है. वीडियो चैटिंग वाले दिन देखा जूही का रूप उस के मनमस्तिष्क पर छा रहा था. कल्पना में महकती जूही उसे कुछ और सोचने ही नहीं दे रही थी. ‘कहीं यह प्यार तो नहीं?’ सोच कर वह मुसकरा दिया.
एमजी रोड बैंगलुरु का एक व्यस्त इलाका है, जहां विभिन्न कंपनियों के कार्यालय भी हैं और घूमनेफिरने के लिए सुंदर स्थल भी. पहले दिन का काम निबटा कर विहान मित्रों के साथ यूबी सिटी मौल चला गया. दिल्ली में उस ने इस प्रकार के मौल नहीं देखे थे. लक्जरी मौल होने के कारण सभी प्रमुख इंटरनैशनल ब्रैंड्स के उत्पाद उपलब्ध थे वहां.
विहान मौल में घुसा तो लगा जैसे विदेश में आ गया हो. जगमगाता ऊंचा चौका ऐस्कलेटर, चकाचौंध कर देने वाली गुंबदनुमा छत, खूबसूरत इंटीरियर वर्क और बड़ेबड़े स्टोर्स. इतना भव्य स्थान और जूही का साथ न होना, विहान जैसे भीड़ में अकेला सा हो गया. दोस्त अपनी बातों में मस्त थे और विहान यादों में उल झा हुआ था.
अगले दिन उन सभी ने देर तक रुक कर काम निबटा लिया और अंतिम दिन घूमनेफिरने के नाम कर दिया. सुबह होते ही वे नाश्ता कर कब्बन पार्क पहुंच गए. सुंदरसुंदर फूलों से लदे छायादार पेड़ों के नीचे लगे बैंच, मूर्तियां, ब्रिटिश काल के पुस्तकालय की सुंदर लाल बिल्डिंग व रंगबिरंगे फुहारे वातावरण को सुखद बना रहे थे. हाथों में हाथ डाले प्रेमी युगल विहान को जूही और अपना प्रतिरूप लग रहे थे, एक ऐसा रूप जो उस के दिल में कहीं छिपा बैठा था, लेकिन दिमाग तक पहुंचने में बहुत समय लग गया.
पार्क से निकल पास के एक होटल में लंच कर सभी मित्र उल्सूर झील देखने निकल पड़े. वहां बोटिंग करते हुए नाव जब एक टापू पर रुकी तो विहान को बचपन याद आ गया. जूही और वह जब गुड्डेगुडि़या का खेल खेलते थे तो विहान टब में पानी ले कर उसे झील कहता था. छोटेछोटे डब्बों पर मिट्टी और घास रख वह जब झील में टापू बनाता तो जूही उछल पड़ती थी.
जूही को खुश करने के लिए बारबार वह भिन्नभिन्न प्रकार से टापुओं को सजाता. विहान सोच रहा था कि जूही आज यहां होती तो झील में बने छोटेछोटे टापुओं को देख कर कितनी प्रसन्न होती कि कल्पना साकार हो गई है.
शाम हुई तो सभी चाय पीने बैठ गए. चाय वाले की टपरी पर हिंदी गाने बज रहे थे. अचानक किशोर कुमार की आवाज में ‘कुदरत’ फिल्म का गाना सुन विहान ने जूही को फोन मिला दिया और उस से हैलो कहते ही बोल पड़ा, ‘‘पता है कौन सा गाना सुन रहा हूं मैं अभी?’’
‘‘अचानक इस समय फोन और ऐसी बहकी सी बात, ठीक हो न?’’ जूही अचरज में पड़ गई.
सब छोड़ो और सुनो न गाने के बोल, ‘‘‘हमें तुम से प्यार कितना ये हम नहीं जानते, मगर जी नहीं सकते तुम्हारे बिना…’’’
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जूही को ऐसा लगा जैसे गुलाब की सैकड़ों पंखुडि़यां उस पर लगातार गिरती जा रही हैं. अभिभूत हो वह बोल उठी, ‘‘मेरे मन में तो इसी फिल्म का कोई और गाना गूंज रहा है, लता मंगेशकर का गाया हुआ.’’
‘‘कौन सा?’’ विहान भी प्यार में डूबा था.
‘‘‘तूने ओ रंगीले कैसा जादू किया, पियापिया बोले मतवाला जिया…’’’
‘‘जूही मु झे नहीं पता प्यार कैसा होता है, पर मैं रह नहीं सकता तुम्हारे बिना… यही सच है,’’ विहान अब चुप नहीं रह सका.
‘‘जो जादू तुम ने मु झ पर किया शायद उसे ही कहते हैं प्यार… कितना खूबसूरत है यह एहसास,’’ जूही की आवाज में नमी थी,
प्रेम था और लज्जा भी.
‘‘जल्दी आऊंगा दिल्ली. मम्मीपापा से आज ही बात करता हूं,’’ विहान कह उठा.
जूही की खनकती हंसी सुन विहान ने ‘बाय’ कह फोन काट दिया. ‘हमें तुम से प्यार कितना…’
गाना झील से टकरा कर उसे अभी भी तरंगित कर रहा था.
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