ऐसे बनें गुड Husband-Wife

आज की जीवनशैली में घर और औफिस की बढ़ती जिम्मेदारियों को निभाना यों तो आसान लगता है किंतु वास्तव में आसान है नहीं. स्वस्थ मानसिकता के अभाव में इस रिश्ते को निभाने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. आइए, उन बातों का अध्ययन करें जो कमजोर पड़ते रिश्तों को और अधिक कमजोर बनाती हैं.

विवाह के बाद के पहले 5 वर्ष

  • पतिपत्नी के लिए पहले 5 वर्ष बहुत अहमियत रखते हैं. शुरू के 5 वर्षों में जो गलतियां करते हैं वे हैं:
  • खुद को बदलने की जगह पार्टनर से बदलने की चाह रखना.
  • य लाइफपार्टनर से जरूरत से ज्यादा अपेक्षाएं रखना.
  • छोटीछोटी बातों को मुद्दा बना कर लड़ाईझगड़ा करना. न खुद चैन से रहना, न दूसरे को चैन से रहने देना.
  • एकदूसरे के दोषों को ढूंढ़ढूंढ़ कर आलोचना और ताने मारने की प्रवृत्ति रखना.

इन कारणों से पतिपत्नी में दूरी बढ़ती जाती है और वक्त रहते अगर सूझबूझ से अपनी समस्याओं का समाधान पतिपत्नी नहीं कर पाते हैं तो अलगाव होना और फिर तलाक की संभावना बढ़ जाती है. अत: दोनों को इस बात का आभास होना चाहिए कि रिश्ते बहुत नाजुक होते हैं. इन्हें अथक प्रयास द्वारा, स्वस्थ मानसिकता के साथ संभालना बहुत जरूरी होता है.

गलतियों को मानें

सब से विचित्र बात यह है कि पतिपत्नी अपनी गलतियों को स्वीकार नहीं कर पाते जबकि जीवन से संबंधित ये गलतियां जीवन को अधिक सीमा तक प्रभावित करती हैं. इन्हें छोटी गलतियां मानना ही मूलरूप से गलत है. रिश्ते को हर हाल में टूटने से बचाने की जिम्मेदारी पति और पत्नी दोनों की होती है. मुश्किलें पतिपत्नी की हैं, तो समाधान भी उन के द्वारा ही ढूंढ़ा जाना चाहिए.

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दिल खोल कर प्रशंसा करें

रिलेशनशिप ऐक्सपर्ट मानते हैं कि एकदूसरे के प्रति तारीफ के शब्द न केवल पार्टनर्स को एकदूसरे के नजदीक लाते हैं, बल्कि टूटने के कगार पर आ गए रिश्तों में ताजगी भरने की भी संभावना रखते हैं. वैवाहिक जीवन की कामयाबी बहुत सीमा तक इस बात पर निर्भर करती है कि पतिपत्नी एकदूसरे की प्रशंसा कर के जीवन को आनंदपूर्ण बनाए रखें.

रिलेशनशिप टिप्स

ऐक्सपर्ट स्टीव कपूर ने अपनी पुस्तक में हैल्दी रिलेशनशिप के निम्न टिप्स दिए हैं:

पतिपत्नी को सैंस औफ ह्यूमर रखना चाहिए. चीजों और समस्याओं को गंभीरता से लेना चाहिए, जब यह स्थिति और समस्या की मांग हो.

पतिपत्नी को एकदूसरे की ड्रैस सैंस की तारीफ करनी चाहिए. अच्छी बातों के लिए तारीफ करने में कंजूसी बिलकुल नहीं करनी चाहिए.

एकदूसरे को कौंप्लिमैंट दें. विश्वास के आधार पर रिश्ते में मिठास भरें.

यदि पतिपत्नी में से कोई एकदूसरे की बात मानने को तैयार नहीं है तो इस के कारण को जानने की कोशिश करें न कि उस के साथ विवाद कर उसे परेशान करें और खुद भी परेशान हों.

सरे की भावनाओं से खिलवाड़ ठीक नहीं होता है. एकदूसरे को ब्लैकमेल करने से या उस की कमजोरी पर फोकस करने की आदत आत्मघाती होती है. भावनात्मक स्तर पर एकदूसरे के साथ जुड़ाव के लिए वक्त निकाल कर घूमने अवश्य जाएं. भूल कर भी अपने प्यार का प्रदर्शन लोगों के सामने न करें.

बहसबाजी अच्छी आदत नहीं है. जब भी ऐसा अवसर आए अपने संवाद को कट शौर्ट कर के सुखद मोड़ देते हुए अपने रिश्ते को बचाएं और संवारें.

रिलेशनशिप की समस्याओं की पृष्ठभूमि

आइए, रिलेशनशिप की समस्याओं को नीतिपूर्वक तरीके से निबटने के बारे में जानें:

  • आप अपने पार्टनर को बेहद प्यार करते हैं, लेकिन जब बात आती है इगो को बैलेंस करने की तो चुपचाप सहन करते हुए कभी खुल कर एकदूसरे के सामने नहीं आ पाते हैं. चुप रहना एक बहुत बड़ी कमजोरी बन जाती है. बेहतर होगा कि अपनी तरफ से आप स्पष्ट रूप से पार्टनर का सहयोग कर विवाहित जीवन को बेहतर बनाने के बारे में सोचें.
  •  रिलेशनशिप का सारा दारोमदार क्रिया और प्रतिक्रिया का है. अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करने में जल्दबाजी न करें. सोचसमझ कर व सूझबूझ के साथ सही प्रतिक्रिया दें. एक सिंगल वार्तालाप से हमेशा समस्या सुलझ जाने की आशा न करें.
  • अपनी रिलेशनशिप को बेहतर बनाए रखने के लिए एकदूसरे से सुझाव मांगें और अध्ययन करने के बाद उन सुझावों को अमल में लाएं जो रिलेशनशिप के लिए कारगर और उपयोगी हैं. यह काम धैर्यपूर्वक समस्या को खुले दिल से स्वीकार करने के बाद ही हो सकता है.
  •   कार का वादविवाद न करें और न ही दूसरे लोगों को उस का हिस्सा बनाएं. कम से कम शब्दों में समस्या को परिभाषित करें. एकदूसरे को उचित समय दें. ऐसा माहौल बनाएं जिस में आप खुले दिल और दिमाग से समस्या का निवारण करने की जिम्मेदारी पूरी लगन और सचाई के साथ कर सकें.
  • हर समस्या के समाधान पर एकदूसरे को पार्टी, लंच, डिनर दे कर यह एहसास कराएं कि जो कुछ हुआ बहुत अच्छा हुआ.

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ऐसे निकालें समस्याओं के हल

पतिपत्नी का रिश्ता जब विवाह के बाद प्रारंभिक चरण में होता है तो सब रिश्तेदारों की अपेक्षाएं वास्तविक आधार पर नहीं होतीं. संबंधी नई बहू से आशा करते हैं कि वह हर रिश्ते को दिल से सम्मान दे. अपनी सुविधा को नजरअंदाज कर वह रिश्ते का निर्वाह इस तरह करे जैसे वह उन्हें बरसों से जानती है. अधिकतर पत्नियां जन्मदिन या शादी की वर्षगांठ पर यह उम्मीद रखती हैं कि पति उपहार में डायमंड या गोल्ड के आभूषण, डिजाइनर वस्त्र आदि उसे गिफ्ट करे. दोनों पार्टनर जीवन के लिए प्रैक्टिकल अप्रोच अपनाएं तो वे जीवन को क्रोध, तानों और दोषारोपण की मौजूदगी में भी उत्तम तरीके से बिता सकते हैं.

मनोवैज्ञानिक जौन गोटमैन का सुझाव है कि पतिपत्नी का महत्त्वपूर्ण कर्तव्य है कि वे एकदूसरे पर कीचड़ न उछालें. एकदूसरे के प्रशंसक बनें. एकदूसरे के लिए चिंता तो करें, लेकिन रचनात्मक सोच के साथ. उन का हर फैसला सहयोग के आधार पर होना चाहिए. हर विवाह की स्थिति ऐसी होती है कि अगर आप खूबियां ढूंढ़ेंगे तो आप को सब कुछ अच्छा नजर आएगा. अगर एकदूसरे की कमियों पर फोकस करना चाहेंगे तो बहुत कमियां नजर आएंगी. इसलिए बेहतर होगा कि अच्छाई पर फोकस रखें व पौजिटिव नजरिया अपनाएं. आप में वे सब गुण और काबिलीयत हैं, जो आप को ‘विन विन’ स्थिति में रख कर विजयी घोषित कर सकते हैं. प्यार मांगने से नहीं मिलता है. प्यार के लिए डिजर्व करना पड़ता है. जीवन का हर लमहा आनंद से सराबोर होना चाहिए. यह पतिपत्नी का जन्मसिद्ध अधिकार है.

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न आए Married Life में दरार

विवाहेतर संबंध कई युगों से चले आ रहे हैं और हर वर्ग व समाज के लोग इस वर्जित फल को पाने के लिए लालायित रहते हैं. उन के सामाजिक व आर्थिक स्टेटस, पारिवारिक बैकग्राउंड, शिक्षादीक्षा और धर्म व संस्कार में अंतर हो सकता है, लेकिन इस सुख को पाने के लिए सभी विवेकहीन हो कर अपनी बांहें पसार आगे बढ़ जाते हैं. इस के परिणाम अकसर सुखद नहीं होते. भई, 2 नावों को सवारी कर कौन पार उतर पाया है? और फिर दांव पर बहुत कुछ लग जाता है, कैरियर, इज्जत, मानसम्मान, रिश्तों का टूटना, आर्थिक परेशानी, मानसिक तनाव, बच्चों का भविष्य वगैरह. फिर भी समझदार, परिपक्व वयस्क व्यक्ति (मर्द/औरत) क्यों रखते हैं विवाहेतर संबंध? कभीकभी तो ऐसे कपल के बीच इस अफेयर का बम फूटता है जो परफैक्ट कपल नजर आ रहे होते हैं. समझ नहीं आता कि आखिर क्यों, कैसे? यहां तो सब कुछ सही था. लेकिन नहीं, निश्चित तौर पर कहीं न कहीं कुछ न कुछ गलत था जिसे दोनों ही नहीं देख पाए.

यहां बताए जा रहे हैं कुछ संभावित मुख्य कारण, जिन्हें आप विवाहेतर संबंध यानी ऐक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के लिए उत्तरदायी मान सकते हैं:

कम उम्र में शादी

जिन की शादी कम उम्र में यानी 20-22 वर्ष तक की उम्र में हो जाती है उस वक्त उन में न तो अधिक समझ होती है, न ही उन के कैरियर व जिंदगी में स्थायित्व आया होता है. ऐसे लोग जब 30-32 की उम्र में पहुंचते हैं तभी उन के विचारों में परिपक्वता आती है या कहिए उन्हें जिंदगी जीने का सलीका आता है. और इन सब के साथ ही उन्हें यह महसूस होता है कि उन्होंने अपनी जवानी के दिन यों ही गुजार दिए. मौजमस्ती, फ्लर्टिंग जैसी अवस्थाओं से वे गुजरे ही नहीं. जिंदगी के उस हसीन हिस्से को वे अब जीना चाहते हैं, अनुभव करना चाहते हैं. अपनी लाइफ में थ्रिल, ऐक्साइटमैंट को महसूस करने के लिए वे मुड़ते हैं ऐक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर की खतरनाक, फिसलन भरी मगर बेहद हसीन, दिलफरेब गलियों में.

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गलत कारणों से हुई शादी

अधिकांश व्यक्ति परिवार व समाज के दवाब में आ कर जीवनसाथी का चयन कर बैठते हैं. ऐसी शादी सामाजिक प्रतिष्ठा, आर्थिक कारण और जाति बंधन वगैरह को ध्यान में रख कर तय होती हैं. शादी के कुछ वर्षों बाद उन्हें अपनी इस गलती का एहसास होता है कि उन्होंने गलत जीवनसाथी का चयन कर लिया है. जिंदगी के इस मुकाम पर अगर उन की मुलाकात किसी ऐसे व्यक्ति से हो जाती है जो उन के लाइफ पार्टनर से शारीरिक या मानसिक रूप से बेहतर है तो वे तुरंत उस की तरफ आकर्षित हो जाते है. और यह आकर्षण, जानपहचान व दोस्ती के गलियारों से गुजरता एक मजबूत अफेयर के अंजाम तक पहुंच जाता है.

जिंदगी में आए बदलाव से उपजा स्ट्रैस

जिंदगी हर पल रंग बदलती है. नित नई चुनौती सामने रखती है. लेकिन कभीकभी काफी कठिन दौर से गुजरना पड़ता है. जैसे पारिवार में किसी प्रिय की मौत, फाइनैंशियल लौस, नौकरी का खोना, पदोन्नति न होना वगैरह. ऐसे मुश्किल हालात में कई बार लोग सहारे व इमोशनल सपोर्ट के लिए अपने पार्टनर को छोड़ किसी और के सहज उपलब्ध मजबूत कंधे का सहारा लेते हैं. खासतौर पर तब जब पार्टनर ज्यादा सपोर्टिव व समझदार न हो. कई बार अनजान हमदर्द को हम अपना दर्द आसानी से बता देते हैं और अपनी कमजोरी अपने डर का हमराज उसे बना लेते हैं जो हमारी तरफ इन मुश्किल हालात में सहानुभूति और सहारे का हाथ बढ़ाता है. धीरेधीरे हमदर्दी का यह रिश्ता अनजाने में ही अफेयर की शक्ल अख्तियार कर लेता है.

मातापिता बनना

घरआंगन में नन्ही किलकारी की गूंज से मधुर संगीत दूसरा नहीं होता. लेकिन पतिपत्नी से मातापिता बनने का सफर दोनों के जीवन में काफी बदलाव लाता है और यह दौर चुनौतीपूर्ण भी होता है. पतिपत्नी की परस्पर रिलेशनशिप व प्राथमिकताएं बदलती हैं. एकदूजे के साथ जितना वक्त बिताना चाहिए उस में कमी आ जाती है. अकसर देखा गया है कि एक पत्नी मां की भूमिका में जिस सहजता से ढल जाती है और बच्चे के प्रति पूर्णतया समर्पित हो जाती है, पति के लिए यह बदलाव उतना आसान नहीं होता. उसे अकसर लगता है कि उस का महत्त्व पत्नी की नजर में कम हो गया है. उसे जिस अटैंशन और वैंपरिंग की आदत हो गई थी, वह उसे मिस करता है. और इसी अटैंशन की खोज में वह घर से बाहर भागता और अफेयर में उलझ जाता है. पत्नी अपने बच्चे में इतनी उलझी होती है कि काफी वक्त तक पति की कारगुजारी की उसे भनक तक नहीं लगती.

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सैक्सुअल रिलेशन में उदासीनता

ऐक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर होने की एक बहुत बड़ी या प्रमुख वजह आप इसे मान सकते हैं. सैक्सुअल डिजायर का पूरा न होना पतिपत्नी के रिश्ते को बेहद कमजोर कर देता है. अपने जीवन को इस कमी को दूर करने के लिए अकसर घर से बाहर कदम निकलते हैं और अफेयर जन्म लेता है.

भावनात्मक अलगाव

कभीकभी कपल के बीच भावनात्मक अलगाव पैदा हो जाता है. दोनों के बीच प्यार तो होता है, मगर जुड़ाव कम होता जाता है. कैरियर के सिलसिले में अलगअलग शहरों/देशों में रहना इस की एक वजह होती है. और वजहें होती हैं वक्त की कमी या फिर संवाद की कमी.ऐसा होने से हो सकता है कि गुजरते वक्त के साथ आप एकदूजे से इमोशनली डिसकनैक्ट हो जाएं और किसी और से आप के मन के तार जुड़ जाएं. बाद में यह खूबसूरत, भावनात्मक रिश्ता अफेयर का रूप ले ले.

बदलाव की चाह

कभीकभी जिंदगी एक मुकाम पर आ कर ठहर सी जाती है. रिश्ते, बातें, स्पर्श, साथ, साहचर्य इन सब से ताजगी की महक उड़ जाती है. शादी के कुछ वर्षों पश्चात उपजी इस एकरसता से पैदा होती है बदलाव की चाह. लाइफ पार्टनर से प्यार है मगर रिश्ते में वह स्पार्क बाकी नहीं, जो पहले था. इस कमी को दूर करने, जिंदगी में कुछ नया, ऐडवैंचरस करने और मिर्चमसाला भरने की चाह नए साथी, नए सफर पर चलने की वजह बनती है. ऐसे में शुरुआत हो जाती है एक नए अफेयर की.

कैरियर में आगे बढ़ने की ललक

आज कैरियर वूमन का जमाना है. मर्दों के लिए तो पहले भी था, लेकिन अब महिलाओं के लिए भी कैरियर उन की टौप मोस्ट प्राथमिकता है. अब जब मैरिड कपल में दोनों ही वार्किंग हैं, दोनों ही पदोन्नति पाने को बेताब हैं, अपना सारा समय, शक्ति, ऊर्जा और क्षमता कैरियर को ऊंचा उगने में लगा रहे हैं, तो स्पष्ट है कि उन के पास आपसी रिश्तों को संवारने, सहेजने और मजबूत बनाने के लिए न तो वक्त है, न ही इस की जरूरत उन्हें महसूस होती है. नतीजा, उन के रिश्ते में अब वह मजबूती, स्थायित्व नहीं रह जाता जो पहले होता था. इस कमी के चलते दोनों में से कोई भी एक पार्टनर सहज ही उपलब्ध मौके का फायदा उठा कर नई राह का राही बन जाता है.

किसी एक का बेहद आकर्षक होना

आम जिंदगी में यह बहुत ही कम देखने में आता है कि पतिपत्नी दोनों ही समान रूप से खूबसूरत, आकर्षक हों. 19-20 के फर्क को रहने दिया जाए तो ऐसे भी कपल देखने में मिलते हैं जहां अंतर 10 और 20 का होता है. और अगर पति 20 और बीवी 10 है, तो ऐक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर का खतरा 10 गुना बढ़ जाता है. हैंडसम, उच्चपदस्थ, वैलग्रूम्ड मर्दों की तरफ विवाहित, अविवाहित महिलाएं बिन डोर खिंची चली जाती हैं. और मर्द तो विधिवत प्रेमी होते ही हैं, ऐसे में सैक्सी, हौट सुंदर बाला जब स्वयं आगे बढ़ ग्रीन सिगनल दे बैठे तो अफेयर की शुरुआत तो बस हुई ही समझो.

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नारी स्वतंत्रता व समानता का दौर

आज के दौर में नारी किसी बात में मर्द से पीछे नहीं, अफेयर के मामले में भी नहीं. पति का हद से ज्यादा व्यस्त रहना, साधारण व्यक्तित्व होना, पत्नी से प्यार तो करना मगर इजहार, इकरार करना न आना या कहिए  पत्नी को वह अटैंशन न देना जो शादी की शुरुआत में देता था, ये कुछ ऐसे कारण हैं जो पत्नी को ऐक्स्ट्रा अफेयर के लिए उकसाते हैं. पहले भी ये वजहें होती थीं लेकिन पत्नी यों ही जीवन जीती रहती थी. लेकिन अब जौब करने से उस के पास भी भरपूर मौका है, पति के अलावा अन्य मर्दों के संपर्क में आने, उन से दोस्ती, फ्लर्टिंग, अफेयर करने का. लेकिन गलत राह के राही बनेंगे तो सही मंजिल तक कभी नहीं पहुंचेगे. बहकने, कदम डगमागाने के कारण चाहे जो भी हों, लेकिन समझदारी इसी में है कि आकर्षण, बदलाव और मौजमस्ती की चाहत में किए अफेयर को जल्द ही खत्म कर अपने घर जीवनसाथी के पास वापस आ जाएं. आखिर जिंदगी भर के साथ का वादा भी तो किया है. न.

मुझसे कोई प्यार करता है, लेकिन मैं उससे प्यार नहीं करती, मैं क्या करुं?

सवाल

मैं एक लड़के से प्यार करती हूं. वह भी मुझे प्यार करता है. पर समस्या यह है कि मेरा चचेरा भाई भी मुझे बहुत प्यार करता है, मैं उसे नहीं चाहती. लेकिन यह बात कह कर मैं उसे दुखी भी नहीं करना चाहती हूं. फिर यदि मैं ने अपने बौयफ्रैंड से इस प्रेम संबंध को समाप्त करने की बात कही तो उसे तो दुख होगा ही, साथ ही मैं भी उस से जुदा हो कर जी नहीं पाऊंगी. मैं अजीब उलझन में हूं. किसी का भी दिल नहीं तोड़ना चाहती. कृपया मेरा मार्गदर्शन करें.

जवाब

आप को अपने चचेरे भाई को किसी मुगालते में नहीं रखना चाहिए. उस से साफ साफ कह दें कि आप दोनों भाईबहन हैं और आप का खून का रिश्ता है. आप की उस के प्रति जो चाहत है वह सिर्फ एक बहन की अपने भाई के प्रति है. यह सुन कर वह दुखी होगा, हो सकता है कि आप से नफरत भी करने लगे, पर इस के अलावा आप के पास कोई चारा भी नहीं है. प्यार के इस भ्रम को जितनी जल्दी तोड़ देंगी, तकलीफ उतनी ही कम होगी.

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एक हार्ट केयर हौस्पिटल के शुभारंभ का आमंत्रण कार्ड कोरियर से आया था. मानसी ने पढ़ कर उसे काव्य के हाथ में दे दिया. काव्य ने उसे पढना शुरू किया और अतीत में खोता चला गया…

उस ने रक्षित का दरवाजा खटखटाया. वह उस का बचपन का दोस्त था. बाद में दोनों कालेज अलगअलग होने के कारण बहुत ही मुश्किल से मिलते थे. काव्य इंजीनियरिंग कर रहा था और रक्षित डाक्टरी की पढ़ाई. आज काव्य अपने मामा के यहां शादी में अहमदाबाद आया हुआ था, तो सोचा कि अपने खास दोस्त रक्षित से मिल लूं, क्योंकि शादी का फंक्शन शाम को होना था. अभी दोपहर के 3-4 घंटे दोस्त के साथ गुजार लूं. जीभर कर मस्ती करेंगे और ढेर सारी बातें करेंगे. वह रक्षित को सरप्राइज देना चाहता था.

उस के पास रक्षित का पता था क्योंकि अभी उस ने पिछले महीने ही इसी पते पर रक्षित के बर्थडे पर गिफ्ट भेजा था. दरवाजा दो मिनट बाद खुला, उसे आश्चर्य हुआ पर उस से ज्यादा आश्चर्य रक्षित को देख कर हुआ. रक्षित की दाढ़ी बेतरतीब व बढ़ी हुई थी. आंखें धंसी हुई थीं जैसे काफी दिनों से सोया न हो. कपड़े जैसे 2-3 दिन से बदले न हों. मतलब, वह नहाया भी नहीं था. उस के शरीर से हलकीहलकी बदबू आ रही थी, फिर भी काव्य दोस्त से मिलने की खुशी में उस से लिपट गया. पर सामने से कोई खास उत्साह नहीं आया.

‘क्या बात है भाई, तबीयत तो ठीक है न,’ उसे आश्चर्य हुआ रक्षित के व्यवहार से, क्योंकि रक्षित हमेशा काव्य को देखते ही चिपक जाता था.

जब शौहर का मिजाज हो आशिकाना

रंगीन, आशिकमिजाज पति पाना भला किस औरत की दिली तमन्ना न होगी? अपने ‘वे’ इश्क और मुहब्बत के रीतिरिवाजों से वाकिफ हों, दिल में चाहत की धड़कन हो, होंठों पर धड़कन का मचलता इजहार रहे, तो इस से ज्यादा एक औरत को और क्या चाहिए? शादी के बाद तो इन्हें अपनी बीवी लैला लगती है, उस का चेहरा चौदहवीं का चांद, जुल्फें सावन की घटाएं और आंखें मयखाने के प्याले लगते हैं. लेकिन कुछ साल बाद ही ऐसी बीवियां कुछ घबराईघबराई सी, अपने उन से कुछ रूठीरूठी सी रहने लगती हैं. वजह पति की रंगीनमिजाजी का रंग बाहर वाली पर बरसने लगता है.

यही करना था तो मुझ से शादी क्यों की

शादी से पहले विनय और रमा की जोड़ी को लोग मेड फौर ईचअदर कहते थे. शादी के बाद भी दोनों आदर्श पतिपत्नी लगते थे. लेकिन वक्त गुजरने के साथसाथ विनय की आंखों में पहले वाला मुग्ध भाव गायब होने लगा. राह चलते कोई सुंदरी दिख जाती, तो विनय की आंखें उधर घूम जातीं. रमा जलभुन कर खाक हो जाती. जब उस से सहा न जाता, तो फफक पड़ती कि यही सब करना था, तो मुझ से शादी ही क्यों की? क्यों मुझे ठगते रहते हो?

तब विनय जवाब देता कि अरे भई, मैं तुम से प्यार नहीं करता हूं. यह तुम ने कैसे मान लिया? तुम्हीं तो मेरे दिल की रानी हो.

सच यही था कि विनय को औफिस की एक लड़की आकर्षित कर रही थी. खुशमिजाज, खिलखिलाती, बेबाक मंजू का साथ उसे बहुत भाने लगा था. उस के साथ उसे अपने कालेज के दिन याद आ जाते. मंजू की शरारती आंखों के लुकतेछिपते निमंत्रण उस की मर्दानगी को चुनौती सी देते लगते और उस के सामने रमा की संजीदा, भावुक सूरत दिल पर बोझ लगती. रमा को वह प्यार करता था, अपनी जिंदगी का एक हिस्सा जरूर मानता था, लेकिन रोमांस के इस दूसरे चांस को दरकिनार कर देना उस के बस की बात न थी.

ये मेरे पति हैं

इसी तरह इंदिरा भी पति की आशिकाना हरकतों से परेशान रहती थी. उस का बस चलता तो देबू को 7 तालों में बंद कर के रखती. वह अपनी सहेलियों के बीच भी पति को ले जाते डरती थी. हर वक्त उस पर कड़ी निगाह रखती. किसी पार्टी में उस का मन न लगता. देबू का व्यक्तित्व और बातचीत का अंदाज कुछ ऐसा था कि जहां भी खड़ा होता कहकहों का घेरा बन जाता. महिलाओं में तो वह खास लोकप्रिय था. किसी के कान में एक शेर फुसफुसा देता, तो किसी के सामने एक गीत की पंक्ति ऐसे गुनगुनाता जैसे वहां उन दोनों के सिवा कोई है ही नहीं. उस की गुस्ताख अदाओं, गुस्ताख नजरों पर लड़कियों का भोला मन कुरबान हो जाने को तैयार हो जाता. उधर इंदिरा का मन करता कि देबू के गले में एक तख्ती लटका दे, जिस पर लिख दे कि ये मेरे पति हैं, ये शादीशुदा हैं, इन से दूर रहो.

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बेवफा होने का मन तो हर मर्द का चाहता है

घर में अच्छीखासी पत्नी होते हुए भी आखिर कुछ पति क्यों इस तरह भटकते हैं? यह सवाल मनोवैज्ञानिक एवं मैरिज काउंसलर से पूछा गया, तो उन्होंने एक ऐसी बात बताई, जिसे सुन कर आप को गुस्सा तो आएगा, लेकिन साथसाथ मर्दों के बारे में एक जरूरी व रोचक जानकारी भी प्राप्त होगी. उन का कहना था कि मर्दों के दिलोदिमाग व खून में ही कुछ ऐसे तत्त्व होते हैं, जो उन के व्यवहार के लिए बुनियादी तौर पर काफी हद तक जिम्मेदार होते हैं यानी कुदरत की तरफ से ही उन्हें यह बेवफाई करने की शह मिलती है.

इस का मतलब यह भी निकलता है कि बेवफा होने का मन तो हर मर्द का चाहता है, पर किसी की हिम्मत पड़ती है किसी की नहीं. किसी को मौका मिल जाता है, किसी को नहीं. किसी की पत्नी ही उसे इतना लुभा लेती है कि उसे उसी में नित नई प्रेमिका दिखती है, तो कुछ में आरामतलबी का मद्दा इतना ज्यादा होता है कि वे यही सोच कर तोबा कर लेते हैं कि कौन इश्कविश्क का लफड़ा मोल ले.

अब सवाल उठता है कि सामाजिक सभ्यता के इस दौर में आखिर कुछ पति ही इन चक्करों में क्यों पड़ते हैं? लीजिए, इस प्रश्न का उत्तर भी मनोवैज्ञानिकों के पास हाजिर है. जरा गौर करें:

पत्नी से आपेक्षित संतोष न मिलना

अकसर इन पतियों के अंदर एक अव्यक्त अतृप्ति छिपी रहती है. सामाजिक रीतिरिवाजों का अनुसरण कर के वे शादी तो कर लेते हैं, गृहस्थ जीवन के दौरान पत्नी से प्रेम करते हैं, फिर भी कहीं कोई हूक मन में रह जाती है. या तो पत्नी से वे तनमन की पूर्ण संतुष्टि नहीं पा पाते या फिर रोमांस की रंगीनी की हूक मन को कचोटती रहती है. जहां पत्नी से अपेक्षित संतोष नहीं मिलता, वहां बेवफाई का कुछ गहरा रंग इख्तियार करने का खतरा रहता है. कभीकभी इस में पत्नी का दोष होता है, तो कभी नहीं.

माफ भी नहीं किया जा सकता

रवींद्रनाथ टैगोर की एक कहानी का यहां उदाहरण दिया जा सकता है. हालांकि पत्नी नीरू के अंधे होने का कारण पति ही होता है, फिर भी पति एक अन्य स्त्री से चुपचाप विवाह करने की योजना बना डालता है. वह पत्नी नीरू से प्यार तो करता है, लेकिन फिर भी कहीं कुछ कमी है. जब पति की बेवफाई का पता नीरू को चलता है, तो वह तड़प कर पूछती है, ‘‘क्यों तुम ने ऐसा सोचा?’’

तब वह सरलता से मन की बात कह देता है, ‘‘नीरू, मैं तुम से डरता हूं. तुम एक आदर्श नारी हो. मुझे चाहिए एक साधारण औरत, जिस से मैं झगड़ सकूं, बिगड़ सकूं, जिस से एक साधारण पुरुष की तरह प्यार कर सकूं.’’

नीरू का इस में कोई दोष न था, लेकिन पति के व्यवहार को माफ भी नहीं किया जा सकता. हां, मजबूरी जरूर समझी जा सकती है. मगर सब पत्नियां नीरू जैसी तो नहीं होतीं.

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औरतें इतनी खूबसूरत क्यों होती हैं

‘‘पत्नी तो हमारी ही हस्ती का हिस्सा हो जाती है भई,’’ कहते हैं एक युवा शायर, ‘‘अब अपने को कोई कितना चाहे? कुदरत ने दुनिया में इतनी खूबसूरत औरतें बनाई ही क्यों हैं? किसी की सुंदरता को सराहना, उस से मिलना चाहना, उस के करीब आने की हसरत में बुराई क्या है?’’

इन शायर साहब की बात आप मानें या न मानें, यह तो मानना ही पड़ेगा कि रोमांस और रोमानी धड़कनें जिंदगी को रंगीन जरूर बनाती हैं. कुछ पति ऐसे ही होते हैं यानी उन्हें एकतरफा प्यार भी रास आता है.

सुबह का वक्त है. निखिलजी दफ्तर जाने की तैयारी में लगे हैं. सामने सड़क पर सुबह की ताजा किरण सी खूबसूरत एक लड़की गुजरती है. मुड़ कर इत्तफाकन वह निखिलजी के कमरे की ओर देखती है और निखिलजी चेहरे पर साबुन मलतेमलते खयालों में खो जाते हैं.

पत्नी चाय ले कर आती है, तो देखती है कि निखिलजी बाहर ग्रिल से चिपके गुनगुना रहे हैं, ‘जाइए आप कहां जाएंगे…’

‘‘अरे कौन चला गया?’’ पत्नी पूछती है.

तब बड़ी धृष्टता से बता भी देते हैं, ‘‘अरे कितनी सुंदर परी अभी इधर से गई.’’

‘‘अच्छाअच्छा अब जल्दी करो, कल पहले से तैयार हो कर बैठना,’’ और हंसती हुई अंदर चली जाती है.

यही बात निखिलजी को अपनी पत्नी की पसंद आती है. ‘‘लाखों में एक है,’’  कहते हैं वे उस के बारे में, ‘‘खूब जानती है कहां ढील देनी है और कहां डोर कस कर पकड़नी है.’’

लेकिन वे नहीं जानते कि इस हंसी को हासिल करने के लिए पत्नी को किस दौर से गुजरना पड़ा है. शादी के लगभग 2 साल बाद ही जब निखिलजी अन्य लड़कियों की प्रशंसा करने लगे थे, तो मन ही मन कुढ़ गई थी वह. जब वे पत्रिकाओं में लड़कियों की तसवीरें मजे लेले कर दिखाते तो घृणा हो जाती थी उसे. कैसा आदमी है यह? प्रेम को आखिर क्या समझता है यह? लेकिन फिर धीरेधीरे दोस्तों से, छोटे देवरों से निखिलजी की इस आदत का पता चला था उसे.

‘‘अरे, ये तो ऐसे ही हैं भाभी.’’

दोस्त कहते, ‘‘इसे हर लड़की खूबसूरत लगती है. हर लड़की को ले कर स्वप्न देखता है, पर करता कुछ नहीं.’’

और धीरेधीरे वह भी हंसना सीख गई थी, क्योंकि जान गई थी कि प्रेम निखिल उसी  से करते हैं बाकी सब कुछ बस रंगीनमिजाजी  की गुदगुदी है.

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रिश्तों की नाजुक डोर को थामना मुश्किल होता है. इस डोर को न तो ढील दें और न ही जरूरत से ज्यादा खींचें. कुछ लोग आसानी से रिश्ते बना लेते हैं, किंतु अत्यधिक मानसिक उत्तेजना और हड़बड़ाहट के कारण रिश्तों को तबाह कर लेते हैं. यहां आदमी और जानवर के अंतर को समझना बेहद जरूरी है. मनोवैज्ञानिक ए. मैस्लो के अनुसार, मानवीय जरूरतें 5 प्रकार की होती हैं. पहली है- मूलभूत शारीरिक जरूरत. इसे सरल भाषा में रोटी, कपड़ा और मकान की जरूरत कह सकते हैं. दूसरी जरूरत है- सुरक्षा की. तीसरी प्यार की, हर कोई एकदूसरे से प्यार और सम्मान की अपेक्षा रखता है. चौथी जरूरत है सैल्फ रेस्पैक्ट की और 5वीं सैल्फ ऐक्चुलाइजेशन की यानी हम जो बनना चाहते हैं वैसा बनने का जनून होना है.

रिश्ते और संवाद

रिश्तों और संवाद का बहुत गहरा संबंध है. जितना मधुर और उपयुक्त संवाद होता है वैसा ही रिश्ता बनता चला जाता है. दिमाग के स्तर पर 2 व्यक्तियों के मन में क्या और कैसी प्रतिक्रिया होती है, इस का अनुमान लगा पाना कठिन होता है. एक बार हम किसी को अपने संवाद द्वारा हर्ट कर देते हैं या अपमानजनक संवाद कर बैठते हैं तो संबंध बिगड़ जाता है. संबंध बिगड़ने के साथ ही संवाद बिगड़ने लगता है. संवाद के बिगड़ते ही रिश्ते को उसी मानसिक और नैगेटिव परिपेक्ष्य में लेना शुरू हो जाता है. अत: जरूरी है कि हम कम्यूनिकेशन की प्रक्रिया पर ध्यान दें. अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करने में सब्र से काम लें. लेखिका नीतू गुप्ता का कथन है कि गलती होने पर माफी मागने में शरमाएं नहीं. यदि आप का दोस्त या लाइफपार्टनर स्वयं गलती करने पर क्षमा मांगे तो उसे झट से माफ कर दें यानी क्षमाशील बनें. संबंध चाहे मम्मीपापा, भाईबहन, दोस्तों के बीच हो या फिर पतिपत्नी के बीच, हर संबंध की अपनी अहमियत होती है. किसी रिश्ते को कमजोर न समझें. हर रिश्ते की कद्र करनी चाहिए ताकि रिश्ते का भरपूर आनंद लिया जा सके. जब संबंधों में कटुता होती है, नफरत होती है तो यह दोनों पक्षों के लिए और समान रूप से दुखदाई होती है. हर हाल में नैगेटिव सोचने से बचें.

लोगों के दिल तक पहुंचें

एक देवर थकाहारा घर लौटा तो भाभी से 1 गिलास  पानी इस प्रकार मांगा, ‘‘ए कानी भाभी एक गिलास पानी ले आओ.’’ भाभी को यह सुन कर गुस्सा आ गया. बोलीं, ‘‘तुम्हें पानी मांगने की तमीज नहीं है. तुम्हें पानी पिलाए मेरी जूती. खुद ले कर पी लो.’’ 1 घंटे बाद दूसरा देवर घर आया तो आदर के साथ बोला, ‘‘भाभी मैं थका आया हूं. बहुत प्यास लगी है. प्लीज, 1 गिलास पानी दो.’’ भाभी को बहुत अच्छा लगा. बोलीं, ‘‘पानी भी पिलाऊंगी और फिर 1 गिलास शरबत बना कर भी दूंगी, क्योंकि तुम ने कितने आदर से पानी मांगा है. मुझे यह बहुत अच्छा लगा है.’’ रिश्तों को मजबूत बनाता है आप का व्यवहार. आप के दिल में क्या है, यह आप के व्यवहार में परिलक्षित होता है. आगे रिलेशनशिप को मजबूत बनाने के कुछ पौइंट्स दिए जा रहे हैं. अपनी जिंदगी में इन पौइंट्स को अपनाएं. फिर देखें कि लोग किस कदर आप को प्यार करते हैं:

1. रिश्तों में इमोशनल मैच्युरिटी होनी चाहिए. सब के लिए इमोशंस बहुत महत्त्वपूर्ण होते हैं. लेकिन इमोशनल होते ही मानसिकता को झटका लगता है. ऐसे में रिश्तों को बहुत सूझबूझ के साथ संभालना ही रिश्तों को बनाए रखता है. इमोशनल मैच्युरिटी इस बात से प्रमाणित होती है कि किसी छोटी और नजरअंदाज किए जाने लायक बात को मुद्दा न बनाया जाए. तुनकमिजाजी काम बिगाड़ती है.

2. खासतौर पर यदि पतिपत्नी दोनों या दोनों में से एक संदेह का शिकार हो तो रिश्ता बिगड़ने में देर नहीं लगती है. संदेह रिश्तों को बिगाड़ने के लिए दीमक की तरह काम करता है. रिश्तों का आधार विश्वास हो तो जीने का आनंद ही अद्भुत और स्थाई होता है. अत: शक को रिश्तों के बीच न आने दें. शक की संभावना तब बहुत बढ़ जाती है जब पतिपत्नी अपने दोस्तों का सर्कल बहुत विस्तृत बना लेते हैं. और मेलजोल जरूरत से ज्यादा बढ़ा लेते हैं.

3. जिन घरों में बच्चों के सामने मातापिता लड़तेझगड़ते रहते हैं या पति पत्नी को घर आए मेहमानों के सामने बेइज्जत और हर्ट कर देता है वहां रिश्तों को अच्छा बनाए रखना कितना मुश्किल होता है, इस बात का अंदाजा आप सहज लगा सकते हैं. घर का माहौल अच्छा बनाए रखना घर के लिए जरूरी है. रिश्तों में जान भरने की कोशिश तो कर के देखें, फिर जीना बहुत आसान हो जाएगा.

4. रिश्तों की मजबूती के लिए यह बहुत जरूरी है कि हम पूर्वधारणा से बचें. ये हैं पूर्वधारणाएं:

दोस्त धोखेबाज हो सकते हैं़  उन पर विश्वास नहीं किया जा सकता है. उन्हें अपनी विश्वसनीयता प्रूव करने का मौका दिया जाना चाहिए. अगर वे ठीक प्रमाणित होते हैं तभी भरोसा किया जा सकता है.

सासबहू के संबध अच्छे नहीं होते हैं, यह पूर्वधारणा सासबहू दोनों के लिए रचनात्मक सोच अपनाने में बाधक बनती है.

प्रेम का मूलमंत्र है प्यार पाने के लिए प्यार देना. अधिकतर देखा जाता है कि हम प्यार पाना चाहते हैं बगैर प्यार अपनी तरफ से दिए और बिना अपनी ओर से प्रयत्न किए.

5. मनोवैज्ञानिक और चिकित्सक डा. एरिक बर्न की सलाह है कि हमें अपने मन की 3 स्थितियों का खास खयाल रखना चाहिए. ये मैंटल ईगो स्टेट हैं- चाइल्ड, पेरैंट और अडल्ट़ रिलेशन के लिए इन ईगो स्टेट को समझना जरूरी है. चाइल्ड ईगो स्टेट हम से वह व्यवहार कराता है जो विद्रोह या क्रोधित करता है. पेरैंट ईगो स्टेट हम से वह व्यवहार कराता है जो मार्गदर्शन और निर्देश करता है. अडल्ट ईगो स्टेट हम से वह व्यवहार कराता है, जो तर्कबुद्धि के मानदंड पर खरा उतरता है. व्यवहार करते समय अगर हम इन 3 ईगो स्टेट को संतुलित कर लेते हैं, तो हम रिश्तों को बखूबी निभाने में सफल हो जाते हैं.

6. यह मान कर चलें कि 2 लोगों के विचारों का मेल न खाना स्वाभाविक है. जीवन को सुखी और आनंदमय बनाना हमारा संयुक्त प्रयास है. बुरे वक्त में एकदूसरे का साथ देना अच्छा गुण है. रिश्तों के एहसास को जिंदा रखें.

7. मुसकराहट ऐसी चीज है जो स्वयं को सकारात्मक सोच देती है. इसलिए मुसकराएं और दूसरों को खुश रखें. रिश्तों में उतनी ही उम्मीदें रखें जितनी आसानी से पूरी हो सकें. खुश और संतुष्ट रहने के लिए अच्छे लोगों के सर्कल में रहें. अच्छा माहौल बनाना सब के हित में है.

8. आज से ही रिश्तों से संबंधित जो फैसले आप ले रहे हैं उन का अध्ययन करें कि क्या वे फैसले ठीक हैं या गलत. गलत फैसलों से खुद को बचाएं. अपने रिश्तों में विश्वसनीयता और पारस्परिक सौहार्द की भावना को प्रबल बनाएं. आखिर यह आप की जिंदगी है. इसे आप जिम्मेदारी के साथ नहीं संभालेंगे तो कैसे अपने संपर्क में आने वाले लोगों को सुख, संतुष्टि और आनंद का साधन बना पाएंगे? जिंदगी एक लंबा सफर है. इस की बारीकियों को समझने की कोशिश करें.

मेरा बौयफ्रेंड किसी और को चाहने लगा है, मैं क्या करुं?

सवाल

मैं एक लड़के से 3 वर्षों से प्यार करती हूं. वह भी मुझ से प्यार करता है. बीच में हम दोनों में कुछ मनमुटाव हो गया था. अब वह कहता है कि वह मुझे नहीं किसी और को चाहता है. मैं उसे भुला नहीं सकती. दिनरात रोती हूं. कभी वह कहता है कि लौट आओ. मुझे उस के व्यवहार को ले कर बहुत गुस्सा आता है, यह सोच कर कि उस ने मेरा मजाक बना रखा है. क्या मैं उस पर भरोसा करूं या नहीं?

जवाब

एकदूसरे को समझने के लिए 3 साल का समय बहुत होता है. यदि आप का प्रेमी आप से साफसाफ कह चुका है कि वह आप को नहीं किसी और लड़की को चाहता है तो आप को किसी गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए और उस से किनारा कर लेना चाहिए. अपने पहले प्यार को भुलाना थोड़ा मुश्किल जरूर होता है पर नामुमकिन नहीं. समय बीतने के साथ आप के दिलोदिमाग से उस की यादें मिट जाएंगी.

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लगभग एक साल पहले भंवरताल गार्डन जबलपुर में रहने वाली आयशा ने स्वास्थ्य महकमे में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर तैनात अपने पति डा. शफातउल्लाह खान की हत्या इसलिए करवा दी थी, क्योंकि उस का पति अपने विभाग की कई महिला कर्मचारियों से अवैध संबंध रखता था. अपनी अय्याशी की वजह से पत्नी के साथ संबंध भी नहीं बनाता था और पत्नी को प्रताडि़त करता था. हद तो तब हो गई जब पति ने पत्नी की नाबालिग भतीजी को अपनी हवस का शिकार बना लिया और इस से नाबालिग को गर्भ ठहर गया. तंग आ कर पत्नी ने सुपारी दे कर उस की हत्या करवा दी. इसी तरह दिसंबर 2019 में नरसिंहपुर जिले के गोटेगांव थाना क्षेत्र में एक युवक आशीष की हत्या उस के दोस्त पंकज ने इसलिए कर दी थी, क्योंकि आशीष ने पंकज की पत्नी से सैक्स संबंध बना रखे थे.

ये घटनाएं साबित करती हैं कि समाज में बढ़ते व्यभिचार और विवाहेत्तर संबंधों के कारण अपराधों का ग्राफ भी तेजी से बढ़ रहा है. आमतौर पर विवाह होने के बाद पति और पत्नी के बीच के सैक्स संबंध प्रारंभ के कुछ वर्षों में तो ठीक रहते हैं, परंतु बच्चों के जन्म के बाद पार्टनर की जरूरतों पर पर्याप्त ध्यान न देना और सैक्स संबंधों के प्रति लापरवाही कलह का कारण बन जाते हैं.

सैक्स स्पैशलिस्ट बताते हैं कि सुखद सैक्स उसी को माना जाता है जिस में दोनों पार्टनर और्गेज्म पा सकें. यदि पतिपत्नी सैक्स संबंधों में एकदूसरे को संतुष्ट कर पाने में सफल होते हैं तो उन के दांपत्य संबंधों की कैमिस्ट्री भी अच्छी रहती है.

मेरी मंगेत्तर ने किसी और से शादी कर ली, मैं क्या करुं?

सवाल

मैं 28 साल का हूं. जिस लड़की से मेरी शादी तय हुई थी, वह 6 महीने तक मेरे संपर्क में रही और मेरे साथ सोई भी. मुझ से पहले उस की शादी कहीं और तय हुई थी, पर दहेज के चलते टूट गई थी. लड़की चोरीछिपे उस लड़के के संपर्क में भी रही और उसे चचेरी बहन का मंगेतर बताती रही. वह यह भी कहती थी कि उस का अंग खराब है. मगर आखिरकार उस ने उसी लड़के से शादी कर ली. मैं उसे बहुत प्यार करता हूं. अब मैं क्या करूं?

जवाब

वह लड़की हमबिस्तरी की काफी शौकीन है. अच्छा हुआ, जो आप बच गए. उस ने आप को चखा और शायद उस लड़के को भी. आखिर में उसे बेहतर पा कर उस से शादी कर ली. आप झूठी और कामुक लड़की के जाल से बच गए, लिहाजा, उस का फरेब वाला प्यार भी भूल जाएं.

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अगर पत्नी पसंद न हो तो आज के जमाने में उस से छुटकारा पाना आसान नहीं है. क्योंकि दुनिया इतनी तरक्की कर चुकी है कि आज पत्नी को आसानी से तलाक भी नहीं दिया जा सकता. अगर आप सोच रहे हैं कि हत्या कर के छुटाकारा पाया जा सकता है तो हत्या करना तो आसान है, लेकिन लाश को ठिकाने लगाना आसान नहीं है. इस के बावजूद दुनिया में ऐसे मर्दों की कमी नहीं है, जो पत्नी को मार कर उस की लाश को आसानी से ठिकाने लगा देते हैं. ऐसे भी लोग हैं जो जरूरत पड़ने पर तलाक दे कर भी पत्नी से छुटकारा पा लेते हैं. लेकिन यह सब वही लोग करते हैं, जो हिम्मत वाले होते हैं. हिम्मत वाला तो पुष्पक भी था, लेकिन उस के लिए समस्या यह थी कि पारिवारिक और भावनात्मक लगाव की वजह से वह पत्नी को तलाक नहीं देना चाहता था. पुष्पक सरकारी बैंक में कैशियर था. उस ने स्वाति के साथ वैवाहिक जीवन के 10 साल गुजारे थे. अगर मालिनी उस की धड़कनों में न समा गई होती तो शायद बाकी का जीवन भी वह स्वाति के ही साथ बिता देता.

उसे स्वाति से कोई शिकायत भी नहीं थी. उस ने उस के साथ दांपत्य के जो 10 साल बिताए थे, उन्हें भुलाना भी उस के लिए आसान नहीं था. लेकिन इधर स्वाति में कई ऐसी खामियां नजर आने लगी थीं, जिन से पुष्पक बेचैन रहने लगा था. जब किसी मर्द को पत्नी में खामियां नजर आने लगती हैं तो वह उस से छुटकारा पाने की तरकीबें सोचने लगता है. इस के बाद उसे दूसरी औरतों में खूबियां ही खूबियां नजर आने लगती हैं. पुष्पक भी अब इस स्थिति में पहुंच गया था. उसे जो वेतन मिलता था, उस में वह स्वाति के साथ आराम से जीवन बिता रहा था, लेकिन जब से मालिनी उस के जीवन में आई, तब से उस के खर्च अनायास बढ़ गए थे. इसी वजह से वह पैसों के लिए परेशान रहने लगा था. उसे मिलने वाले वेतन से 2 औरतों के खर्च पूरे नहीं हो सकते थे. यही वजह थी कि वह दोनों में से किसी एक से छुटकारा पाना चाहता था. जब उस ने मालिनी से छुटकारा पाने के बारे में सोचा तो उसे लगा कि वह उसे जीवन के एक नए आनंद से परिचय करा कर यह सिद्ध कर रही है. जबकि स्वाति में वह बात नहीं है, वह हमेशा ऐसा बर्ताव करती है जैसे वह बहुत बड़े अभाव में जी रही है. लेकिन उसे वह वादा याद आ गया, जो उस ने उस के बाप से किया था कि वह जीवन की अंतिम सांसों तक उसे जान से भी ज्यादा प्यार करता रहेगा.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

जिए तो जिए कैसे संग आपके

स्नेहा मेरी बचपन की सहेली और हमराज है. आज वह पूना में है और मैं दिल्ली में. विवाह से पहले हम एक दिन भी एकदूसरे से मिले बिना नहीं रह पाते थे. अब एकदूसरे को देखे 16 साल बीत गए हैं. उस से मिलने की इच्छा हो रही थी. गरमियों की छुट्टियों में मुंबई गई तो स्वयं को रोक न पाई. अगले दिन पूना के लिए रवाना हो गई. साथ में 14 वर्षीय बेटा और पति भी थे. स्टेशन पर वह भी सपरिवार आई हुई थी. हम आपस में ऐसे मिले कि एकदूसरे को छोड़ने का मन ही नहीं कर रहा था. हंसतेबतियाते हम उस के घर पहुंचे. खाना खाया तो पता चला कि हमारी फिल्म के टिकट आए हुए हैं. स्नेहा और मैं ने तो साथ जाने को मना कर दिया, पति और बच्चों को भेज दिया. हम दोनों एकांत में यादों की पोटली खोल कर बैठ गईं. सोचा, बच्चों व पति के वापस आने पर ही घूमने जाएंगे. लेकिन स्नेहा ने बताया कि वहीं से दूसरी फिल्म देखने जाने का प्रोग्राम है और शाम को डिनर के बाद फिर नाइट शो देखा जाएगा. यह सुनते ही मैं बिफर उठी, ‘‘तेरा दिमाग खराब है क्या? एक दिन में 3 शो देखने की क्या तुक है? मेरे पति क्या सोचेंगे? घर नहीं बैठाना था तो ऐसे ही कहती मैं आती ही नहीं.’’ मैं बोलती रही और वह बुत बनी सुनती रही. एकाएक उस की आंखों में आंसू देख कर मैं चुप हो गई.

अचानक वह मुझ से लिपट कर फूटफूट कर रोने लगी. लग रहा था जैसे बरसों का बांध टूट कर बह रहा हो. थोड़ा संभलने पर उस ने जो बताया, उसे सुन कर मैं हैरान रह गई.

शक का कीड़ा

उस ने बताया कि उस के पति उसे पुरुषों से बात करते देख नहीं सकते थे, उस पर शक करते थे. यहां तक कि जब विवाह के बाद चचेरा भाई मिलने आया और उस ने स्नेहा की कलाई पकड़ ली तो उन्होंने हंगामा खड़ा कर दिया. उसे अकेले मायके जाने की भी परमिशन नहीं थी. जब जाते, साथ जाते. यदि रुकना भी होता तो होटल में रुकते ताकि किसी को उन के शहर में होने की खबर न हो. इस बीच उन की 2 बेटियां भी हो गईं. वे उसे बेटियों के सामने भी जलील करते. कोठी तो शानदार थी, लेकिन छत या बालकनी का दरवाजा तभी खुलता जब वे खुद खोलते. यदि कभी दरवाजा खुले और रिकशेवाला भी खड़ा हो तो कहते कि तुम्हारे लिए खड़ा होगा. यह तो उस की परमानेंट जगह है. आज तुम्हारे पति और बेटे को भी इसीलिए घर में नहीं रहने दिया कि कहीं वे मेरे साथ बात न करें.

यह सुन कर मैं तिलमिला उठी. उसे कोसने लगी कि उस ने बगावत क्यों नहीं की? जानवरों की तरह जुल्म क्यों सहती रही? उस का जवाब था कि वह जब भी अपनी सफाई में कुछ कहती, झगड़ा हो जाता. नौबत मारपीट तक पहुंच जाती. मैं ने पूछा कि आखिर कब तक यह चलता रहेगा तो उस का जवाब था, ‘‘जब 16 साल बीत गए तो बाकी भी काट लूंगी. 2 बेटियों की मां हूं. अकेले संघर्ष नहीं कर सकती. यहीं ठीक हूं. शायद कभी दिन फिर जाएं.’’ उस का जवाब सुन कर समझ नहीं आया कि क्या करूं. उस की सहनशीलता के आगे नतमस्तक हो जाऊं या गूंगी जबान खुलवाने के लिए उसे 2 झापड़ रसीद कर दूं.

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कैसी त्रासद स्थिति है यह. जब दांपत्य जीवन में अविश्वास हो, पति चरित्र पर संदेह करे तो पत्नी की जिंदगी नारकीय बन जाती है. कभीकभी ऐसा भी होता है कि पतिपत्नी तो एकदूजे पर जान छिड़कते हों, लेकिन सासससुर (दोनों के मातापिता) उन का जीना दूभर कर देते हों जैसा कि तरुणी और तेजस के साथ हुआ. दोनों की मुलाकात एक पार्टी में हुई, जो प्रेम में तबदील हो गई. दोनों ने विवाह करने का निश्चय कर लिया, लेकिन परिस्थितियां प्रतिकूल थीं. तेजस के पिता शाम होते ही शराब की बोतल ले कर बैठ जाते थे. नशे में चूर अनापशनाप भी बकते थे. जब उन्हें तेजस के प्रेम का पता चला तो जायदाद से बेदखल करने की धमकी दे दी. उधर तरुणी की मां कर्कशा थीं, गालियों के बिना बात नहीं करती थीं. जब उन्हें तरुणी के प्रेम का पता चला तो उन्होंने तेजस के पूरे खानदान पर गालियों की बौछार कर दी. बेटी को भी कुलच्छिनी, वेश्या जैसी गालियां दीं.

स्पष्ट है कि प्रेम कितना भी अटूट हो, ऐसी स्थिति में विचलित होना स्वाभाविक है. किसी तरह मन को पक्का कर के दोनों ने कोर्टमैरिज कर ली. सोचा, अलग हो कर जुदाई का दुख भी तो सहना पड़ेगा. अत: मिल कर दुख बांटें तो बेहतर है. मन को पक्का कर के तेजस तरुणी को घर ले गया. तरुणी को देखते ही उस के पिता चिल्लाने लगे, ‘‘ले आया अपनी माशूका को. अब क्या लेने आया है? दफा हो यहां से.’’

यह था तरुणी का अपने ससुर के साथ पहला साक्षात्कार. उधर तेजस भी अपनी सासूमां की गालियां खाने के लिए तैयार था. जब वह अपनी ससुराल पहुंचा तो उस की मां उसे देखते ही चिल्लाई, ‘‘कुलच्छिनी कहीं की. ले आई खसम को. मर्द के बिना रह नहीं सकती थी?’’ पतिपत्नी एकदूसरे पर कितनी भी जान छिड़कते हों, लेकिन ऐसे हालात में बेडरूम में प्रेमालाप की जगह सन्नाटा होता है, जहां दोनों अपने मातापिता के कारण एकदूसरे को सांत्वना भी नहीं दे पाते या यों कहें कि हालात पर शोक प्रकट करने के लिए शब्द जुटाने भी मुश्किल हो जाते हैं.

दांपत्य जीवन और विपरीत हालात

विवाह 2 अपरिचित प्राणियों का संयोगवश आपस में मिलन है, जिस में सारी जिंदगी साथ निभाने की अपेक्षा की जाती है. विवाह बेशक एक इंद्रधनुषी सपने के समान रंगीन लगे, लेकिन जब हालात विपरीत हों तो सपने बिखरने में देर नहीं लगती. जैसा कि तरुणी, तेजस और स्नेहा के साथ हुआ. इन की त्रासद स्थिति कोई एक दिन की नहीं है, जो कट जाएगी. ये कोई साधारण जख्म नहीं हैं, जो समय के साथ भर जाएंगे. ये तो कैंसर के फोड़े हैं जो मरते दम तक सालते रहेंगे. लेकिन मरना भी आसान नहीं होता और न ही यह कोई सार्थक हल है. ऐसे हालात में एक ही रास्ता बचता है कि या तो चुपचाप सब कुछ सह लिया जाए या फिर तलाक ले कर एकाकी जिंदगी की नई शुरुआत की जाए.

एकाकी जिंदगी : समस्याएं ही समस्याएं

तलाक लेना इतना आसान नहीं होता. इस के लिए कोर्टकचहरियों के धक्के खाने पड़ते हैं, पैसा पानी की तरह बह जाता है, सालों गुजर जाते हैं. किसी तरह तलाक हो भी जाए तो उस के बाद की जिंदगी भी कम दुष्कर नहीं होती. तलाक के साथ ही जहां पुरुष पर तलाकशुदा का लेबल लग जाता है, वहीं स्त्री को संदेह की नजर से देखा जाता है. यदि दोबारा विवाह करना हो तो पहले तलाक के बारे में सफाई देनी पड़ती है, खासी जलालत झेलनी पड़ती है. पुनर्विवाह के बाद भी समझौते करने पड़ते हैं. यदि बच्चे हों तो उन की समस्याएं और भी बढ़ जाती हैं. स्त्री के लिए स्थिति और भी दुखद होती है. वह तो कटीपतंग के समान होती है, जिसे लूटने के लिए कई हाथ आगे बढ़ते हैं, जिन का उद्देश्य कुछ पल मजे लेना होता है.

तलाकशुदा औरत को मायके में सामंजस्य न होने पर और रास्ते ढूंढ़ने पड़ते हैं. यदि पढ़ीलिखी है तो नौकरी कर के अपना गुजारा कर सकती है, लेकिन सिर छिपाने के लिए उसे सुरक्षित जगह की जरूरत तो पड़ती ही है. उसे पेइंगगेस्ट के तौर पर, विमन होस्टल या किराए पर जगह ले कर रहना पड़ता है. किराए का मकान ढूंढ़ने में उसे परेशानी उठानी पड़ सकती है. आतेजाते लोगों की कुत्सित निगाहों को झेलना पड़ता है. उस पर छींटाकशी होती है, चरित्र पर लांछन लगाए जाते हैं, उसे शक की नजरों से देखा जाता है. यदि कभी स्वास्थ्य खराब हो तो अकेले जूझना पड़ता है.

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तलाकशुदा अभिभावकों के बच्चे भी कम परेशान नहीं करते. वे मांबाप के आगे हठधर्मिता से पेश आते हैं, ब्लैकमेल करते हैं. कानूनी तौर पर वे बेशक अपने माता या पिता के साथ रहते हों लेकिन छोड़े गए मातापिता के प्रति उन के मन में सौफ्ट कौर्नर अवश्य होता है, जो कभी भी रंग दिखा सकता है. इस का कारण यह है कि बच्चों को भी कम ताने नहीं सुनने पड़ते. आर्थिक अभाव बेशक उन की समस्या न हो लेकिन मातापिता का अभाव कहीं अधिक गंभीर होता है. तलाकशुदा स्त्री हो या पुरुष दोनों को ही अपने बच्चों के तानों, क्रोध और अवहेलना का शिकार होना पड़ता है.

तलाक कोई हल नहीं

स्पष्ट है कि दांपत्य संबंधों में आई दरार का हल तलाक कदापि नहीं हो सकता. वैवाहिक जीवन में समस्याएं जहां एक तरफ कुआं हैं, वहीं तलाक खाई के समान है. तलाक किसी भी परिस्थिति में कारगर नहीं हो सकता. अगर तलाक के बाद के कुछ महीने सुख से निकल भी जाएं तो भी आजीवन कष्ट उठाने पड़ते हैं. जीवन भर का सुखदुख आप के हाथ में है. अत: दांपत्य जीवन की समस्याओं का इलाज ढूंढि़ए. यदि परिस्थितियां लाइलाज हों तो भी कष्ट सहते रहने में कोई बुराई नहीं है, क्योंकि कष्टों का अंत करना आप के हाथ में नहीं है, लेकिन कष्टों को स्वीकार कर के जीना आप के हाथ में है. कुछ समस्याएं अनदेखी भी की जा सकती हैं. उदाहरण के लिए तरुणी और तेजस की समस्या, जो अभिभावकों की वजह से है, इसे अनदेखा करने में ही भलाई थी. यदि दंपती में आपस में प्रेम हो तो अभिभावकों को छोड़ कर अकेले रहा जा सकता है, बशर्ते मेहनतमशक्कत कर के दालरोटी कमाने और घर बनाने की क्षमता हो. यदि छोड़ना किसी कारण से संभव न हो तो भी अनदेखा करना ठीक है. आखिर कोई कब तक बोलता रहेगा. यदि बोलता भी रहे तो भी एक कान से सुन कर दूसरे से निकालने मे ही भलाई है.

यदि पति या पत्नी का किसी परस्त्री या परपुरुष से संबंध भी हो जाए तो भी लड़नेझगड़ने या अलग होने से समस्या हल नहीं होगी. आमतौर पर ये संबंध आएगए होते हैं, लेकिन यदि प्रेम संबंध प्रगाढ़ हो, जिसे तोड़ पाना असंभव हो तो भी अनदेखा करने में ही भलाई है. फिल्म अभिनेता धर्मेंद्र की पत्नी प्रकाश ने हेमामालिनी को बेशक घर में स्वीकार नहीं किया, लेकिन होहल्ला नहीं मचाया, न ही तलाक की मांग की. आज उन के बच्चे भी तनावमुक्त हैं. धर्मेंद्र और हेमामालिनी का विवाह वस्तुत: उदाहरण है, जहां समस्याएं न होने का पूरा श्रेय धर्मेंद्र की पहली पत्नी प्रकाश को जाता है, जिस ने सच को स्वीकारा. बगावत का रास्ता चुने बगैर निभाया. दूसरी तरफ हेमा की सहनशीलता और त्याग भी कम नहीं है, जिस ने प्रेम की खातिर एकाकी जीवन को आदर से जीया. धर्मेंद्र की एडजस्टमेंट की कुशलता काबिलेतारीफ है ही, जिस ने दोनों हाथों में लड्डू ले कर मजे किए. आजकल टीवी पर दिखाए जा रहे कई धारावाहिक भी यही दर्शाते हैं.

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थोड़ा सा ब्रेक ले कर तो देखें

रिश्तों में स्पेस उतनी ही जरूरी है जितनी जीने के लिए औक्सीजन जैसे अगर वातावरण में औक्सीजन की कमी हो जाए तो घुटन होती है ठीक उसी तरह रिश्तों में भी बिना स्पेस के प्यार कहीं खोने लगता है. यदि आप भी अपने सब से प्यारे रिश्ते को ताउम्र तरोताजा रखना चाहती हैं, तो आप को देना होगा अपने बैटर हाफ को एक छोटा सा ब्रेक.

उन के इस स्वभाव को समझें, लेकिन साथ न छोड़ें. यकीनन इस ब्रेक के बाद जब वे लौट कर आप के पास आएंगे, तो आप का यह मिलन निश्चित रूप से जादुई होगा. उस में अपनेआप पहले वाली ताजगी लौट चुकी होगी. निश्चित ही ब्रेक के बाद रिश्ते में पहले से कहीं ज्यादा मिठास होगी और ताजगी भी.

‘‘एक वक्त ऐसा आया था, जब हम दोनों को लगने लगा कि हमारा यह रिश्ता अब ज्यादा दिन नहीं चलेगा, लेकिन आज एकदूसरे की कीमत हम से ज्यादा कोई नहीं जानता. यह कमाल है एक छोटे से ब्रेक का,’’ चेहरे पर कौन्फिडैंस लिए यह कहना था करुणा शर्मा का.

पता नहीं पहले कभी आप ने सुना हो या नहीं, लेकिन सच्चे और लंबे समय के मिलन के लिए जुदाई बहुत जरूरी है. अगर आप के रिश्ते में कभी ब्रेक नहीं लगा, तो यकीनन आप कुछ खो रहे हैं. आज के हर युवा को चाहिए रिलेशनशिप में थोड़ी सी स्पेस और एक छोटा सा ब्रेक. कई लोगों ने इसे आजमाया और यही पाया कि कुछ समय बिछुड़ने के बाद मिलना बहुत सुखदायक होता है.

लिव इन रिलेशनशिप, आसानी से मिलने वाला प्यार और इन दिनों आम हो रहे प्रेम प्रसंगों ने ही इस नए चलन को जन्मा है. आइए मिलते हैं, ऐसे ही कुछ लोगों से जिन की जिंदगी में इस ब्रेक की बहुत जरूरत थी :

इम्तिहान के वे 5 महीने

जयपुर की रहने वाली स्मिता कहती हैं, ‘‘हमारे रिश्ते को अब पूरे 5 साल हो गए. इन 5 सालों में करीब 5 महीने की एक लंबी जुदाई आई. करीब 3 साल लगातार हमारा प्यार परवान चढ़ा रहा. पहले एकदूसरे में कभी कोई कमी नजर नहीं आती थी, लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया जब रिश्ता घुटन बनने लगा. किसी को जब आप बहुत ज्यादा जान लेते हैं, तो भी मुसीबतें खड़ी होने लगती हैं. जिन बातों को पहले हम नजरअंदाज कर दिया करते थे, वही अब बड़ी लग रही थीं.

‘‘आखिरकार वही हुआ, जिस का हमें अंदाजा था. एकदूसरे की सहमति से हम ने

इस रिश्ते को हमेशा के लिए खत्म करने का फैसला किया. दोनों ने वादा किया कि अब

कभी फोन, किसी संदेश और दूसरी तरह से संपर्क नहीं होगा. हुआ भी ऐसा ही. मैं भी अपनी दुनिया में व्यस्त हो गई और वे भी. कभीकभी उन की याद भी आती, तो उसे मैं दिल में ही दबा देती.

‘‘पूरे 5 महीने बाद मौसम बदला और दिल में किसी की कमी महसूस होने लगी. उस से कभी बात न करने का वादा किया था, लेकिन नजरों को फिर उसी की तलाश थी. कुदरत ने साथ दिया और हम वापस मिले, लेकिन इस बार हमेशा के लिए. इतने बड़े अंतराल में एक बात साबित हो गई थी कि रिश्ता भले कोई भी हो, उस में थोड़ी स्पेस जरूर हो.’’

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रबड़बैंड थ्यौरी

रिश्ते की इन उलझनों को समझने के लिए आप का रबड़बैंड थ्यौरी को समझना बहुत जरूरी है. जान ग्रे की बुक ‘मैन्स आर फ्रौम मार्स ऐंड विमन आर फ्रौम वीनस’ स्त्रीपुरुष की रिलेशनशिप को समझने और सुधारने के लिए एक बेहतर किताब है. इस में साफतौर पर पुरुष की मनोस्थिति को बताते हुए उन की तुलना एक रबड़बैंड से की गई है.

पुरुषों का यह स्वाभाविक अंदाज है कि वे किसी महिला के पूरी तरह पास आने के कुछ समय बाद दूर जाने लगते हैं. चाहे महिला कितना भी प्रेम करे. ऐसा होना स्वाभाविक है. अपनी आजादी और अस्तित्व को तलाशने के लिए वे ऐसा करते हैं. लेकिन यह भी सच है कि जब वे पूरी तरह से दूर जाते हैं. तभी लौट कर आते भी हैं. जब वे वापस आते हैं, तो उन का प्यार और अपने पार्टनर के प्रति आस्था कहीं ज्यादा हो चुकी होती है. महिलाएं अकसर उन के इस स्वभाव से धोखा खा कर उन का साथ छोड़ देती हैं.

जानबूझ कर लिया ब्रेक

फीके पड़ते रिश्तों में फिर से पहले वाली मिठास भरने के लिए कुछ कपल जानबूझ कर भी ब्रेक लेने लगे हैं. वे जानना चाहते हैं कि क्या वे वाकई एकदूसरे के बिना नहीं रह सकते? उन के बीच सच में प्यार है या महज आकर्षण? उन्हें लगने लगा है कि दूरी ही वह राह है, जो उन्हें सही मंजिल का पता दे सकती है.

एमबीए स्टूडैंट विकास शर्मा कहते हैं, ‘‘अगर हम रोजरोज दाल खाएंगे, तो एक दिन ऐसा जरूर होगा जब हमें उस से नफरत हो चुकी होगी. जिस तरह हम रोज एक स्वाद का खाना नहीं खा सकते, ठीक उसी तरह रोजाना एक

ही पैटर्न पर जिंदगी भी नहीं चल सकती.

कोई आप से हमेशा के लिए दूर हो जाए, उस से तो अच्छा है कि उसे कुछ दिन के लिए ही दूर करें.

‘‘मैं निशा को बहुत प्यार करता हूं. जब वह मुझे मिली नहीं थी, तो मैं उसे पाने के लिए कुछ भी कर सकता था, लेकिन जब वह मेरी हो गई तो धीरेधीरे उस की कद्र भी कम हो गई. उस की हर बात मेरे लिए इतनी गंभीर नहीं होती थी, क्योंकि मुझे मालूम था कि वह मुझ से प्यार करती है और मुझे छोड़ कर कहीं नहीं जाएगी. अपने इस रवैए से मैं खुद परेशान होने लगा. अपने प्यार के एहसास को फिर से वापस पाने के लिए मैं ने निशा से एक छोटा सा ब्रेकअप किया. वह उस समय बहुत रोई, लेकिन मैं ने अपने दिल पर पत्थर रखते हुए उसे अपने से अलग कर दिया. शुरुआत में उस के फोन भी रिसीव नहीं किए.

‘‘करीब 1 साल बाद उसी तारीख को जब हम जुदा हुए थे, मेरे अंदर प्यार और पागलपन फिर से वापस आने लगा. मेरे पास उस का जो नंबर था, वह बदल गया था. उस की कोई खबर नहीं थी, लेकिन मैं चाहता था कि मुझे दिलोजान से प्यार करने वाली निशा फिर से मेरी जिंदगी में आ जाए. उस के दोस्तों से मिल कर उस के घर का नंबर लिया. उस समय शायद वह मुझे बेवफा समझ रही थी, इसलिए फोन पर आने को भी तैयार नहीं थी. काफी कोशिश कर के उस से फिर मुलाकात हो पाई. जब अपने दूर होने का कारण उसे बताया, तो उस की नम आंखें मुझे घूर रही थीं. मैं उस की एक हां के लिए फिर से तरस रहा था. उस दिन पता चला कि अगर यह ब्रेकअप न होता, तो हम कभी इस प्यार की गहराई को नहीं समझ सकते थे.’’

हम भी आजमाते हैं इसे

विशाल और कविता का प्रेमविवाह हुआ है. दोनों सेम प्रोफैशन के तो हैं ही, साथ ही उन के विचार भी एकजैसे हैं. वे कहते हैं, ‘‘अकसर लोग हमें कहते हैं कि प्यार का जोश कुछ समय में ठंडा हो जाता है. पहले जैसा जोश और प्यार उन के रिश्ते में नहीं रहता. हमें मालूम है कि हमें लंबे समय तक अपने प्यार को जिंदा रखने के लिए क्या करना है? प्यार को ताजा रखने के लिए हमें एकदूसरे को जगह और आजादी देना जरूरी है. हर वक्त यह उम्मीद लगाए नहीं बैठना चाहिए कि हम साथ हों.’’

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विशाल कहते हैं, ‘‘मैं अपनी पत्नी को उस के दोस्तों के साथ और परिवार वालों के साथ भी समयसमय पर भेजता हूं. यह वह वक्त होता है, जब मैं उसे एक भी फोन नहीं करता. हर वक्त वह भी मुझ से सवाल नहीं करती. ऐसा करते हुए हम एकदूसरे का लगातार खयाल रखते हैं. जब हम अपने इस अकेलेपन के मूड से निकल कर फिर एक होते हैं, तो प्यार अपनेआप ताजा हो जाता है.’’

जरूरी है थोड़ी सी स्पेस

राजस्थान यूनिवर्सिटी जयपुर में समाजशास्त्र की प्रोफैसर अंजलि सिन्हा कहती हैं, ‘‘काम की थकान के बाद नींद अच्छी आती है. अच्छी नींद अच्छे ख्वाब लाती है. रिश्ते भी इसी तरह के मीठे ख्वाब हैं, जिन्हें सुकून होने पर ही महसूस कर पाते हैं. लेकिन यह तब होता है जब आप रिश्तों को जीते हैं. ब्रेक लेने का मतलब यह नहीं कि आप अपने साथी को बिसरा दें, बल्कि तनहाई में सोचें कि कितना पाया है आप ने इस रिश्ते में. साथ ही यह भी कि दिया कितना है? दोनों पलड़ों का संतुलन देखें और सोचें अगर कहीं संतुलन नहीं बन पा रहा है, तो वजह क्या है?

‘‘आप से दूर रहना आप के जीवनसाथी को भी इतनी मोहलत देगा कि वे सोच सकें कि आप उन की जिंदगी में कितने अहम हैं. उन्हें हर समय खुद में उलझाए रखा तो आप उन से वह समय भी ले लेंगी, जिस में वे आप के बारे में सोचना चाहते हैं और यह समय छोटे से ब्रेक से उन्हें दे सकती हैं. जरूरी नहीं कि यह महीनों लंबा हो, लेकिन इतना जरूर हो कि आप एक जिम्मेदारी की तरह उन्हें याद न आएं. याद आएं तो इस तरह कि वे फिर बस आप के पास लौट आने के लिए बेकरार हो उठें.’’

गौरतलब है कि हर पतिपत्नी के बीच झगड़े की खास वजह असुरक्षा और ईगो होता है. यदि आप अपने पार्टनर को प्रौपर स्पेस देते हैं,

तो उस के मन में किसी तरह की असुरक्षा की भावना नहीं रहेगी और न ही आप के मन में रहेगी. आप दोनों हमेशा प्यार से रहें, हंसीमजाक करे, लेकिन शक के घेरे में ले कर हजार सवाल न पूछें. किसी भी रिश्ते में स्पेस देने से भरोसा और भी ज्यादा बढ़ता है. इतना ही नहीं, आप के पार्टनर आप से ज्यादा खुल कर बात कर सकते हैं. साथ ही इस से आप दोनों के बीच सम्मान और प्यार बढ़ता है. ऐसे में पतिपत्नी को पर्सनल स्पेस का ध्यान रखना चाहिए. जिस से कि रिश्ते में प्यार बना रहे.

इन सब के बावजूद भी रिश्ते में सही तालमेल नहीं बैठ रहा है, तो अलगअलग समय बिताने की कोशिश करें. 1 या 2 सप्ताह के लिए एकदूसरे को नहीं देखने की सहमति लें और यह तय करने के बाद स्पष्ट करें कि आप अभी भी एकसाथ हैं और अपना रिश्ता इस समय के दौरान खास रहेगा. ऐसे वक्त में एकसाथ समय नहीं बिताएं न एकदूसरे को मैसेज भेजें. न ही फोन पर बात करें. यह जुदाई आप के लिए यह जानने में मददगार साबित होगी कि आप इस रिश्ते को कितना महत्त्व देते हैं.

यह पहली बार में मुश्किल जरूर हो सकता है. लेकिन यदि आप अपने जीवन में अपने पार्टनर के बिना सुकून महसूस करते हैं, तो शायद ब्रेक ले लेना एक अच्छा विचार है. इसे आप रिश्ते को बेहतर बनाने का एक बेहतरीन विकल्प भी कह सकते हैं. अब यदि आप शुरुआती कुछ दिनों में ब्रेकअप में आनंद महसूस करते हैं, लेकिन उस के बाद आप अपने पार्टनर को मिस करने लगते हैं और अपना जीवन उस के बिना अधूरा महसूस करते हैं, तो आप को रिश्ते को फिर से सुधारने की पहल करनी चाहिए.

निजी आजादी का सम्मान

– विनिता छाबड़ा

‘‘रिश्तों में निजी आजादी के लिए घट रहे स्पेस की वजह से परिवार टूट रहे हैं. आए दिन ऐसे मामले बढ़ रहे हैं. आजादी की जितनी दरकार एक देश को, एक समाज को, हमारे विचारों को और हमारी अभिव्यक्ति को है, उतनी ही आजादी की मांग एक मजबूत रिश्ता भी करता है. इस तरह के मामलों को बढ़ने से आ रही दरार को खत्म कर यदि मजबूत रिश्ता चाहते हैं, तो यह बेहद जरूरी है कि एकदूसरे की निजी आजादी का सम्मान करना होगा.’’

स्पेस में भी रिश्ता रहे मजबूत

– डा. सावित्री सराधना, प्रोफैसर, समाजशास्त्र, राजस्थान विश्वविद्यालय मनोचिकित्सक, एसएमएस अस्पताल, जयपुर

‘‘हर इनसान को अपनी आजादी प्यारी होती है, क्योंकि कोई भी रिश्ता सिर्फ प्यार से ही नहीं चलता, बल्कि उसे चलाने के लिए कई ऐसी चीजें हैं, जो अपनी जगह माने रखती हैं. कई बार जरूरत से ज्यादा रोकटोक रिश्ते में दरार पैदा कर देती है. ऐसे में रिश्ते में स्पेस देना जरूरी हो जाता है. खासतौर से शादीशुदा जिंदगी में स्पेस बहुत जरूरी हो जाता है. ज्यादा दखलंदाजी रिश्ते को खराब कर सकती है. ऐसे में जरूरी है कि सब से पहले अपने पार्टनर को समय दें. साथ ही उस की जिंदगी में ज्यादा ताकझांक या रोकाटोकी न करें. ऐसे में पार्टनर को अकेला छोड़ने के बजाय उसे उस की सोच को कायम रखने के लिए सोचने का मौका दिया जाए. इस दौरान अपने साथी को हमेशा उस की गलतियां बताने में न रहे, क्योंकि ऐसे वक्त में सही बात भी गलत लगने लगती है.’’

फायदे फैमिली ब्रेक के

कैरियर और निवेश ने आप का कल तो सुरक्षित कर दिया, लेकिन आज की खुशियों का क्या? कल की चिंता में कई बार हम आज की खुशियों के छोटेछोटे पलों को नजरअंदाज कर देते हैं. अब ऐसा न हो, इस के लिए फैमिली ब्रेक लेने के कुछ मौके बिलकुल न गंवाएं.

त्योहार हमें परिवार के साथ समय बिताने का पूरा मौका देते हैं लेकिन हम तीजत्योहार की रीतिरस्म निभाने में इतना व्यस्त हो जाते हैं कि त्योहार की छुट्टियां कब आईं और चली गईं, हमें पता ही नहीं चलता. यदि इन सब चीजों को दरकिनार कर क्वालिटी फैमिली टाइम बिताना है तो फैमिली डिनर, शौर्ट ट्रिप इत्यादि ऐसे विकल्प हैं, जो न सिर्फ आपसी रिश्तों को ताजगी से सराबोर करेंगे, बल्कि फैमिली के हर सदस्य के बारे में करीब से जानने का मौका भी देंगे.

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फैमिली डिनर आउटिंग पत्नी को रोज के घरेलू कामों से थोड़ा ब्रेक देगी, तो वह भी रिलैक्स हो कर आप के साथ क्लालिटी टाइम बिता पाएगी और फिर पत्नीबच्चों के साथ शौर्ट ट्रिप या लौंग ड्राइव पर जाने से बेहतर तो शायद और कुछ न हो, क्योंकि ऐसे पल आपसी बौंडिंग को मजबूत करने के साथ यादगार पलों का तोहफा भी दे जाते हैं.

किसी विज्ञापन की एक लाइन यहां याद आती है कि दूर जाओगे तभी तो अपनों के करीब आओगे.

जब अजीब हो सैक्सुअल व्यवहार

ओसामा की पत्नी सैक्स की भूखी

अलकायदा के पूर्व प्रमुख ओसामा बिन लादेन की सब से बड़ी पत्नी ने दावा किया है कि ओसामा की सब से छोटी पत्नी चौबीसों घंटों सैक्स करना चाहती थी. द सन के अनुसार खैरियाह ने कहा कि अमल हमेशा ओसामा के साथ सोने के लिए झगड़ा करती थी. मुझे ओसामा के पास नहीं जाने देती थी.

क्या कहता है सर्वे

अमेरिका ने भी सैक्स की लत को 2012 में मानसिक विकृति करार दिया और इस काम को लास एंजिल्स की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अंजाम दिया है. भारत में यह समस्या अभी शुरुआती दौर में है. लेकिन एक ओर मीडिया और इंटरनैट पर मौजूद तमाम उत्तेजना फैलाने वाली सामग्री की मौजूदगी तो दूसरी ओर यौन जागरूकता और उपचार की कमी के चलते वह दिन दूर नहीं जब सैक्स की लत महामारी बन कर खड़ी होगी. क्याआप को फिल्म ‘सात खून माफ’ के इरफान खान का किरदार याद है या फिर फिल्म ‘मर्डर-2’ देखी है? फिल्म ‘सात खून माफ’ में इरफान ने ऐसे शायर का किरदार निभाया है, जो सैक्स के समय बहुत हिंसक हो जाता है. इसी तरह ‘मर्डर-2’ में फिल्म का खलनायक भी मानसिक रोग से पीडि़त होता है. फिल्म ‘अग्नि साक्षी’ में भी नाना पाटेकर प्रौब्लमैटिक बिहेवियर से पीडि़त होता है. इसे न सिर्फ सैक्सुअल बीमारी के रूप में देखना चाहिए, बल्कि यह गंभीर मानसिक रोग भी हो सकता है.

सैक्सोलौजिस्ट डाक्टर बीर सिंह, डाक्टर एम.के. मजूमदार और मनोचिकित्सक डाक्टर स्मिता देशपांडे से बातचीत के आधार पर जानें कि सैक्सुअल मानसिक रोग कैसेकैसे होते हैं:

ऐबनौर्मल सैक्सुअल डिसऔर्डर

फैटिशिज्म: इस में व्यक्ति उन वस्तुओं के प्रति क्रेजी हो जाता है, जो उस की सैक्स इच्छा को पूरा करती हैं. इस बीमारी से पीडि़त व्यक्ति अपने पासपड़ोस की महिलाओं के अंडरगारमैंट्स चुरा कर रात को पहनता है. कभीकभी ऐसे लोग महिलाओं पर बेवजह हमला भी कर देते हैं या फिर उन्हें छिप कर देखते हैं.

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सैक्स फैरामोन: सैक्स फैरामोन यानी गंध कामुकता से पीडि़त व्यक्ति काफी खतरनाक होता है. ऐसा व्यक्ति स्त्री की डेट की गंध से उत्तेजित हो जाता है. ऐसे में कोई भी स्त्री, जिस की देह की गंध से वह उत्तेजित हुआ हो, उस का शिकार बन सकती है. वह उस स्त्री को हासिल करने के लिए कुछ भी कर सकता है.

सैक्सुअली प्रौब्लमैटिक बिहेवियर: सैक्स से पहले पार्टनर को टौर्चर करने के मनोविकार को प्रौब्लमैटिक बिहेवियर भी कहते हैं, जिसे नाना पाटेकर की फिल्म ‘अग्नि साक्षी’ में दिखाया गया है. महिला की आंखों पर पट्टी बांधना, उस के हाथपैर बांधना, उसे काटना, बैल्ट या चाबुक से मारना, दांत से काटना, सूई चुभोना, सिगरेट से जलाना, न्यूड घुमाना, चुंबन इतनी जोर से लेना कि दम घुटने लगे, हाथों को बांध कर पूरे शरीर को नियंत्रण में लेना और फिर जो जी चाहे करना. इस तरह के कई और हिंसात्मक तरीके होते हैं, जिन्हें ऐसे पुरुष यौन क्रिया से पहले पार्टनर के साथ करते हैं.

निम्फोमैनिया: निम्फोमैनिया काफी कौमन डिजीज है. इस की पेशैंट केवल फीमेल्स ही होती हैं. उन में डिसबैलेंस्ड हारमोंस की वजह से हाइपर सैक्सुअलिटी हो जाती है. फीमेल्स के सैक्सुअली ज्यादा ऐक्टिव हो जाने की वजह से उन्हें मेल्स का साथ ज्यादा अच्छा लगने लगता है. ऐसी लड़कियों में मेल्स को अपनी तरफ अट्रैक्ट करने की चाह काफी बढ़ जाती है. वे ऐसी हरकतें करने लगती हैं, जिन से लड़के उन की तरफ अट्रैक्ट हों. ऐसा न होने पर उन्हें डिप्रैशन की प्रौब्लम भी हो जाती है.

पीड़ा रति नामक काम विकृति: इस बीमारी में व्यक्ति संबंध बनाने से पहले महिला को बुरी तरह पीटता है. यौनांग को बुरी तरह नोचता है. पूरे शरीर में नाखूनों से घाव बना देता है. पीड़ा रति से ग्रस्त पुरुष अपने साथी को पीड़ा पहुंचा कर यौन संतुष्टि अनुभव करता है. ऐसी अनेक महिलाएं हैं, जिन्हें शादी के बाद पता चलता है कि उन के पति इस तरह के किसी ऐबनौर्मल सैक्सुअल डिसऔर्डर से पीडि़त हैं. ऐसी स्थिति में उन्हें जल्द से जल्द किसी मनोचिकित्सक या सैक्सोलौजिस्ट के पास ले जाना जरूरी हो जाता है. अगर इलाज के बाद भी पुरुष सही न हो, तो किसी वकील से मिल कर आप परामर्श ले सकती हैं कि ऐसे व्यक्ति के साथ पूरी जिंदगी बिताना सही है या फिर इस रिश्ते को खत्म कर लेना.

वैवाहिक बलात्कार: सुनने में अटपटा सा लगता है कि क्या विवाह के बाद पति बलात्कार कर सकता है. लेकिन यह सच है कि कुछ महिलाओं को अपने जीवन में इस त्रासदी से गुजरना पड़ता है. इस प्रकार के पति हीनभावना के शिकार होते हैं. उन्हें सिर्फ अपनी सैक्स संतुष्टि से मतलब होता है. अपने साथी की भावनाएं उन के लिए कोई माने नहीं रखतीं. हमारे हिंदू विवाह अधिनियम के तहत इस तरह पत्नी की इच्छा व सहमति की परवाह किए बिना पति द्वारा जबरन यौन संबंध बनाना यौन शोषण व बलात्कार की श्रेणी में आता है.

आमतौर पर शराब के नशे में पति इस तरह के अपराध करते हैं. शराब के नशे में वे न केवल पत्नी का यौनशोषण करते हैं वरन उन से मारपीट भी करते हैं. यह कानूनन अपराध है. वैसे पति द्वारा पत्नी पर किए गए बलात्कार के लिए हमारे हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 375 और 379 के तहत पत्नियों को कई अधिकार प्राप्त हैं. वे कानूनी तौर पर पति से तलाक भी ले सकती हैं.

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पीडोफीलिया: पीडोफीलिया यानी बाल रति पीडोफीलिया से पीडि़त पुरुष छोटे बच्चे के साथ यौन संबंध बना कर काम संतुष्टि पाते हैं. वे बच्चों के साथ जबरदस्ती करने के बाद पहचान छिपाने के लिए बच्चे की हत्या तक कर डालते हैं. पीडोफीलिया से पीडि़त व्यक्ति में यह भ्रांति होती है कि बच्चे के साथ यौन संबंध बनाने पर उस की यौन शक्ति हमेशा बनी रहेगी. ऐसे व्यक्ति अधिकतर 14 साल से कम उम्र के बच्चों को अपना शिकार बनाते हैं.

सैक्स मेनिया: इस से ग्रस्त व्यक्ति के मन में हर समय सैक्स करने की इच्छा रहती है. वह दिनरात उसी के बारे में सोचता है. फिर चाहे वह औफिस में काम कर रहा हो या फिर दोस्तों के साथ पार्टी में हो, उसे हर वक्त सैक्स का ही खयाल रहता है. वह अपने सामने से गुजरने वाली हर महिला को उसी नजर से देखता है. यह एक प्रकार का मानसिक रोग होता है, जिस में व्यक्ति के मन में सैक्स की इच्छा इस कदर प्रबल हो जाती है कि वह पहले अपनी पत्नी को बारबार सैक्स करने के लिए कहता है और फिर बाहर अन्य महिलाओं से भी संबंध बनाने की कोशिश करता है. एक पार्टनर से उस का काम नहीं चलता है. उसे अलगअलग पार्टनर के साथ सैक्स करने में आनंद आता है.

इस बीमारी से पीडि़त व्यक्ति का कौन्फिडैंस इस हद तक बढ़ जाता है कि उसे लगता है कि उस के लिए कुछ भी असंभव नहीं है. जो भी वह चाहता है उसे पा सकता है. अपने इसी जनून के चलते कई बार वह अपना अच्छाबुरा सोचनेसमझने की शक्ति भी खो देता है और फिर कोई अपराध कर बैठता है. उसे उस का पछतावा भी नहीं होता, क्योंकि ऐसा कर के उस के दिल और दिमाग को अजीब सी संतुष्टि मिलती है, जो उसे सुकून देती है.

सैक्स फोबिया: यह सैक्स से जुड़ी एक समस्या है. जिस तरह सैक्स मेनिया में व्यक्ति के मन में सैक्स को ले कर कुछ ज्यादा ही इच्छा होती है उसी तरह कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिन्हें सैक्स में कोई रुचि नहीं होती. जब ऐसी अलगअलग प्रवृत्ति के 2 लोग आपस में वैवाहिक संबंध में बंधते हैं, तो सैक्स के बारे में अलगअलग नजरिया रखने के कारण सैक्स की प्रक्रिया और मर्यादा को ले कर उन में विवाद शुरू होता है और दोनों में से कोई भी इस बात को नहीं समझ पाता कि सैक्स मेनिया और सैक्स फोबिया, मानव मस्तिष्क में उठने वाली सैक्स को ले कर 2 अलगअलग प्रवृत्तियां हैं. दोनों के ही होने के कुछ कारण होते हैं और थोड़े से प्रयास और मनोचिकित्सक की सलाह के साथ इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है.

पीपिंग: पीपिंग का मतलब है चोरीछिपे संभोगरत जोड़ों को देखना और फिर उसी से यौन संतुष्टि प्राप्त करना. संभोगरत अवस्था में किसी को देखने से रोमांच की स्वाभाविक अनुभूति होती है. हेवलाक एलिस ने अपनी पुस्तक ‘साइकोलौजी औफ सैक्स’ में लिखा है कि संभ्रांत लोग अपनी जवानी के दिनों में दूसरी औरतों को सैक्स करते हुए देखने के लिए उन के कमरों में ताकाझांकी करते थे. यही नहीं सम्मानित मानी जाने वाली औरतें भी परपुरुष के शयनकक्षों में झांकने की कोशिश किया करती थीं. अगर आदत हद से ज्यादा बढ़ जाए तो एक गंभीर मानसिक रोग के रूप में सामने आती है.

ऐग्जिबिशनिज्म: इस डिसऔर्डर से पीडि़त व्यक्ति अपने गुप्तांग को किसी महिला या बच्चे को जबरदस्ती दिखाता है. इस से उसे खुशी और संतुष्टि मिलती है. ऐसे लोग दूसरों को अप्रत्यक्ष रूप से हानि पहुंचाना चाहते हैं. हमारे देश में किसी को इस तरह तंग करना कानूनन अपराध है. ऐसा करने वालों को निश्चित अवधि की कैद और जुर्माना देना पड़ सकता है.

फ्रोट्यूरिज्म: इस सैक्सुअल डिसऔर्डर से पीडि़त व्यक्ति किसी से भी संबंध बनाने से पहले अपने गुप्तांग को रगड़ता या दबाता है. यह डिसऔर्डर ज्यादातर नपुंसकों में पाया जाता है.

बेस्टियलिटि: इस में व्यक्ति के ऊपर सैक्स इतना हावी हो जाता है कि वह किसी के साथ भी सैक्स करने में नहीं झिझकता. ऐसे में वह ज्यादातर असहाय लोगों या जानवरों का उत्पीड़न करता है.

सैडीज्म ऐंड मैसेकिज्म: इस से पीडि़त व्यक्ति ज्यादातर समय फैंटेसी करता रहता है. ऐसे लोग सैक्स के समय अपने पार्टनर को नुकसान भी पहुंचाते हैं.

ऐक्सैसिव डिजायर: अगर किसी शादीशुदा पुरुष का मन अपनी पत्नी के अलावा अन्य महिलाओं के साथ भी शारीरिक संबंध बनाने को करे तो वह एक डिसऔर्डर से पीडि़त होता है.

सैक्स ऐडिक्शन: सैक्स ऐडिक्शन एक प्रकार की लत है, जिस में पीडि़त व्यक्ति को हर जगह दिन और रात सैक्स ही सूझता है. ऐसे लोग अपना ज्यादातर समय सैक्स संबंधी प्रवृत्तियों में बिताने की कोशिश करते हैं. जैसे कि पोर्न वैबसाइट देखना, सैक्स चैट करना, पोर्न सीडी, अश्लील एमएमएस देखना. एक सैक्स ऐडिक्ट की सैक्स इच्छा बेकाबू होती है. उस की प्यास कभी पूरी तरह नहीं बुझती. ऐसे लोग समाज के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं. वे बच्चों, बुजुर्गों या जानवरों के साथ सैक्स कर सकते हैं.

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ऐबनौर्मल सैक्सुअल डिसऔर्डर के कारण

वैज्ञानिक, मनोचिकित्सक ऐबनौर्मल सैक्सुअल बिहेवियर के उत्पन्न होने के बारे में अभी तक सहीसही कारणों का पता नहीं लगा पाए हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि मस्तिष्क में स्थित न्यूरोट्रांसमीटर में किसी प्रकार की खराबी, मस्तिष्क की रासायनिक कोशिकाओं में गड़बड़ी, जींस की विकृति आदि कारणों की वजह से व्यक्ति ऐबनौर्मल सैक्सुअल बिहेवियर से पीडि़त हो जाता है. अगर हम बात करें सैक्स ऐडिक्शन की तो कुछ वैज्ञानिक ऐसा भी मानते हैं कि 80% सैक्स ऐडिक्ट लोगों के मातापिता भी जीवन में अकसर सैक्स ऐडिक्ट रहे होंगे. ऐसा भी माना जाता है कि अकसर ऐसे लोगों में सैक्सुअल ऐब्यूज की हिस्ट्री होती है यानी ज्यादातर ऐसे लोगों का कभी न कभी यौन शोषण हो चुका होता है. इस के अलावा जिन परिवारों में मानसिक और भावनात्मक रूप से लोग बिखरे हुए हों, ऐसे परिवारों के लोगों के भी सैक्स ऐडिक्ट होने की आशंका रहती है.

इस तरह के डिसऔर्डर की कई वजहें हो सकती हैं. जिन लोगों की उम्र 60 साल से ज्यादा होती है वे भी इस का शिकार हो सकते हैं. दूषित वातावरण, गलत सोहबत, अश्लील पुस्तकों का अध्ययन, ब्लू फिल्में अधिक देखने आदि की वजह से व्यक्ति ऐसी काम विकृति से पीडि़त हो जाते हैं. विवाह के बाद जब पत्नी को अपने पति के काम विकृत स्वभाव के बारे में पता चलता है तब उस की स्थिति काफी परेशानी वाली हो जाती है.

डिसऔर्डर को दूर करने के उपाय

अगर शादी के बाद पत्नी को पता चले कि उस का पति किसी ऐसे ही रोग से पीडि़त है, तो उसे संयम से काम लेना चाहिए. ऐसे पति पर गुस्सा करने, उस के बारे में ऊलजलूल बकने, यौन इच्छा शांत न करने देने, ताना देने आदि से गंभीर स्थिति पैदा हो जाती है. ऐसे पति तुरंत किसी तरह का गलत निर्णय भी ले सकते हैं. यहां तक कि हत्या या आत्महत्या का निर्णय भी ले लेते हैं.

काम विकृति से पीडि़त पति को प्यार से समझाएं. सामान्य संबंध बनाने को कहें. जब पति न माने तब अपनी भाभी या सास को इस की जानकारी दें.

ऐसे लोगों का मनोचिकित्सक से इलाज कराया जा सकता है. इन में सब से पहले मरीज की काउंसलिंग की जाती है, जिस से पता लगाया जाता है कि मरीज बीमारी से कितना ग्रस्त है. उस के बाद उसे दवा दी जाती है.

वक्त रहते डाक्टर से परामर्श किया जाए तो इस तरह के डिसऔर्डर ठीक हो जाते हैं. लेकिन यह परेशानी ठीक नहीं हो रही और पति मानसिक व शारीरिक पीड़ा पहुंचाता है तो ऐसे व्यक्ति से तलाक ले कर अपनी जिंदगी को एक नई दिशा देने के बारे में सोच सकती हैं.

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