आजकल के विवाह विज्ञापनों से पता चलता है कि नौजवान कमाऊ पत्नी ही चाहते हैं. ऐसे लोग पतिपत्नी की कमाई से शादी के बाद जल्दी साधनसंपन्न होना चाहते हैं. अगर कमाऊ लड़की को शादी करने के बाद अपने पति के परिवार के सदस्यों के साथ रहना पड़े तो संयुक्त परिवार के सभी सदस्यों के विचार और धारणाएं अलगअलग होने की वजह से उस को नए माहौल में ढलना पड़ता है. वह स्वावलंबी होने के साथसाथ अगर स्वतंत्रतापसंद होगी, तो उसे जीवन में नई समस्याओं का सामना करना पड़ेगा. कुछ परिवारों में सभी कमाऊ सदस्य अपनीअपनी कमाई घर के मुखिया को सौंपते हैं. मुखिया घरेलू खर्च को वहन करता है. ऐसी स्थिति में कमाऊ नववधू को भी अपनी पूरी कमाई घर के मुखिया को सौंपनी पड़ेगी. लेकिन स्वतंत्र स्वभाव वाली युवती ऐसा नहीं करना चाहेगी. उस अवस्था में नववधू और परिवार के सदस्यों के बीच मनमुटाव पैदा होगा. पति और पत्नी के बीच मनमुटाव भी हो सकता है, जो उन के जीवन में जहर घोल देगा. ऐसे जहर को विवाहविच्छेद में परिवर्तित होते देखा गया है.

क्या करे पति

अगर परिवार वाले अपनी कमाऊ बहू से उस की कमाई नहीं लेते तो कमाऊ नववधू खुश रहती है और स्वतंत्ररूप से अपने दोस्तों के साथ घूमती है. अगर पतिपत्नी के विचारों में समन्वय होता है तब तक जीवन की गाड़ी ठीक चलती है, लेकिन अगर कहीं पति अपनी पत्नी को शक की निगाह से देखने लगे तो समस्या गंभीर बन जाती है. शादी के पहले कोई लड़का अपनी होने वाली कमाऊ पत्नी से नहीं पूछता कि वह अपनी कमाई उसे देगी या नहीं. अगर पूछ ले तो शादी के बाद कोई समस्या खड़ी न हो. एक प्राचार्य ने एक लैक्चरर से शादी की. प्राचार्य की इतनी कमाई थी कि घर का खर्च आराम से चलता था. ऐसी स्थिति में लैक्चरर पत्नी ने अपनी कमाई अपने पति को नहीं दी और कहा कि घर का खर्च तो आराम से चल ही रहा है. धीरेधीरे प्राचार्य को शक होने लगा कि उस की पत्नी अपने साथियों को खिलानेपिलाने में खर्च कर रही है और उसे एक नया पैसा नहीं दे रही है. अत: धीरेधीरे मनमुटाव ने विकराल रूप धारण कर लिया और उन दोनों में विवाहविच्छेद हो गया.

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