टैक्नोलौजी बूम के इस दौर में ग्लोबल विलेज में तबदील होती दुनिया में शादियां भी तेजी से ग्लोबल होती जा रही हैं. अब अंतर्धार्मिक, अंतर्जातीय, अंतर्सांस्कृतिक, अंतर्राष्ट्रीय हर तरह की जोडि़यां बन रही हैं. भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 5 फरवरी, 2018 को एक मामले के फैसले में साफ कह दिया है कि 2 वयस्कों की शादी में किसी तीसरे का दखल गैरकानूनी है. हालांकि विश्व के अन्य देशों में ऐसे कानून पहले से ही लागू हैं.

यों तो अमेरिका में भारतीय वर्षों से बस रहे हैं पर 1990 के बाद आए टैक्नोलौजी बूम के बाद अमेरिका में काफी संख्या में भारतीय आने लगे हैं. पुराने बसे भारतीयों की पहली पसंद की बहू तो भारतीय लड़की ही होती थी. पर 1990 के बाद अमेरिका आने वालों में से कुछ ने यहीं शादी की है. इन्हें अपनी शादी से संबंधित कुछ समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है. विशेषकर जब वे दूसरे धर्म या समुदाय में शादी करना चाहते हैं.

मातापिता की मानसिकता

अमेरिका में बसे भारतीय मूल के मातापिता, जिन की शादियां दशकों पहले हो चुकी थीं, उन में अंतर्जातीय लवमैरिज विरले ही होती थीं. दूसरे धर्म में शादी तो दूर की बात है. उन की अरेंज्ड मैरिज होती थीं और ज्यादातर सफल ही होती थीं. इन में से लाखों ने सिल्वर जुबली, गोल्डन जुबली और कुछ ने डायमंड जुबली भी मनाई होंगी. उन की मानसिकता अभी भी वही है कि जब हम अरेंज्ड मैरिज निभा सकते हैं तो हमारे बच्चे क्यों नहीं.

उन्हें डर है कि समाज क्या कहेगा या यह परिवार पर एक कलंक सा है. उन्हें लगता है कि अगर कोई बेटा या बेटी लवमैरिज करती है तो बाकी और परिवार के छोटे बच्चों की शादी में मुश्किल होगी, वे अपने बच्चों से काफी उम्मीद लगाए रहते हैं. उन्हें यह भी डर रहता है कि इस तरह की शादी से उन की आशाएं धूमिल हो जाएंगी.

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