नटवरलाल और बंटी और बबली के फिल्मी किस्से तो मशहूर हैं पर यदाकदा बबलियां वास्तव में दिख भी जाती हैं. दिल्ली में हिमाचल प्रदेश की रहने वाली एक औरत पकड़ी गई जो खुद को कभी आईएएस औफिसर तो कभी आईपीएस औफिसर कहती थी. अपने को आईपीएस औफिसर बता कर उस ने एक युवक से नौकरी दिलाने के नाम पर पैसे ऐंठ लिए. उस युवक की हिम्मत थी कि उस ने शिकायत कर दी और वह औरत पकड़ी गई वरना इस तरह के धोखों के शिकार खुद शिकायत नहीं करते, क्योंकि वे अपने को भी अपराधी मानते हैं.

औरत हो कर इस प्रकार की बेईमानी करने के लिए अच्छाखासा जिगरा चाहिए. पुरुष तो जोखिम लेने में हिचकिचाते नहीं पर औरतें हिचकिचाती हैं. उन्हें अपने शरीर की भी चिंता होती है और मानसम्मान की भी. अधिकांश औरतों को डर रहता है कि पकड़े जाने पर यदि जेल जाना पड़ा तो पीछे से बच्चों का क्या होगा. औरतें अगर कम अपराध करती हैं तो इसलिए नहीं कि वे शराफत से लबालब भरी होती हैं, बल्कि इसलिए कि उन्हें परिणामों से डर रहता है.

आजकल बहुत से नए कानून बन गए हैं, जिन में औरतों को गिरफ्तार करा जाने लगा है और ये अपराध बहुत से तकनीकी होते हैं पर फिर भी जेल जाने का डर तो रहता ही है. इस औरत का तो जिगरा है कि वह जेल जाने और सजा पाने के डर के बावजूद नकली आईएएस और आईपीएस बन कर ‘बंटी और बबली’ की बबली बन गई.

यों औरतों के हाथों लुट जाने पर आदमियों की दुर्गति तो जरूर होती होगी. सदियों से आदमी औरतों को धोखा देते रहे हैं. प्रेम, शादी, संपत्ति, विरासत, रीतिरिवाजों, धर्म के नाम पर औरतें तनमन और धन से लुटती रही हैं. कितनी ही प्रसिद्ध अभिनेत्रियों को उन के भाइयों और पतियों ने लूट कर खोखला कर दिया. जब उलटा समाचार पढ़ने को मिलता है तो इस तरह का संतोष तो होता है कि चलो कभी तो घोड़ी आदमी पर चढ़ी.

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