गोलियों, कैप्सूलों, इंजैक्शनों और तंबाकू में मिलाने, सूंघे जाने वाले पदार्थों और सौफ्टड्रिंक में डाल कर पिए जाने वाले पदार्थों से बनी है, नशे की यह दुनिया. इस के तार पंजाब राजस्थान से ले कर सुदूर पूर्वोत्तर में मिजोरम नागालैंड तक जुड़े हुए हैं. असल में जब कोई बड़ी मछली जाल में फंस जाती है, तो खूब चर्चा होती है. फिर मामला शांत हो जाता है. ग्लैमरस सितारे, फिल्मी हस्तियां, नामीगिरामी खिलाड़ी बहुत से ताकतवर लोग इस की गिरफ्त में हैं. ओलिंपियन मुक्केबाज विजेंद्र सिंह और उन के साथी राम सिंह का नाम लगातार चर्चा में है. लेफ्टिनैंट कर्नल अजय चौधरी म्यांमार सीमा पर ड्रग की तस्करी करते रंगेहाथों पकड़े गए. 11 मार्च को 1995 बैच के आईपीएस अधिकारी सजी मोहन को ड्रग्स तस्करी के मामले में 13 साल की सजा भी सुनाई गई. सजी मोहन को 2009 में मुंबई के ओशिवारा इलाके में 12 किलोग्राम हेरोइन के साथ गिरफ्तार किया गया था.

चाइल्ड लाइन इंडिया फाउंडेशन के मुताबिक, देश में नशाखोरी से ग्रस्त करीब 64 % वे लोग हैं, जिन की उम्र 18 वर्ष से कम है. यह आंकड़ा चिंतनीय इसलिए भी है कि कुछ वर्षों में भारत सब से अधिक युवा आबादी वाला देश होगा. युवाओं में अफीम, कोकीन, हेरोइन, शराब, भांग और प्रोफौक्सिफिन का चलन तेजी से बढ़ रहा है. सफेदपोशी में होने वाले जरायम पेशों में ड्रग और नशीली दवाओं की तस्करी सब से कम जोखिम में सर्वाधिक मुनाफा देने वाला संगठित अपराध है. यौन दुराचार, माफिया, मानव तस्करी, हथियार, आतंकवाद और सूदखोरी को एक डोर में पिरोने वाला धागा भी ड्रग ही है, जिस की लत इंसानियत और नैतिकता के सभी मानदंडों को धुएं में उड़ा देती है.

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