‘साहब बीबी और गुलाम’ की मीना कुमारी ने शराबी औरत का बड़ा जीवंत अभिनय किया था और सुना जाता है कि उन के अंतिम दिनों में भी शराब ही उन का बड़ा सहारा थी. आज की औरतों ने जम कर शराब पीना शुरू कर दिया है. शायद यह जताने के लिए कि वे पुरुषों से किसी तरह कम नहीं हैं. शराब कंपनियां अरबों रुपए की कमाई में से कुछ करोड़ रुपए औरतों को शराब पिलवाने के लिए खर्च कर रही हैं और हिंदी फिल्मों में खलनायिकाएं ही नहीं, नायिकाएं भी जम कर शराब पी रही हैं और प्यार, दुलार, संघर्ष, आत्मविश्वास की बातें भी कर रही हैं. शराब कंपनियों की मेहरबानी और शराब को मिलती मान्यता के सहारे औरतें शराब के पायदानों पर बढ़ रही हैं.

मुंबई की जाह्नवी गडकर जो रिलायंस की एक कंपनी में एक वरिष्ठ अधिकारी है, बराबरी के कारण ही देर रात तक पार्टी भी कर सकती है और फिर महंगी लग्जरी कार औडी में शराब पी कर मुंबई की सड़कों पर गाड़ी चलाने की हिम्मत भी कर सकती है. यह बात दूसरी है कि उस की गाड़ी ने भी सलमान खान की गाड़ी की तरह 2 को कुचल कर मार डाला मगर कुचले गए सड़क पर नहीं सो रहे थे, एक छोटी टैक्सी में अपने रास्ते पर जा रहे थे. शराब के नशे में जाह्नवी को रास्ता न मिला तो वह सड़क पर उलटी दिशा में ही चलने लगी थी. उसी के 5 दिन बाद एक और औरत शिवानी बाली शराब पी कर गाड़ी चलाती पकड़ी गई और गिरफ्तार होने से बचने के लिए उस ने 1 घंटे तक अपने को गाड़ी में बंद रखा. उसे गाड़ी से बाहर निकालने के लिए पुलिस को खासी मशक्कत करनी पड़ी. चूंकि उस ने कोई दुर्घटना नहीं की थी, इसलिए वह जुर्माना दे कर बच गई पर इस से मुंबई की लड़कियां सबक सीखेंगी, ऐसा लगता नहीं. शराब कंपनियों ने इस तरह का प्रचार किया है और होटलों ने इस तरह के माहौल बनाए हैं मानों शराब के बिना पार्टी नहीं मौत की सभा हो. आज अगर कोई घर पर या बाहर लोगों को बुलाए और मेजबान शराब न पीने वाला हो और न पिलाने वाला तो मेहमान अपना अपमान समझने लगते हैं. आधों का तो उस दिन पेट खराब हो जाता है. इन आधों में से आधे अपनी पत्नियों की जिद के कारण नहीं आते जो पब्लिक में शराब पीते खुद को दिखाना अपनी शान समझती हैं. शराबी पुरुष को तो संभालना आसान है पर शराबी औरत पूरे घर को स्वाहा कर देती है. जब पतिपत्नी दोनों ही पियक्कड़ हों तो घर की कमाई को तो नाली में जाना ही है और बच्चों का बिगड़ना भी पक्का ही है. शराब केवल शरीर को ही बरबाद नहीं करती, दिमाग को भी असंतुलित कर जाती है और जो बातें घर की चारदीवारी में रहनी चाहिए वे जगजाहिर हो जाती हैं. दोनों पीते हों तो न घर संभलता है न वे खुद संभल पाते हैं.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...