कोरोना के कहर ने पूरी दुनिया की तमाम खेल गतिविधियों पर विराम लगा दिया है. दुनिया के 90 फीसदी से ज्यादा खिलाड़ी इस समय अपने घरों में कैद हैं. ओलंपिक 2020 पहले ही एक साल आगे खिसक चुके हैं और अब जापान ओलंपिक समिति के मुखिया साफ साफ कह रहे हैं कि गारंटी से नहीं कहा जा सकता था कि जुलाई 2021 में भी ओलंपिक खेल हो पाएंगे या नहीं. सिर्फ ओलंपिक ही नहीं करीब करीब सभी खेल प्रतिस्पर्धाओं के बारे में यही कहा जा सकता है. भारत में बहुचर्चित क्रिकेट लीग आईपीएल 29 मार्च 2020 से शुरु होनी थी, लेकिन कोरोना के कहर को देखते हुए इसे 15 अप्रैल 2020 तक के लिए स्थगित कर दिया गया है और इस समय जब ये पंक्तियां लिखी जा रही हैं, लगता नहीं है कि 15 अप्रैल के बाद भी इंडियन प्रीमियर लीग का आयोजन संभव हो पायेगा. अगर किसी वजह से इस आयोजन को संभव भी किया गया, तो मैच दर्शक रहित मैदानों में होंगे, जिससे कारोबारी हित तो किसी हद तक पूरे हो सकते हैं, मगर दर्शकों की अनुपस्थिति में खेले गये कोई भी खेल किसी जीवनरहित मशीनी गतिविधि जैसे ही होंगे.

सवाल है खेलों की तमाम प्रतिस्पर्धाओं पर विराम लग जाने या उनकी तारीख आगे बढ़ जाने से सबसे ज्यादा नुकसान किसको होगा? निःसंदेह इसमें भावनात्मक रूप से तो खेल प्रेमियों का नुकसान होगा; क्योंकि उन्हें घर में बैठे यानी फुर्सत में होने के बावजूद भी खेलों के रोमांच का आनंद नहीं मिलेगा. लेकिन अगर कॅरियर के लिहाज से देखें तो इसमें सबसे ज्यादा नुकसान ऐसे खिलाड़ियों का होगा, जो कोरोना के चलते कहीं अपने कॅरियर से ही हाथ न धो बैठें. इसमें दो तरह के खिलाड़ी हैं एक वो जो अपने खेल और उम्र की ढलान पर हैं और वे व्यवस्थित ढंग से अपने हिस्से के आखिरी प्रतिस्पर्धाओं में उतरने की योजना बना रहे थे ताकि सकून से सन्यास ले सकें. कहीं ऐसा न हो कि कोरोना के कारण अब उन्हें यह मौका ही नहीं मिले और उन्हें अपने कॅरियर को अलविदा कहना पड़े.

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