प्रीस्कूल, डेकेयर भारतीय शिक्षा के आयाम में एक नया चलन बन कर उभर रहे हैं और ऐसा माना जाता है कि महिलाएं इन क्षेत्रों का बेहतरीन प्रबंधन कर सकती हैं. महिलाओं में कारोबार करने के साथसाथ बच्चों को संभालने तथा उन्हें सिखाने की अधिक क्षमता होती है. प्रीस्कूल, डेकेयर में भारी वृद्धि देखी गई है, जिस के कारणवश यह भारतीय शिक्षा के क्षेत्र में एक स्थापित स्तंभ बन चुका है. प्रीस्कूल, डेकेयर जैसे शैक्षणिक व्यवसायों में महिला उद्यमियों की बढ़ती भागीदारी एवं सफलता के लिए तत्परता यह साबित करती है कि महिलाएं कुछ भी कर सकती हैं. महिलाएं न केवल इन प्रीस्कूलों का कुशलता से संचालन कर रही हैं बल्कि उच्च आर्थिक लाभ भी अर्जित कर रही हैं.

सेंफोर्ट ग्रुप औफ प्रीस्कूल्स की डायरैक्टर कविता राठौर के अनुसार, ‘‘सुदृढ़ आय के साथसाथ गुणात्मक शिक्षा की कभी न खत्म होने वाली मांग के कारण प्रीस्कूल, डेकेयर गतिविधियों का भारत में एक बहुत बड़ा बाजार तैयार हो गया है. मैट्रो तथा बड़े महानगरों के बाद अब अवसरों से भरपूर टियर टू

और टीयर थ्री शहरों की मांग को पूरा करने के लिए, स्वदेशी और विदेशी प्रीस्कूल चेन भारतभर में तेजी से उभर रही हैं. फलस्वरूप, महिला निवेशकों

एवं उद्यमियों के पास अपनी उद्यमशीलता दिखाने के नए अवसर उत्पन्न हो रहे हैं.’’

बाजार पर एक नजर

क्रिसिल रिसर्च इंगित करता है कि प्रीस्कूल बाजार में 20.6 फीसदी की वृद्धि होने की संभावना है. इस के पहले यह 11 फीसदी की दर से बढ़ रहा था. इस का मुख्य कारण शिक्षा की गुणवत्ता के बारे में बढ़ती जागरूकता, मौजूद खिलाडि़यों की महत्त्वाकांक्षी योजनाएं और अधिक संगठित एवं पेशेवर खिलाडि़यों का इस क्षेत्र में बढ़ता प्रवेश है. प्रीस्कूल शिक्षा भारत में 4,000 करोड़ रुपए का उद्योग है जो प्रति वर्ष बढ़ रहा है.

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