अश्विन के डैडी का आज बर्थडे था. घर में मौम ने पार्टी की सारी तैयारियां कर दी थीं. कोचिंग के सभी फ्रैंड्स भी आने शुरू हो गए थे. डैडी के औफिस कलीग्स भी आ गए थे. सब ने मस्ती में केक काटा और जम कर रीमिक्स गानों पर डांस किया. फिर बारी आई गिफ्ट देखने की. अश्विन के डैडी ने सब के बारीबारी से गिफ्ट खोल कर देखे और देने वालों को थैंक्स कहा.

हालांकि उन के मन में बारबार यही बात आ रही थी कि हर साल अश्विन सब से पहले उन्हें गिफ्ट देता है, लेकिन इस बार उस के गिफ्ट का कोई अतापता नहीं है. वे इसी उधेड़बुन में थे कि अचानक डोरबैल बजी. उन्होंने जा कर दरवाजा खोला तो पाया कि उन के नाम एक बौक्स डिलीवर हुआ है. उन्होंने कुतुहलवश बौक्स को खोल कर देखा तो उन की खुशी का ठिकाना न रहा. दरअसल, बौक्स में एक कार्ड था, जिस में उन्हें बर्थ डे विश करने के साथ अश्विन ने उन की पसंद का मोबाइल फोन गिफ्ट किया था. यह वही मोबाइल था जो वे कई महीनों से लेना चाह रहे थे, लेकिन उस की औनलाइन सेल के चलते वे ले नहीं पा रहे थे. चूंकि अश्विन औनलाइन खरीदारी में ऐक्सपर्ट था और उस का उस पोर्टल में अकाउंट था, जहां उस फोन की सेल होनी थी, लिहाजा उस ने चुपचाप उसे बुक करवा कर उन के बर्थडे के दिन सरप्राइज गिफ्ट दिया.

औनलाइन खरीदारी में माहिर किशोर

अश्विन की तरह आज के हर किशोर को तकनीकी दुनिया के हर बाजार से खरीदारी करनी आती है. स्नैपडील, फ्लिपकार्ट, अमेजौन, शोपोहालिक, माइमार्केट जैसे तमाम औनलाइन पोर्टल किशोरों के स्मार्टफोन में वन क्लिक पर इन्सटौल्ड होते हैं. सूई से ले कर मोटरबाइक, मोबाइल से ले कर किताब तक, कोई भी चीज लेने के लिए आज का किशोर दुकान या बाजार के धक्के नहीं खाता. वह तो सब से पहले लौंच हुए प्रोडक्ट का रिव्यू पढ़ता है, उस के रेट की तुलना करता है, फिर सब से ज्यादा डिस्काउंट में उसे खरीद कर पैसे बचाता है.

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