सब से पहले तो शादी के सीजन की ढेर सारी शुभकामनाएं. पहले सोचते हैं शादी कब होगी, शादी कब होगी और फिर जब हो जाती है तो डायरी ले कर बैठ जाते हैं कि खर्चा कितना होगा. हम जानबू झ कर अपना सिरदर्द बढ़ाते हैं खुशी के इस मौके पर. फुजूलखर्ची और दिखावे की वजह से. सम झना होगा कि न सिर्फ हम फुजूलखर्ची करते हैं, बल्कि ऐन्वायरमैंट को भी नुकसान पहुचाते हैं. तो चलिए इस शादी के सीजन करते हैं ऐसी शादी जो हो जनहित में जारी.

खाना वेस्ट न करें

शादी में खाने का मीनू कम से कम होना चाहिए. ज्यादा वैराइटी खाना वेस्ट होने का एक कारण है. सम झना होगा कि कई सारे लोग भूखे सोते हैं हमारे ही देश, हमारे ही शहर में और हम अपनी खुशियों में खाना वेस्ट करते हैं.

अगर आप को लग रहा है कि खाना बचेगा तो कई सारे ऐसे एनजीओ हैं जो बचा हुआ खाना शादियों से ले कर जरूरतमंदों तक पहुंचाते हैं. जैसे: रौबिनहुड आर्मी, फीडिंग इंडिया आदि.

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आमंत्रण

सम झना होगा इस बात को लोग उस कार्ड की वजह से नहीं आते हैं, बल्कि उस भाव की वजह से आते हैं जिस से हम

बुलाते हैं. कार्ड में पैसा और कागज दोनों बरबाद होते हैं. आप को जान कर हैरानी होगी कि भोपाल के कनकने परिवार ने कार्ड्स की जगह 400 परिवारों को गमले दिए जिन पर दूल्हादुलहन का नाम और शादी का वेन्यू लिखा हुआ था... हुई न यह शादी जनहित में जारी.

डिजाइनर ड्रैसेज

इस में तो खर्चा कितना होगा कोई लिमिट नहीं और कड़वा सच यह है कि वे ड्रैसेज कितनी बार काम आती हैं. यह हम भी जानते हैं. यह शर्म की बात नहीं, बल्कि सम झदारी है यदि हम कम से कम शादी के दिन पहने जाने वाले भारीभरकम कपड़ों को रैंट पर लें और हजारों रुपए बचाएं.

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