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रात को खाना खाते समय लतिका ने हमेशा की तरह भाई नकुल को सब बता दिया. हालांकि नकुल 2-3 साल ही लतिका से बड़ा था पर ज्यादातर बाहर रहने वाले पिता ने बेटी की सारी जिम्मेदारी बेटे को ही सौंप रखी थी. वह लतिका का भाई कम पिता अधिक था और उस के रहते लतिका भी अपने को बहुत सुरक्षित अनुभव करती थी.

नकुल को लतिका की चिंता भी बहुत रहती थी. अगर कालिज या पुस्तकालय से लौटने में उसे जरा भी देर हो जाती तो फौरन साइकिल से लतिका को खोजने निकल पड़ता था. कई बार लतिका उसे पुस्तकालय से आती हुई उन सुनसान रास्तों पर मिली है फिर दोनों भाईबहन पैदल ही साथसाथ आए हैं.

खाने के बाद जब लतिका अपने कमरे में पढ़ने चली गई तो कुछ देर बाद एक फाइल में कुछ कागज लिए नकुल उस के पास आया और उस के बिस्तर पर ही बैठ गया.

‘‘पहचानो इन चित्रों को. पुलिस के रिकार्ड से इन की फोटोकापी कराई है.’’

एकदम चौंक पड़ी लतिका, ‘‘अरे, यह तो अभय, परमजीत और योगी हैं. इन का रिकार्ड पुलिस में?’’ अचरज से उस की आंखें फैल गईं.

‘‘अच्छे लोग नहीं हैं ये पुलिस की नजरों में,’’ नकुल बोला, ‘‘अब तक कई अपराधों को अंजाम दे चुके हैं. अनेक लड़कियां इन की हवस का शिकार हुई हैं. ये पहुंच वाले बड़े लोगों के बिगड़ैल बेटे हैं. अभय तो शहर के प्रसिद्ध नेता का लड़का है. मेरी सलाह है कि तुम इन लोगों से दूर ही रहो. हम लोग इतने साधन संपन्न नहीं हैं कि इन का कुछ बिगाड़ पाएंगे.’’

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