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लोग यह न समझें कि थाना यहां से दूर है, मैं झगड़ालू लोगों का जीना मुश्किल कर दूंगा. मेरे इस ऐलान से लोगों पर ऐसा डर सवार हुआ कि सब सहयोग करने पर तैयार हो गए. अब लोग आआ कर उमरां, भागभरी और दाई रोशी को बुराभला कह रहे थे. मैं ने उन के बयान लिए, सब से पहले दाई रोशी का बयान लिया.

उस ने अपने बयान में बताया कि वह काफी समय से दाई का काम करती है और उस ने नरसिंग की ट्रेनिंग खुशाब के अस्पताल से ली थी. उस ने अस्पताल से क्लोरोफार्म चुरा कर रखा था. जब कभी किसी महिला को प्रसूति के दौरान ज्यादा तकलीफ होती थी, वह क्लोरोफार्म सुंघा देती थी, जिस से उस महिला को बच्चा पैदा होने में कोई परेशानी नहीं होती थी.

‘‘सरकार, मैं लालच में आ गई थी. उमरां और भागभरी के कहने में आ कर मैं ने नूरां बीबी को थोड़ी ज्यादा क्लोरोफार्म सुंघा दी. नूरां की बेहोशी को हम ने मौत समझा. गांव के किसी भी आदमी ने उस की नाड़ी नहीं चैक की, वैसे भी हम ने अफवाह फैला दी थी कि नूरां मर गई है.’’ रोशी ने कहा.

‘‘तुम ने बच्चे को जिंदा क्यों छोड़ दिया था?’’ मैं ने पूछा.

‘‘सच कहूं तो मुझे मेरे जमीर ने डरा दिया था, इसलिए मैं ने बच्चे को भड़ोले में डाल दिया था.’’ वह रोते हुए बोली.

मैं ने क्लोरोफार्म की शीशी बरामद करा कर सीलबंद कर दी और गवाहों के हस्ताक्षर करा लिए. उमरां और भागभरी को पूछताछ के लिए बुलाया तो वे कांप रही थीं. उन्होंने कुछ बोलने के बजाय रोना शुरू कर दिया, साथ ही दोनों मेरे आगे हाथ जोड़ कर खड़ी हो गईं.

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