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मगर तन्वी को उन का लार टपकाता, बात करने का लहजा बिलकुल पसंद नहीं

आया. उसे शराब और शराब पीने वालों से सख्त नफरत थी. वह एक मध्यवर्गीय ऐसे सिद्धांतवादी परिवार से थी जहां सोशल ड्रिंकिंग तक को बहुत बुरा समझ जाता था. उस ने बेहद सपाट स्वरों में उन महानुभाव से कह दिया, ‘‘सर, मैं ऐसी पार्टी ऐंजौय नहीं करती, न ही पीनापिलाना पसंद करती. सो मैं यहीं कोने में ठीक हूं. प्लीज कैरी औन ऐंड ऐंजौय द पार्टी.’’

फिर पति पर आंखें तरेरते हुए बोली, ‘‘अब बस भी करो पदम. कितना पीयोगे. एक के बाद एक पैग पीए जा रहे हो. फिर कल हैंगओवर होगा और फिर मुझे ही परेशान करोगे.’’

स्थिति की नजाकत देखते हुए उस वक्त

तो पदम चुप रहा, लेकिन घर लौट कर उस ने तन्वी को आड़े हाथों लिया, ‘‘तुम बौस से कायदे से बात नहीं कर सकती थी? उस ने तुम से जरा साथ बैठने के लिए ही तो कहा था. एकाध ड्रिंक ले लेती तो क्या गजब हो जाता? जानती भी हो, कितनी ऊंची पोस्ट पर हैं वे? वे मेरा इमीडिएट बौस हैं. उफ, मेरा सारा बनाबनाया इंप्रैशन बिगाड़ दिया.’’

‘‘मुझे तुम्हारे बौस का बात करने का लहजा कतई पसंद नहीं आया. उस की नजर और नीयत दोनों में ही मुझे खोट दिखा. बस इसलिए मैं ने उसे लिफ्ट नहीं दी.’’

‘‘आखिर तुम अपनेआप को समझती क्या हो? जन्नत की हूर? बड़ी आई लिफ्ट नहीं देने वाली. अरे वह मेरा सीनियर है, सीनियर. यह बात तुम्हारी समझ में क्यों नहीं आती मूर्ख औरत? उस के हाथ में मेरी कौन्फिडैंशियल रिपोर्ट है. कहीं मुझ से खुंदक खा कर वह बिगाड़ दी तो मैं कहीं का नहीं रहूंगा. तुम कल मेरे साथ उस के घर चलोगी ताकि बिगड़ी बात बन जाए.’’

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