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‘‘ओह, नहींनहीं, ये खाना क्या बनाएंगे, उलटे मेरा काम और बढ़ा देंगे’ अपने मन में यह सोच  झट से मैं बोल पड़ी, ‘‘अरे नहीं, वक्त ही कितना लगता है खाना बनाने में. मैं बना लूंगी न. तुम लोग कोई दूसरा काम कर लो. जैसेकि घर ठीकठाक कर दो, मशीन में कपड़े धुलने के लिए डाल दो.’’

मगर इन निक्कमों से यह भी नहीं होगा पता था मु झे. ये लोग बस बड़ीबड़ी बातें करना जानते हैं और कुछ नहीं. लेकिन आज अपने बर्थडे पर मैं अपना मूड नहीं खराब करना चाहती थी, इसलिए चुपचाप किचन में जाने ही लगी कि नियति कहने लगी कि आज मेरा बर्थडे है तो वह मेरे लिए यूट्यूब से देख कर कुछ स्पैशल बनाएगी. बनाएगी क्या, मेरा दिमाग खाएगी. पूरी किचन तहसनहस कर देगी सो अलग.

‘‘अच्छाअच्छा ठीक है, बना लेना बाद में,’’ बोल कर मैं किचन में जा कर सब को चाय देने के बाद नाश्ते की तैयारी में जुट गई. सुनाई दे रहा था दोनों बच्चे अपने कमरे में बातें कर रहे थे कि आज मेरे ‘बर्थडे’ पर क्या स्पैशल करना है और अमित तो सुबह से बस अपने फोन से ही चिपके हुए थे. पता नहीं क्या देखते रहते हैं पूरा दिन. इन मर्दों की बस बातें ही बड़ीबड़ी होती हैं. लेकिन जब करने की बारी आती है तो बहाने हजार बना लेते हैं कि अरे, अरजेंट मीटिंग आ गई थी... फलानाफलाना...

गुस्सा भी आ रहा था कि इन तीनों को कोई कामधाम नहीं है, सुबह से सिर्फ बकवास ही किए जा रहे हैं. लेकिन किचन में आ कर जब बच्चे ‘हैप्पी बर्थडे मौम’ बोल कर ‘मौम मैं यह कर दूं? लाओ मैं वह कर देती हूं’ कहते तो मैं खुशी से  झूम उठती कि आज मेरे बर्थडे, पर बच्चे मु झे कितना भाव दे रहे हैं. लेकिन अमित जब कहते कि आज मेरी जान का ‘हैप्पी बर्थडे’ है तो इसी खुशी में एक कप चाय और हो जाए’ तो अंदर से मैं खीज उठती कि यह क्या है. बर्थडे, बर्थडे बोल कर ये तो बस अपनी ही चला रहे हैं. अरे, मैं तो भूल ही गई कि मु झे कामिनी को अपने स्पैशल बर्थडे के बारे में भी बताना था. लेकिन क्या कहूंगी उस से? हां, कहूंगी, गलती से उसे फोन लग गया.

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