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उस ने जल्दी घर जाना ही बेहतर समझ. आज काम करने की मनोस्थिति तो रही

नहीं थी. पल्लवी ने जो कहा था उसे नकारा नहीं जा सकता था. कुलदीप साफ कह चुका था कि

उसे घरेलू नहीं कैरियर माइंडेड बीवी चाहिए. महज शादी के कारण वह कैरियर बरबाद करे

यह तो उसे स्वीकार नहीं होगा और उस का

शादी स्थगित कर के अमेरिका जाना न उस के अपने परिवार को न ससुराल वालों को मंजूर होगा. दोनों परिवार ही हौल बगैरा बुक करने के लिए काफी अग्रिम पैसा दे चुके हैं और तैयारियां भी जोरों पर हैं. क्या करें? जब वह पर पहुंची तो अमिता और जगदीश तो बाहर गए हुए थे, निखिल अपने कमरे में पढ़ रहा था. नमिता ने उसे सब बताया.

‘‘पल्लवी मैडम को आप की पर्सनल लाइफ से ज्यादा आप के काम की परवाह है और उन के अनुसार कुलदीप को भी आप से ज्यादा आप की नौकरी पसंद है यानी आप की खुशी या भावनाओं की किसी को कद्र या फिक्र नहीं है,’’ निखिल कुछ सोचते हुए बोला, ‘‘तो फिर आप को क्या जरूरत है ऐसे हृदयहीन लोगों के साथ अपनी जिंदगी खराब करने की दीदी? छोड़ दीजिए नौकरी और अगर कुलदीप इस से नाराज हो कर रिश्ता तोड़ता है तो तोड़ने दीजिए. आज नहीं तो कल दूसरी नौकरी मिल जाएगी और शादी के लिए दूसरा घरवर भी.’’

नमिता ने पूछना चाहा कि क्या यह गारंटी होगी कि दूसरी बार उस की

भावनाओं को वरीयता मिल जाएगी, कहीं वह

इस व्यक्तिगत अहं के चक्कर में ‘एकला चलो रे’ की राह पर तो नहीं चल पड़ेगी? रेणु दीदी के शब्द याद कर के वह सिहर उठी. मम्मीपापा

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