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फैमिली स्टोरी

संदेह के बादल: अपने ही बुने जाल में क्यों उलझती जा रही थी सुरभि

सुरभि को शीतला के हर हावभाव में वही सब दिख रहा था जो उस का शक्की दिमाग दिखा रहा था. वह अपने ही बुने जाल में निरंतर उलझती जा रही थी.

  • Digital Team
  • ,
  • Mar 10, 2024
Sandeh_ke_badal
भाग - 1

अनायास कहे पति के वाक्य उसे अंदर तक बींध गए. वह खुद पर तरस खा कर रह गई थी.

Sandeh_ke_badal
भाग - 2

जब से अम्मां ने उसे प्रारूप के यहां शीतला की नियुक्ति की बात बताई थी, वह परेशान हो उठी थी.

Sandeh_ke_badal
भाग - 3

रसोई में आ कर उस ने ऊंचे स्वर में शीतला को पुकारा तो बेचारी कांप कर रह गई.

Sandeh_ke_badal
भाग - 4

शीतला के भूख से तड़पते बच्चे और अपाहिज पति की जब कभी कल्पना करते, मन तिरोहित हो उठता.

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