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फैमिली स्टोरी

लौट जाओ सुमित्रा: उसे मुक्ति की चाह थी पर मुक्ति मिलती कहां है

स्त्री चाहे कितनी भी संपन्न, सुरक्षित या आधुनिक क्यों न हो, उसे अपने अस्तित्व, स्वामित्व व अपनत्व की आवश्यकता होती ही है. लेकिन सुमित्रा तो परिवार, बच्चे व पति वाले मकान में भी छटपटा रही थी. उसे मुक्ति की चाह थी पर मुक्ति मिलती कहां है?

  • Digital Team
  • ,
  • Oct 17, 2023
भाग - 1

संध्या तक जो हवा कोमल लग रही थी वही अब कंपकंपाने लगी थी.

भाग - 2

सुमित्रा को लग रहा था कि उस की व्यथा आज चरमसीमा पर पहुंच जाएगी.

भाग - 3

क्या बलात्कार से बच्चे पैदा नहीं होते? मन का मिलाप न हो तो अग्नि के समक्ष लिए हुए फेरे भी बेमानी हो जाते हैं.

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