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सच में मृदुला का फोन बंद आ रहा था और राजन का भी. कहीं कुछ गड़बड़ तो नहीं? मां की घबराहट देख कर मैं ने उस के घर जाने का मन बना लिया, ‘‘मां, मैं उस के घर जा कर देखती हूं, आप चिंता मत करो.’’

लेकिन अब मुझे भी घबराहट होने लगी थी, क्योंकि फिर मैं ने उसे कई बार फोन लगाया, पर बंद ही मिलता. किशोर को जब मैं ने सारी बात बताई, तो कहने लगे कि मैं चिंता न करूं. चल कर देखते हैं.

‘‘पर आप का औफिस?’’ जब मैं ने पूछा, तो किशोर बोले कि वे मुझे मृदुला के घर छोड़ कर उधर से ही औफिस निकल जाएंगे और आते वक्त लेते आएंगे.

‘‘हां, यह सही रहेगा,’’ मैं बोली.

वहां पहुंचने पर जो मैं ने देखा, उसे देख स्तब्ध रह गई. मृदुला बिस्तर पर पड़ी कराह रही थी और उस के शरीर पर जगहजगह चोट के निशान थे. चेहरा भी नीला पड़ गया था.

बहन को इस हालत में देख कर मेरी आंखें भर आईं, ‘‘मृदुला, ये सब क्या हुआ? ये चोटें कैसे और राजन जीजाजी कहां हैं?’’ मैं ने पूछा.

वह रो पड़ी. फिर जो बताया उसे सुन कर मुझे अपने कानों पर भरोसा नहीं हो रहा था.

उस ने रोतेरोते बताया, ‘‘अगर मेरा पति बदसूरत होता, गरीब होता, लेकिन अगर वह मुझे प्यार करता, तो मैं खुद को दुनिया की सब से खुशहाल औरत समझती. मगर राजन का सुंदर होना मेरे लिए अभिशाप बन गया...

‘‘रोज नईनई लड़कियों के साथ रातें बीतती हैं. उन पर दिल खोल कर पैसे लुटाते

हैं. कभीकभी तो लड़की को घर भी ले आते हैं और जब मैं कुछ बोलती हूं तो उस के सामने ही मुझ पर थप्पड़ बरसाने लगते हैं. वह तो अच्छा है कि बच्चे होस्टल में रहते हैं, नहीं तो उन पर क्या असर पड़ता राजन की हरकतों का? जब से ब्याह हुआ है, एक दिन भी ऐसा नहीं गया, जब राजन ने मेरे रूपरंग को ले कर ताने न कसे हों.

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