कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

शेफाली उम्र में भी सन्नी से बड़ी थी और रिश्ते में भी. शेफाली ने अपने को बड़ा माना था तो सन्नी ने भी उसे बड़प्पन दिया था. सन्नी अपनी मां की भले ही नहीं सुने, मगर वह शेफाली की बात को टालने की कभी हिम्मत नहीं करता था.

कभीकभी तो शेफाली को ऐसा लगता कि वह उस से डरने लगा था.

इस बात का एहसास शेफाली को उस वक्त हुआ था जब कपड़ों की धुलाई करते हुए उसे सन्नी की पतलून की जेब से गुटके का एक अनखुला पाउच मिला था.

‘‘कालेज में जा कर क्या यही बुरी आदतें सीख रहे हो?’’ गुटके का पाउच सन्नी को दिखलाते हुए शेफाली ने डांटने वाले अंदाज में कहा था.

बाद में सन्नी ने उस से कई बार माफी मांगी

थी. ऐसी घटनाओं से उन के रिश्ते में विश्वास बढ़ा था. सन्नी के साथ शेफाली का एक पवित्र रिश्ता था. उन्मुक्त होने के बाद भी उस रिश्ते में एक मर्यादा थी.

लेकिन शेफाली को नहीं मालूम था कि सन्नी के साथ उस की अंतरंगता को दीपक किसी दूसरी नजर से देख रहा था. उस के अंदर शंका का नाग कुंडली मार कर बैठ गया था. देवरभाभी के बीच पवित्र रिश्ते में भी उसे कुछ गलत दिखने लगा था.

इस बात से शेफाली तब तक बेखबर रही

जब तक कि दीपक के मन में कुंडली मारे बैठा शक का नाग अपना फन उठा कर फुंफकार नहीं उठा था. उस वक्त शिखा जन्म ले चुकी थी और शेफाली भविष्य के नए सपने संजो रही थी.

दीपक के शक की जहरीली फुंफकार ने शेफाली को हक्काबक्का सा कर दिया था.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...