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पूजा तेजी से सीढि़यां चढ़ कर लगभग हांफती हुई सुप्रिया के घर की कालबेल दबाने लगी. दोपहर का समय था, उस पर चिलचिलाती धूप. वह जब घर से निकली थी तो बादल घिर आए थे. सुप्रिया ने दरवाजा खोला तो पूजा हांफती हुई अंदर आ कर सोफे पर पसर गई. आने से पहले पूजा ने सुप्रिया को बता दिया था कि वह मां को ले कर बहुत चिंतित है. कल शाम से वह फोन कर रही है, पर मां का मोबाइल स्विच औफ जा रहा है और घर का नंबर बस बजता ही जा रहा है.

सुप्रिया ने फौरन उस के सामने ठंडे पानी का गिलास रखा तो पूजा एक सांस में उसे गटक गई. फिर रुक कर बोली, ‘‘सुप्रिया, मैं ने धीरा आंटी को कल रात फोन किया था और सुबह वे मां के घर गई थीं. वे कह रही थीं कि वहां ताला लगा हुआ है. अब क्या करूं? कहां ढूंढूं उन्हें?’’ रोंआसी पूजा के पास जा कर सुप्रिया बैठ गई और उस के कंधे पर हाथ रख धीरे से पूछा, ‘‘तेरी कब बात हुई थी उन से?’’

‘‘एक सप्ताह पहले, मेरे जन्मदिन के दिन. मां ने सुबहसुबह फोन कर के मुझे बधाई दी थीं.’’ पूजा रुक कर फिर बोलने लगी, ‘‘मैं चाहती थी कि मां यहां आ कर कुछ दिन मेरे पास रहें. मां ने हंस कर कहा कि तेरी नईनई गृहस्थी है, मैं तुम दोनों के बीच क्या करूंगी? देर तक मैं मनाती रही मां को, उन से कहती रही कि 2 दिन के लिए ही सही, आ जाओ मेरे पास. 5 महीने हो गए उन्हें देखे, होली पर घर गई थी, तभी मिली थी.’’

पूजा ने अपनी आंखों से उमड़ आए आंसुओं को रुमाल से पोंछा. सुप्रिया चुप बैठी रही. कल शाम जब पूजा ने उसे फोन पर बताया था कि उस की मां फोन नहीं उठा रहीं तो वह खुद परेशान हो गई थी. पूजा की शादी के बाद मां मुंबई में अकेली रह गई थीं. सुप्रिया और पूजा मुंबई में एकसाथ स्कूलकालेज में पढ़ी थीं. सुप्रिया उस समय भी पूजा के साथ थी जब उस के पापा का एक्सीडेंट से देहांत हो गया था. उस समय वे दोनों 8वीं में पढ़ती थीं.

पूजा की मां अनुराधा बैंक में काम करती थीं. उन्होंने पूजा की पढ़ाई और परवरिश में कोई कमी नहीं रखी. पूजा ने स्नातक की पढ़ाई के बाद एमबीए किया और नौकरी करने लगी. 2 साल पहले सुप्रिया शादी कर दिल्ली आ गई. पिछले साल पूजा ने जब उसे बताया कि उस का मंगेतर सुवीर भी दिल्ली में काम करता है, तो सुप्रिया खुशी से उछल गई. कितना मजा आएगा, दोनों सहेलियां एक ही शहर में रहेंगी. पूजा की मां ने बेटी की शादी बहुत धूमधाम से की. हालांकि पूजा और सुवीर लगातार कहते रहे कि बिलकुल सादा समारोह होना चाहिए. पूजा नहीं चाहती थी कि मां अपनी सारी जमापूंजी उस पर खर्च कर दें, लेकिन मां थीं कि बेटी पर सबकुछ लुटाने को आतुर. पूजा के मना करने पर मां ने प्यार से कहा, ‘यही तो मौका है पूजा, मुझे अपने अरमान पूरे कर लेने दे. पता नहीं कल ऐसा मौका आए न आए.’

आज पूजा को न जाने क्यों मां की कही वे बातें याद आ रही हैं. ऐसा क्यों कहा था मां ने? सुप्रिया ने रोती हुई पूजा को ढाढ़स बंधाया और अपना फोन उठा लाई. उस ने मुंबई अपने भाई को फोन लगाया और बोली, ‘‘अजय भैया, आप से एक जरूरी काम है. मेरी सहेली पूजा को तो आप जानते ही हैं. अरे, वही जो कांदिवली में अपने पुराने घर के पास रहती थी? उस की मां अनुराधाजी कल शाम से पता नहीं कहां चली गईं. प्लीज, भैया, पता कर के बताओ तो. वे बोरिवली के कामर्स बैंक में काम करती हैं. मैं उन का पूरा पता आप को एसएमएस कर देती हूं. भैया, जल्द से जल्द बताइए. पूजा बहुत परेशान है, रो रही है. अच्छा, फोन रखती हूं.’’

सुप्रिया ने अजय भैया को बैंक और घर का पता एसएमएस कर दिया और पूजा के पास आ कर बैठ गई.

‘‘पूजा, भैया सब पता कर बताएंगे, तू चिंता मत कर.’’ पूजा ने सिर उठाया, ‘‘पूरे 24 घंटे हो गए हैं, सुप्रिया. धीरा आंटी बता रही थीं कि पिछले 3 दिन से घर बंद है. पड़ोस के फ्लैट में रहने वाली अमीना आंटी ने 4 दिन पहले मां को बाजार में देखा था. इस के बाद से मां की कोई खबर नहीं है. घर के बाहर न अखबार पड़े हैं न दूध की थैली. इस का मतलब है मां बता कर गई हैं अखबार और दूध वाले को.’’

सुप्रिया ने सिर हिलाया और बोली, ‘‘पूजा, हो सकता है मां कहीं जल्दी में निकल गई हों. पिछले दिनों उन्होंने तुम से कुछ कहा क्या? या कोई बात हुई हो?’’ पूजा कुछ सोचती हुई बोली, ‘‘सुप्रिया, मैं ने अपने जन्मदिन के बारे में तुम को बताया था न कि उस दिन मां ने मुझ से कहा कि वे मुझे जन्मदिन पर कुछ देना चाहती हैं…इस के लिए उन्होंने मेरा बैंक अकाउंट नंबर मांगा था. कल मैं बैंक गई थी. मां ने मेरे नाम 5 लाख रुपए भेजे हैं. यह बात थोड़ी अजीब लगी मुझे, अभीअभी तो मेरी शादी पर इतना खर्च किया था मां ने और…मैं इसी सिलसिले में मां से बात करना चाहती थी तभी तो लगातार फोन पर फोन मिलाती रही, पर…’’

सुप्रिया के चेहरे का भाव बदलने लगा, ‘‘5 लाख रुपए? यह तो बहुत ज्यादा हैं. कहां से आए उन के पास इतने रुपए? अभी तुम्हें देने का क्या मतलब है?’’ पूजा चुप रही. उसे भी अजीब लगा था. मां को इस समय उसे पैसे देने की क्या जरूरत? सुप्रिया दोनों के लिए चाय बना लाई. चाय की चुस्कियों के बीच चुप्पी छाई रही. पूजा पता नहीं क्या सोचने लगी. सुप्रिया को पता था कि पूजा अपनी मां से बेहद जुड़ी हुई है. वह तो चाहती थी कि शादी के बाद मां उस के साथ रहें लेकिन अनुराधाजी इस के खिलाफ थीं. पूजा बड़ी मुश्किल से शादी के लिए राजी हुई थी. उसे हमेशा लगता था कि उस के जाने के बाद मां कैसे जी पाएंगी?

अनुराधा ने उस से बहुत कहा कि 12वीं के बाद वह पढ़ाई करने बाहर जाए, किसी अच्छे कालेज से इंजीनियरिंग या एमबीए करे, लेकिन पूजा मुंबई छोड़ने को तैयार ही नहीं थी. उस ने एक ही रट लगा रखी थी, ‘मैं आप को अकेला नहीं छोड़ सकती. यहीं रहूंगी आप के साथ.’ अनुराधा जब कभी दफ्तर के काम से या अपने किसी रिश्तेदार से मिलने 2 दिन भी शहर से बाहर जातीं, पूजा बेचैन हो जाती. साल में 2 बार अनुराधा अपने किसी गुरु से मिलने जाती थीं. पूजा ने कई बार कहा था कि मैं भी तुम्हारे साथ चलूंगी उन के पास लेकिन मां यह कह कर मना कर देतीं, ‘पूजा, जब मुझे लगेगा कि तुम इस लायक हो गई हो तो मैं खुद तुम्हें ले जाऊंगी.’

आगे पढें- सुप्रिया सोफे पर ढह गई. उस ने आंखें बंद…

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