चश्मे के अंदर से झांकती घाघ नजरों से हमारा हाथ देख पहले तो वे मुसकराए फिर भौंहें सिकोड़ीं, तब कहा, ‘‘आप का हाथ तो टैक्निकल  हैंड है. क्या करते हैं आप?’’

‘‘जी, मैं... मैं...’’ मेरी बात को बीच में ही काट कर ज्योतिषी महोदय बोल पड़े, ‘‘आप का हाथ तो बता रहा है जजमान कि आप इंजीनियर या वैज्ञानिक हैं.’’

‘‘जी पंडितजी, मैं तो किरानी हूं,’’ मुझे यह कहते हुए काफी शर्म आई. कि मेरे हाथ में इंजीनियर बनना लिखा है और यह हाथ किरानीगीरी कर रहा है.

अपनी बात गलत होती देख पंडितजी ने फिर चश्मे के अंदर से मेरे हाथों को घूरा. उलटपलट कर देखा. अपनी ज्योतिष विद्या को गलत साबित होता देख कहने लगे, ‘‘यह मैं नहीं बोल रहा हूं श्रीमान, आप के हाथों की रेखाएं कह रही हैं. आप के हाथ के हिसाब से तो आप को इंजीनियर ही होना चाहिए था. पूरी तरह टैक्निकल हैंड है आप का तो.’’

हम ने पूछा, ‘‘लेकिन पंडितजी, हाथ में लिखा आखिर गलत कैसे हो गया?’’

‘‘अच्छा यह बताइए कि कभी इंजीनियरिंग में दाखिले की तैयारी की थी क्या?’’

‘‘नहीं, पंडितजी, मैं तो शुरू से आर्ट्स का स्टूडैंट रहा. कभी इंजीनियर बनने की सोची ही नहीं. इस की स्पैलिंग भी याद नहीं की.’’

पंडितजी लैंस के जरिए फिर मेरा हाथ देखने लगे और थोड़ी देर बाद कहा, ‘‘अरे, घबराते क्यों हो?  किरानी का काम करना भी तो एक टैक्निक है. वही तो मैं सोच रहा था कि गलती कहां हो रही है,’’ पंडितजी अपनी विद्या को सही साबित करने का हथकंडा अपनाने में लग गए. साफ है कि उन्हें दक्षिणा जो लेनी थी. हम ने मन ही मन सोचा, ‘जब हर काम एक टैक्निक है तो हर हाथ भी टैक्निकल है, तो फिर पंडितजी ने मेरे हाथ को टैक्निकल हैंड क्यों बताया?’ दरअसल, यह ज्योतिषियों की आजमाई हुई सफल टैक्निक है. हर हाथ दिखाने वालों को वे कुछ रटेरटाए वाक्य सुना देते हैं जो कमोबेश हर आदमी पर फिट हो जाते हैं. हाथ दिखा कर अपना भविष्य जानने वाले भी आंखें फाड़े पंडितजी की ज्योतिष विद्या के कायल हो जाते हैं या कहिए कि उन के जाल में फंस जाते हैं.

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