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उस दिन भी रोज की तरह सब काम यथावत हो रहे थे. विलास की स्कूल बस नहीं आई तो मौसाजी ने उसे स्कूल छोड़ने का प्रस्ताव रखा, ‘‘यह अच्छा हो जाएगा, तुम तो जाते भी उसी तरफ हो,’’ कह किशारेजी आश्वस्त हो गए. लेकिन मौसाजी की नीयत में भारी खोट था. उन्होंने रास्ते में एक फ्लाईओवर के नीचे कोने में गाड़ी रोक ली. फिर उन्होंने विलास के साथ जबरदस्ती की. बेचारे विलास ने बहुत छूटने की कोशिश की पर विफल रहा.

एक बलिष्ठ आदमी के आगे छोटे बच्चे का क्या जोर. इस दुर्घटना ने उस के आत्मविश्वास को बुरी तरह छलनी कर दिया. ऊपर से उसे धमकी भी दी गई कि अगर मुंह खोला तो घर में कोई भी उस की बात का विश्वास नहीं करेगा. मां, अपनी बहन का साथ निभाएगी और पिता से ऐसी गंदी बात वह कह कैसे सकता है. विलास का बालमन घायल हो गया. लेकिन बेदर्दी मौसा को शर्म न आई. उस आदमी ने इस घटना को एक सिलसिला ही बना लिया. अब वह अकसर विलास को स्कूल छोड़ने की पेशकश करने लगा.

मातापिता सोचते कि बच्चा आराम से कार में चला जाएगा और मान लेते. विलास कितना भी मना करता, कभीकभी स्कूल न जाने के लिए बीमार होने का नाटक भी करता पर रानी और किशोरजी उस की एक न सुनते. सोचते अन्य बच्चों की तरह स्कूल न जाने के बहाने बना रहा है. मौसा ने उस के साथ दुष्कर्म करना जारी रखा. विलास अंदर से टूटता जा रहा था. कहे तो किस से कहे? इस कारण पढ़ाई में उस का मन न लगता जिस से स्कूल में उस के नंबर भी गिरने लगे.

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