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रोमांटिक स्टोरी

मन के दर्पण में: क्या एक-दूसरे का सहारा बन सके ललितजी और मृदुला?

व्यक्ति की भावनाएं, इच्छाएं उम्र से नहीं बंधी हैं. स्त्री को पुरुष और पुरुष को स्त्री के सान्निध्य की चाह हर उम्र में रहती है. ललितजी और मृदुला उम्र के उस मोड़ पर खड़े थे जहां उन्हें भी जरूरत थी किसी अपने की.

  • Digital Team
  • ,
  • Mar 5, 2024
Man_ke_Darpan_mai
भाग - 1

टहलती हुई मृदुला सोचे जा रही थीं कि मन भी तो इसी तन का एक हिस्सा होता है.

Man_ke_Darpan_mai
भाग - 2

अपना हाथ बढ़ा कर ललितजी ने मृदुला का हाथ थाम लिया.

Man_ke_Darpan_mai
भाग - 3

हजरतगंज घूम कर वापस होटल के कमरे में आने पर सकुचाते हुए ललितजी ने मृदुला के सीने के उभारों को भर नजर ताकना शुरू किया.

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