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कहानी

प्रतिदान: कौन बना जगदीश बाबू के बुढ़ापे का सहारा

माता-पिता बेटे की कामना करते हैं कि बुढ़ापे में उन्हें आसरा रहेगा लेकिन जगदीश बाबू अपने अंतिम समय तक बेटों की सेवा के लिए तरस गए. बेटों का सुख उन्हें मिला रामचंद्र से जो था तो उन का नौकर लेकिन...

  • Digital Team
  • ,
  • Apr 20, 2024
भाग - 1

रामचंद्र अपनी बीवी के साथ तनमन से बाबू साहब की सेवा में लगा रहा. धन तो बाबू साहब लगा ही रहे थे. उस की कमी उन के पास नहीं थी.

भाग - 2

मनुष्य क्यों लंबे जीवन की आकांक्षा करता है, क्यों वह केवल बेटों की कामना करता है? बेटे क्या सचमुच मनुष्य को कोई सुख प्रदान करते हैं?

भाग - 3

कहते हैं न कि जीवन अपना हिसाबकिताब बराबर रखता है. ज्यादातर जीवन में अगर उन्हें सुख ही सुख नसीब हुआ था, तो अब अंत समय में दुख की बारी थी.

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