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दोपहर के खाने के समय लता हमेशा की तरह झट से विनीत के पास वाली कुरसी पर बैठ गई तो अंजलि बड़ी खुशी से रोहित के साथ बैठ गई. विनीत का पता नहीं क्यों खाने में मन नहीं लग रहा था. शाम को सब लोग टीवी देखने बैठे थे. लता विनीत के साथ सोफे  पर बैठी थी. बीचबीच में हंसीमजाक करते हुए वह कभी विनीत के कंधे पर हाथ मारती तो कभी पैर पर.

अंजलि दूसरे सोफे पर अकेली बैठी थी. तभी रोहित आ गया और अंजलि के पास बैठ गया. अब वे दोनों टीवी पर चल रहे कार्यक्रम पर कमैंट करते हुए ठहाके लगाने लगे. अंजलि भी हंसते हुए रोहित के हाथ पर या कंधे पर हाथ मार रही थी. विनीत बैठाबैठा कसमसा रहा था.

आखिर में विनीत से रहा नहीं गया. वह उठ कर जल्दी सोने चला गया. 10 मिनट बाद लता भी मुंह बना कर अपने कमरे में चली गई. अंजलि जानबूझ कर उस रात बहुत देर बाद सोने गई. जब तक रोहित बैठा रहा वह और अंजलि जोरजोर से हंसीमजाक करते रहे. जब अंजलि सोने के लिए कमरे में गई तो उस ने देखा विनीत मुंह पर चादर लपेटे सोने का नाटक कर रहा था. लेकिन बेचैनी से पहलू बदलने के कारण साफ समझ आ रहा था कि वह जाग रहा है. अंजलि विनीत की ओर पीठ कर के चैन से सो गई.

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दूसरे दिन छुट्टी थी. लता फिल्म देखने के लिए विनीत के पीछे पड़ी. विनीत ने चुपचाप से प्लान बनाया और ऐन वक्त पर अंजलि से तैयार होने के लिए कहा. मगर अंजलि भी भला कहां पीछे रहने वाली थी. उस ने तपाक से रोहित को फोन लगा दिया और फिल्म देखने का आमंत्रण दे डाला. विनीत जलभुन गया. वह बैडरूम में आ कर अंजलि पर गुस्सा करने लगा कि रोहित को ले जाने की क्या जरूरत है? तब अंजलि ने दोटूक जवाब दिया कि उस के और लता के बीच वह मूर्खों की तरह मुंह बंद कर के बैठी रहती है. या तो मुझे घर पर रहने दो या फिर रोहित को भी साथ ले चलो. विनीत के पास और कोई चारा नहीं था. वह बेमन से रोहित को भी साथ ले गया.

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