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रोज की तुलना में अंजुल आज जल्दी उठ गई. आज उस का औफिस में पहला दिन है. मास मीडिया स्नातकोत्तर करने के बाद आज अपनी पहली नौकरी पर जाते हुए उस ने थोड़ा अधिक परिश्रम किया. अनुपम देहयष्टि में वह किसी से उन्नीस नहीं.

सभी उस की खूबसूरती के दीवाने थे. अपनी प्रखर बुद्धि पर भी पूर्ण विश्वास है. अपने काम में तीव्र तथा चतुर. स्वभाव भी मनमोहक, सब से जल्दी घुलमिल जाना, अपनी बात को कुशलतापूर्वक कहना और श्रोताओं से अपनी बात मनवा लेना उस की खूबियों में शामिल है. फिर भी उस ने यह सुन रखा है कि फर्स्ट इंप्रैशन इज द लास्ट इंप्रैशन. तो फिर रिस्क क्यों लिया जाए भले?

मचल ऐडवर्टाइजिंग ऐजेंसी का माहौल उसे मनमुताबिक लगा. आबोहवा में तनाव था भी और नहीं भी. टीम्स आपस में काम को ले कर खींचातानी में लगी थीं किंतु साथ ही हंसीठिठोली भी चल रही थी. वातावरण में संगीत की धुन तैर रही थी और औफिस की दीवारों पर लोगों ने बेखौफ ग्राफिटी की हुई थी.

अंजुल एकबारगी प्रसन्नचित्त हो उठी. उन्मुक्त वातावरण उस के बिंदास व्यक्तित्व को भा गया. उस की भी यही इच्छा थी कि जो चाहे कर सकने की स्वतंत्रता मिले. आज तक  अपने जीवन को अपने हिसाब से जीती आई थी और आगे भी ऐसा ही करने की चाह मन में लिए जीवन के अगले सोपान की ओर बढ़ने लगी.

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बौस रणदीप के कैबिन में कदम रखते हुए अंजुल बोली, ‘‘हैलो रणदीप, आई एम अंजुल, योर न्यू इंप्लोई.’’ उस की फिगर हगिंग यलो ड्रैस ने रणदीप को क्लीन बोल्ड कर दिया. फिर ‘‘वैलकम,’’ कहते हुए रणदीप का मुंह खुला का खुला रह गया.

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