शहर के एक मशहूर अखबार में एक ब्यूटीपार्लर विज्ञापन छपा था जिस में कुछ सेवाएं बिलकुल मुफ्त थीं. कुछ भी मुफ्त में मिलना लोगों को बड़ा आकर्षित करता है. प्रीति ने गौर से विज्ञापन को पढ़ा, लेकिन बाल कटवाने को छोड़ कर बाकी कुछ समझ में नहीं आया. मगर अच्छी बात यह थी कि विज्ञापन में जो पता दिया गया था, वह उस के घर के पास ही था. उस ने मन ही मन सोचा कि क्यों न समय निकाल कर वहां चली जाए. मगर यह समय ही तो आज के दौर में बड़ी समस्या है. यह किसी को मिलता ही नहीं. लेकिन प्रीति औफिस में भी लगातार विज्ञापन के बारे में सोचे जा रही थी. तभी मोबाइल बजा. देखा तो फोन आरती का था. वह बोली, ‘‘पेपर देखा क्या? तेरे घर के पास ही है वह ब्यूटीपार्लर, जिस का विज्ञापन निकला है. कल संडे है, चल न चलते हैं.’’

संडे को घर के सारे काम छोड़ कर जाना थोड़ा मुश्किल था मगर फिर भी प्रीति ने आरती को मना नहीं किया और दिए गए पते पर सुबह 10 बजे मिलने का वादा किया. आरती और प्रीति दोनों अखबार में दिए पते पर पहुंच गईं. ब्यूटीपार्लर, जिसे शायद सैलून कहना ज्यादा ठीक होगा, के बाहर बहुत सारी लड़कियां खड़ी थीं. अंदर जा कर रिसैप्शन पर प्रीति ने जानकारी ली, तो पता चला कि कुछ देर इंतजार करना पड़ेगा क्योंकि बाल काटने वाला कोई भी बंदा फ्री नहीं है. तब कौन सी मुफ्त सेवा का लाभ उठाना चाहिए, इस बात को ले कर आरती और प्रीति ने काफी बात की. मगर समस्या यह थी कि बाकी सेवाओं के बारे में कुछ भी पता नहीं था और फिर इस हाईफाई से दिखने वाले सैलून में किस से पूछें? ये लोग सोचेंगे कि इन्हें इतनी छोटी बातें भी नहीं पता. इसलिए दोनों ने बाल ही कटवाने का फैसला किया.

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