कितना क्षणिक है मानव जीवन. अगर मनुष्य जीवन का यह सार जान ले तो व्यर्थ की पीड़ा, द्वेष में अपने आज का सुखचैन न गंवाए. कितनी चिंता रहती थी वीना को अपने घर की, बच्चों की. लेकिन न वह, न कोई और जानता था कि जिस कल की वह चिंता कर रही है वह कल उस के सामने आएगा ही नहीं.
Digital Plans
Print + Digital Plans
साथ ही मिलेगी ये खास सौगात
- 2000 से ज्यादा कहानियां
- ‘कोरोना वायरस’ से जुड़ी सभी लेटेस्ट अपडेट
- हेल्थ और लाइफ स्टाइल के 3000 से ज्यादा टिप्स
- ‘गृहशोभा’ मैगजीन के सभी नए आर्टिकल
- 2000 से ज्यादा ब्यूटी टिप्स
- 1000 से भी ज्यादा टेस्टी फूड रेसिपी
- लेटेस्ट फैशन ट्रेंड्स की जानकारी
COMMENT