बदले में कुमुद के लिए उस अफसर से उस ने सरकारी दफ्तर में कंप्यूटर क्लर्क की नौकरी मांग ली. इस तरह कुमुद को वहां फिट करवा दिया. इस अहसान के बदले कुमुद की मां से अपने लिए उस का हाथ मांग लिया. जयेंद्र कहां गलत है इस में? सौदों की दुनिया में हर कोई नफा का सौदा करना चाहता है. तुम ठहरे नासमझ और कल्पनाओं की दुनिया में जीने वाले.’’ इतना कह कर वह बेशर्मी से मुसकराया और बोला, ‘‘जिस दिन तुम कुमुद के लिए कंप्यूटर ले जा रहे थे, उस दिन मैं तुम से कहना चाहता था कि कुमुद तुम्हारे हाथ नहीं आएगी, बेकार उस पर अपना वक्त और पैसा बहा रहे हो पर तुम्हें बुरा लगेगा, इसलिए चुप रह गया था. आखिर तुम हमारे साइबर कैफे को पुलिस से बचाने में मेरी मदद करते हो, मैं तुम्हें नाराज क्यों करता?’’

‘‘तुम्हारी इस सिलसिले में कुमुद से कभी बात हुई क्या?’’ मैं ने कुछ सोच कर पूछा. मैं जानना चाहता था, आखिर कुमुद ने उस बदसूरत आदमी को क्यों पसंद कर लिया, जबकि मैं अपनेआप को उस से हजार गुना बेहतर समझता हूं. ‘‘वह तुम्हें सिर्फ एक अच्छा दोस्त मानती है. तुम्हारी इज्जत करती है. एक भला और सही आदमी मानती है. पढ़ालिखा और समझदार व्यक्ति भी मानती है. पर इस का मतलब यह तो नहीं कि वह तुम्हें अपना जीवनसाथी भी मान ले? वह जानती है कि तुम्हारा अर्थतंत्र टूटा हुआ है. तुम इस शहर को छोड़ कर कहीं बाहर जाने का जोखिम नहीं लेना चाहते. कुछ नया और अच्छा करने का हौसला तुम में नहीं है. आजकल पैसा बनाने के लिए आदमी क्या नहीं कर रहा? गलाकाट प्रतिस्पर्धा का जमाना है मित्र. लोग अपने हित के लिए दूसरे का गला बेहिचक काट रहे हैं.’’

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