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सीमाऔर सतीश ने ज्यों ही औफिस में प्रवेश किया, वे उस की साजसज्जा देख कर हैरान रह गए. एक वकील का औफिस और इतना खूबसूरत. इस की तो उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी. सारे दिन अपराधियों की संगति और ?ाठफरेबों का सहारा ले कर रोजीरोटी कमाने वाले एक वकील का औफिस इतना कलात्मक भी हो सकता है, सचमुच हतप्रभ कर देने वाली बात थी.

औफिस में सभी दीवारों पर सुंदर कलात्मक कलाकृतियां सुसज्जित थीं. सामने वाली दीवार पर एक बड़े शीशे के पीछे बहुत ही सुंदर मौडर्न आर्ट टगी थी. औफिस कंप्यूटर, एअरकंडीशनर आदि आधुनिक उपकरणों से भी परिपूर्र्ण था. कुल मिला कर औफिस का वातावरण बहुत ही खुशनुमा और जिंदादिल था.

सीमा और सतीश औफिस की खूबसूरती में ही डूबे हुए थे कि तभी रमेशजी ने प्रवेश किया. उन की उम्र लगभग 60-65 वर्ष की रही होगी परंतु चेहरे और कपड़ों से वे 50-55 के ही नजर आ रहे थे. काली पैंट और सफेद शर्ट में बहुत ही सभ्य, आकर्षक और खूबसूरत लग रहे थे. उन के आकर्षक व्यक्तित्व को देख कर सीमा और सतीश पहली नजर में ही उन से प्रभावित हुए बिना न रह सके.

‘‘कमाल है आप ने अपने औफिस की सजावट बहुत खूबसूरती से कर रखी है. एक वकील से हमें ऐसी उम्मीद नहीं थी,’’ सतीश ने हंसते हुए कहा. हालांकि उस का यह रमेशजी से पहला ही परिचय था फिर भी अपने बातूनी स्वभाव और रमेशजी के हमउम्र होने का उस ने यहां पूरापूरा फायदा उठाया और अपने मन की बात उन से प्रथम मुलाकात और प्रथम वार्त्तालाप में ही कह दी.

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