कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

बीए करने के बाद सरकारी विभाग में नौकरी की अर्जी दी. 2 साल में नंबर आया और वह भी दिल्ली में. खुश थी वह. बहुत खुश थी कि इस घुटन से छुटकारा मिलेगा... अब उस का अपना आसमान होगा... पंख अपने हैं तो उड़ान भी मनमाफिक होगी. इस मन पर तो अपना अधिकार है. अब वह एकदम आजाद है. कहीं, किसी की रोकटोक नहीं.

दिल्ली के औफिस में उसी के शहर की एक लड़की शिल्पा से जल्दी दोस्ती हो गई. शिल्पा ने अपने ही पीजी में उसे जगह भी दिला दी. जल्द ही उस ने नए परिवेश को अपना लिया और नए परिवेश ने भी उसे अपनाने में देर न की.

इसी बीच मैट्रो ट्रेन में देव से परिचय हुआ था. वंदना देव से मिल कर खुश थी. सूखी धरती पर प्यार की बूंदें पड़ती रहीं... प्यार की इस बारिश ने मन को इतना भिगोया कि वहां प्यार की नदी बहने लगी. देव के चेहरे पर मासूम सी गंभीरता थी. वह कम बोलता था. सब से बड़ी बात थी वह स्त्रीपुरुष के बीच खींची गई लक्ष्मण रेखा को बखूबी पहचानता था.

दोनों खूब मिले, हर दिन मिले और फिर दोस्ती लंबी होती गई. पिछले खोए प्यार की कहानी भी देव से शेयर की थी वंदना ने पर संभल कर...

इतने लंबे समय ने वंदना को खूब मांजा है और पीड़ा ने वयस्क बना दिया है. अब वह पहले वाली वंदना नहीं रही. आगे कुछ भी कदम उठाने से पहले खूब ठोकबजा कर देख लेगी...

देव के घर का पता उस की सहेली शिल्पा ने ला कर दिया था. शिल्पा ने ही बताया, ‘‘देव तलाकशुदा है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...