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एक तेज खुशबूदार सैंट की महक उस में मादकता भरने के लिए काफी थी. चुंबक के 2 विपरीत ध्रुवों के समान रचना उसे अपनी ओर खींचती प्रतीत हो रही थी. कमरे में वे दोनों थे, जानबूझ कर चंदा उन के एकांत में बाधा नहीं बनना चाहती थी.

‘एक हारे हुए खिलाड़ी की ओर से यह एक छोटी सी भेंट स्वीकार कीजिए,’ कह कर रचना ने एक सुनहरी घड़ी प्रमोद को भेंट की तो वह इतना महंगा तोहफा देख कर हक्काबक्का रह गया.

‘जरा इसे पहन कर तो दिखाइए,’ रचना ने प्रमोद की आंखों में झांक कर उस से आग्रह किया.

‘इसे आप ही अपने करकमलों से बांधें तो...’ प्रमोद ने भी मृदु हास्य बिखेरा.

रचना ने जैसे ही वह सुंदर सी घड़ी प्रमोद की कलाई पर बांधी मानो पूरी फिजा ही सुनहरी हो गई. उसे पहली बार किसी हमउम्र युवती ने छुआ था. शरीर में एक रोमांच सा भर गया था. मन कर रहा था कि घड़ी चूमने के बहाने वह रचना की नाजुक उंगलियों को छू ले और छू कर उन्हें चूम ले. पर ऐसा हुआ नहीं और हो भी नहीं सकता था. प्यार की पहली डगर में ऐसी अधैर्यता शोभा नहीं देती. कहीं वह उसे उस की उच्छृंखलता न समझे. समय की पहचान हर किसी को होनी जरूरी है वरना वक्त का मिजाज बदलते देर नहीं लगती.

अब प्रमोद का भी रचना को कोई सुंदर सा उपहार देना लाजिमी था. प्रमोद की न जाने कितने दिन और कितनी रातें इसी उधेड़बुन में बीत गईं. एक युवती को एक युवक की तरफ से कैसा उपहार दिया जाए यह उस की समझ के परे था. सोतेजागते बस उपहार देने की धुन उस पर सवार रहती. उस के मित्रों ने सलाह दी कि कश्मीर की वादियों से कोई शानदार उपहार खरीद कर लाया जाए तो सोने पर सुहागा हो जाए.

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