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कियारा अपने अनुभाग में आते ही फौरन सलोनी के पास जा पहुंची और उसे अपना हाले दिल व अनमोल के बारे में बताने लगी.

यह सुनते ही सलोनी हंसती हुई बोली, ‘‘वाऊ... आखिर तु झे भी प्यार हो ही गया. अनमोल और तु झे मिलाने में मैं तेरी मदद कर सकती हूं.’’

यह सुनते ही कियारा बोली, ‘‘प्लीज बता न कैसे?’’

तब सलोनी थोड़ा इतराती हुई बोली, ‘‘मैं अनमोल के रूममेट को जानती हूं. पहले

वह तेरा दीवाना था और आजकल मेरा है.’’

कियारा आश्चर्य से बोली, ‘‘कौन?’’

सलोनी मुसकराती हुई बोली, ‘‘अजय.’’

कियारा मुंह बनाती हुई बोली, ‘‘वह... अजय.’’

‘‘हां अजय... अजय और अनमोल रूममेट भी हैं और फ्रैंड भी. अनमोल से तो मैं उस के रूम में कई बार मिल चुकी हूं. जब भी अजय से मिलने जाती हूं अकसर मेरी मुलाकात अनमोल से होती है और अनमोल तो तु झे भी अच्छी तरह से जानता है.’’

यह सुन कर कियारा को थोड़ा अजीब सा लगा क्योंकि अनमोल से बातें करते हुए उसे एक क्षण के लिए भी इस बात का एहसास नहीं हुआ कि अनमोल उसे जानता है.

वह यह सोच ही रही थी की कियारा के क्लासमेट संदीप का फोन आ गया. संदीप उस का स्कूल फ्रैंड था, उस के शहर दिल्ली से था और वह भी यहां बैंगलुरु की ही एक आईटी कंपनी में था. अकसर संदीप वीकैंड पर या फिर जब भी फ्री होता कियारा के साथ समय स्पैंड करने आ जाता या कियारा उस के पास चली जाती. दोनों के बीच इतना अच्छा तालमेल था कि लोगों को संदेह होता कि शायद संदीप और कियारा के बीच संबंध है.

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