हैवलौक अंडमान का एक द्वीप है. कई छोटेबड़े रिजोर्ट्स हैं यहां. बढ़ती जनसंख्या ने शहरों में प्रकृति को तहसनहस कर दिया है, इसीलिए प्रकृति का सामीप्य पाने के लिए लोग पैसे खर्च कर के अपने घर से दूर यहां आते हैं.

1 साल से सौरभ ‘समंदर रिजोर्ट’ में सीनियर मैनेजर के पद पर काम कर रहा था. रात की स्याह चादर ओढ़े सागर के पास बैठना उसे बहुत पसंद था. रिजोर्ट के पास अपना एक व्यक्तिगत बीच भी था, इसलिए उसे कहीं दूर नहीं जाना पड़ता था. अपना काम समाप्त कर के रात में वह यहां आ कर बैठ जाता था. लोग अकसर उस से पूछते कि वह रात में ही यहां क्यों बैठता है?

सौरभ का जवाब होता, ‘‘रात की नीरवता, उस की खामोशी मुझे बहुत भाती है.’’

अपनी पुरानी जिंदगी से भाग कर वह यहां आ तो गया था, परंतु उस की यादों से पीछा छुड़ाना इतना आसान नहीं था. आज सुबह जब से प्रज्ञा का फोन आया है तब से सौरभ परेशान था.

अब रात के सन्नाटे में उस की जिंदगी के पिछले सारे वर्ष उस के सामने से चलचित्र की तरह गुजरने लगे थे...

4 साल पहले जब सौरभ और शालिनी की शादी हुई थी तब उसे लगा था जैसे उस का देखा हुआ सपना वास्तविकता का रूप ले कर आ गया हो. शालिनी और सौरभ गोवा में 2 हफ्ते का हनीमून मना कर अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करने दिल्ली आ गए. इतनी अच्छी नौकरी, शालिनी जैसी सुंदर और समझदार लड़की को अपनी पत्नी के रूप में पा कर सौरभ जैसे बादलों पर चल रहा था.

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