नीलगिरी की पहाड़ियों में समुद्रतल से करीब 7,350 फीट की ऊंचाई पर बसा है ऊटी. घाटी में चारों ओर पसरी हरियाली, प्रकृति के खूबसूरत नजारे, ऊंचे बुलंद पहाड़, आसमान को छूते देवदार व चीड़ के पेड़ और सीढ़ीनुमा खेत, बेशक नेचर लवर्स को ये नजारे खूब लुभाते हैं. यही नहीं, चाय-कॉफी के बागानों की महक भी यहां आने वालों को तरोताजा कर देती है.

अगर आपको भी दिल स्टेशनंस पर घुमना पसंद है तो आप ऊटी जाने के बारे में सोच सकती हैं. तमिलनाडु के इस हिल स्टेशन के नजारे आपको पूरे सीजन फ्रेश रखेंगे. यहां आपको हमेशा खुशगवार मौसम मिलेगा.

बॉटेनिकल गार्डन

1848 में बनाया गया बॉटेनिकल गार्डन आज भी ऊटी का बड़ा आकर्षण है. 22 हेक्टेयर में फैले इस गार्डन में छोटी-बड़ी क्यारियों में अलग-अलग प्रजाति के पेड़-पौधों की 650 से ज्यादा वैराइटी रखी गई है. यहां आप एक अच्छी वॉक का मजा ले सकते हैं. थक जाएं, तो छतरी के नीचे लगे बेंच पर बैठकर सुस्ताएं. बेशक यह आपको एक अलग ही मजा देगा.

ऊटी लेक

शहर से 3 किलोमीटर दूर ऊटी लेक टूरिस्ट्स में खासी पॉप्युलर है. इस आर्टिफिशल लेक का निर्माण 1825 में कोयम्बटूर के कलेक्टर जॉन सुलीवन ने करवाया था. बाद में इसी लेक के नाम पर शहर का नाम रखा गया. यहां आप बोटिंग और परमिशन मिलने पर फिशिंग भी कर सकते हैं. लेक परिसर के बाहर घुड़सवारी का भी आनंद उठा सकते हैं.

चिल्ड्रन पार्क

लेक परिसर में बना चिल्ड्रन पार्क बच्चों को नहीं, बड़ों को भी खूब पसंद आता है. यहां लगे झूलों का तो बच्चों में खासा क्रेज रहता है. छोटे-छोटे डिब्बों वाली टॉय ट्रेन में बच्चे ही नहीं, बड़े भी सैर करते हैं. यही नहीं, यहां जादू का खेल भी दिखाया जाता है.

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