कुतुब मीनार, दुनिया की सबसे बड़ी ईटों की मीनार है. इसकी ऊंची 120 मीटर है. और मोहाली की फ़तेह बुर्ज के बाद भारत की दूसरी सबसे बड़ी मीनार है. कुतुब का अर्थ न्याय का स्तंभ होता है. कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1199 में कुतुब मीनार का निर्माण शुरू करवाया था और उसके दामाद एवं उत्तराधिकारी शमशुद्दीन इल्तुतमिश ने 1368 में इसे पूरा कराया.

जानकारी के मुताबिक इस इमारत का नाम ख्वाजा क़ुतबुद्दीन बख्तियार काकी के नाम पर रखा गया था. क़ुतुब मीनार परिसर में और भी कई इमारते हैं. पांच मंजिला इस इमारत की तीन मंजिलें लाल पत्थरों से एवं दो मंजिलें संगमरमर एवं लाल पत्थर से निर्मित हैं. प्रत्येक मंजिल के आगे बालकौनी होने से भली-भांति दिखाई देती है.

मीनार में देवनागरी भाषा के शिलालेख के अनुसार यह मीनार 1326 में क्षतिग्रस्त हो गई थी और इसे मुहम्मद बिन तुगलक ने ठीक करवाया था. इसके बाद में 1368 में फिरोजशाह तुगलक ने इसकी ऊपरी मंजिल को हटाकर इसमें दो मंजिलें और जुड़वा दीं.

अभी तक दिल्ली में स्थित इस कुतुबमीनार को आपने नहीं देखा है तो अब जाने में बिलकुल देरी मत कीजिए. यकिनन इतिहास के पन्नों में दर्ज इमारतों में से ये एक इमारत आपको खूब पंसद आएगी.

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