सिर्फ 250 से 500  लोगों की ऐसी जनजाति जिनके रहन सहन की चर्चा आज विश्वभर में है. भारत और थाईलैंड के बीच नौर्थ सेंटीनेल आइलैंड में बसी इस जनजाति को वहां का ऐसा पहरेदार भी माना जाता है जो किसी अनजान शख्स को देखना भी पसंद नही करते और गलती से अगर कोई इनके करीब पहुंचने या इनके आइलैंड पर कदम रख देता है तो वो जिंदा वापस लौट जाए ऐसा इन्हें मंजूर नहीं. ऐसा हम क्यों कह रहे हैं? आप भी यही सोच रहे होंगे, चलिए आपको बताते है

कुछ समय पहले जब सेंटीनेल आइलैंड के लोगों से मिलने उनके बारे में जानने के लिए जब कुछ लोग वहा गये थे तो इस जनजाति के लोगों ने तीरों और भालो से उनका शिकार कर मार डाला था. ठिक एसा ही मामला तब सामने आया था जब नेशनल जियोग्राफिक की टीम ने इनके आइलैंड पर कदम रखा था, तो उनका क्या हाल हुआ था. नेशनल जियोग्राफिक टीम के पहुंचते ही इस जनजाति के लोगों ने उन पर तीरों की बारिश कर दी थी उन्हें जान बचाना मुश्किल हो गया था. कुछ लोग तो वहां से जान बचा निकल आए लेकिन दो लोकल गाइड इस हमले में मारे गए थे.

माना जाता है कि इस जनजाति के बारे में पहली बार सन् 1960 में पता चला था. नौर्थ आइलैंड के ये पहरेदार को प्राकृतिक आपदाओं से बचना भी बखूबी आता है, जिसके लिए दुनिया में इनकी अलग ही पहचान है. साल 2004 में आई सुनामी से भी ये लोग बच निकले थे. 

इस तरह के घटनाओ को होता देख भारत सरकार ने इस द्वीप पर लोगो के आने जाने पर रोक लगा दी है.

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