भारत में हर छोटी-बड़ी घटनायें किसी त्यौहार से कम नहीं होती. चाहे किसी की चुनावी जीत हो या पशुओं का मेला. त्यौहारों की खासियत भी यह है कि चाहे कोई व्यक्ति उनसे जुड़ा हो या न हो पर उनसे अछुता नहीं रह सकता. बिहार के सोनपुर में लगने वाला पशु मेला भी कुछ ऐसा ही है. यह एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला है. हर साल यह नवंबर-दिसंबर के बीच लगता है.

देश और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से पशु प्रेमी इस मेले में हिस्सा लेने के लिए आते हैं. मेले में कुत्ते, भैंस, टट्टू, फारसी घोड़े, ऊंट, हाथी आदि जैसे जानवरों की प्रदर्शनी लगती है. इन सबके अलावा पर्यटक मेले में अनेक प्रकार की वस्तुयें भी खरीद सकते हैं. मेले में कई सारी चीजें जैसे कपड़े, गहने, बर्तन,खिलौने आदि के दुकान सजते हैं.  कुछ लोग मेले में करतब और खेल दिखा कर भी मेले में आए लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं.

यह अद्वितीय पर्व कार्तिक पूर्णिमा के समय प्रारम्भ होता है और दो सप्ताह तक चलता है. सोनपुर गंगा और गंडक नदी का संगम स्थल है, मेले के अलावा कई भक्त यहां इस समय गंगा नदी में डुबकी लगाने के लिए भी आते हैं. इस मेले को 'हरिहरक्षेत्र मेला' के नाम से भी जाना जाता है जबकि स्थानीय लोग इसे 'छत्तर मेला' पुकारते हैं.

यह मेला पहले हाजीपुर में लगता था. सिर्फ हरिहर नाथ की पूजा सोनपुर में होती थी लेकिन बाद में मुगल बादशाह औरंगजेब के आदेश से मेला भी सोनपुर में ही लगने लगा. सोनपुर हाजीपुर से लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जो बिहार के सबसे प्रगतिशील क्षेत्रों में से एक है. हाजीपुर में कई आकर्षक पर्यटक स्थल स्थित हैं. विश्व विख्यात गांधी सेतु जो गंगा नदी पर बनाया गया है हाजीपुर में ही है.  

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...