सृष्टि की मनोरम प्राकृतिक संरचना से हमारा साक्षात्कार हुआ केरल के पहाड़ी क्षेत्र मुन्नार एवं टेकड़ी की घाटियों में. वहां जंगलों में व्याप्त सन्नाटा भी एक सुखद अनुभूति देता है. अंग्रेजों को भारत की संस्कृति एवं संपदा ने अपनी ओर खींचा पर यहां की जलवायु उन्हें रास न आई. सूर्य का ताप वे न सह सके, तो अपने सुकून हेतु उन्होंने भारत के केरल प्रांत में भी हिल स्टेशन आबाद कर दिया. यह समुद्रतल से 1,600 मीटर ऊंचाई पर बसा केरल प्रांत का मुन्नार नामक हिल स्टेशन है. यह 3 पर्वतीय झरनों मुथिरपुजा, नल्लातानी और कुंडला डैम के बीच में बसा हुआ है.

हम ने कोयंबटूर से मुन्नार की यात्रा प्रारंभ की. पालक्काड़ जाने वाली सड़क पर, जिसे हम ऐंड औफ कोयंबटूर कहते हैं, ड्राइवर ने चैकपोस्ट पर ट्रांसपोर्ट परमिट लिया फिर हम वापस पोलाची रोड से मुन्नार की ओर चल पड़े. कार सड़क मार्ग पर दौड़ रही थी, रास्ता सुकून भरा था. थोड़ी देर बाद हम कोकोनट के जंगल उडुमलाई से गुजरे. वहां कहींकहीं छोटेछोटे घर व झोपडि़यां दिख रही थीं. जंगल से आगे बढ़ने पर खुले मैदान एवं सड़क के दोनों ओर बड़ेबड़े विंडमिल का जाल सा फैला हुआ दिखा.

इस के बाद पोलाची चैकपोस्ट से आगे हम प्रसिद्ध अन्नामलाई टाइगर रिजर्व क्षेत्र से गुजरे और लेपर्ड, नीलगाय एवं हाथियों के जंगल के बीच से आगे बढ़ते रहे. सरकार द्वारा रिजर्व एवं संरक्षित फौरेस्ट का यह एरिया रात के सन्नाटे में आवागमन हेतु प्रतिबंधित है. थोड़ी देर के बाद तमिलनाडु क्षेत्र से अलग हो कर हम केरल प्रांत के वन विहार और घने जंगल का आनंद लेते हुए आगे बढ़ते रहे.

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