आम तौर पर लोग समझते हैं कि डकार आ गई, मतलब पेट भर गया और कुछ लोग इसे बदहजमी की शिकायत कहते हैं. लेकिन ऐसा नहीं है. डकार आना शारीरिक क्रिया का एक अंग है. कूकर में जैसे दाल या सब्जी पकाते समय गैस ज्यादा बन जाती है तो सेफ्टी वॉल्व अपने आप सीटी देने लगता है, उसी तरह से पेट में इकट्ठा गैस आवाज के साथ जब मुंह व गले के सहारे बाहर निकलती है तो उसे डकार आना कहा जाता है.

ऐसे आती है डकार

जब हम खाना खाते हैं तो भोजन के साथ कुछ वायु पेट में प्रवेश कर जाती है. भोजन नली और पेट के बीच डायफ्राम होता है. भोजन के पेट में प्रवेश हो जाने के बाद यह खुद ही बंद हो जाता है. इससे पेट में कुछ वायु इकट्ठी हो जाती है. लेमन सोडा आदि पेय पदार्थों के पीने से भी पेट में ज्यादा गैस पैदा हो जाती है, जिससे शरीर के कंट्रोल रूम रूपी मस्तिष्क बेकार गैसों को बाहर निकालने का आदेश दे देता है. इसके बाद कुछ मांसपेशियां सख्त हो जाती हैं जिससे भोजन नली में छाती और पेट के बीच बना दरवाजा(डायफ्राम) कुछ देर के लिए खुल जाता है. वायु गले और मुंह से होती हुई बाहर आती है. यह पेट भरने का परिचायक नहीं है.

डकार आने पर आवाज का कारण

जब इकट्ठा वायु पेट से भोजन नली में आती है तो एक तरह का कंपन करने लगती है जो गले और मुंह से बाहर निकलने पर आवाज करती है. अगर पेट की वायु बाहर निकलने पर कंपन न करे तो आवाज नहीं होगी, जो असंभव है क्योंकि यह स्वाभाविक शारीरिक क्रिया है.

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