दीवाली में चाइनीज सामान के बहिष्कार से बाजार की खरीददारी में देसीपन को बढ़ावा देने का काम किया है. दीवाली में इस बार दियों, मोमबत्ती, के साथ एलइडी वाली लाइटों की खरीदारी बढ़ गई है. लोग घर की सजावट के लिये प्लास्टिक के चाइनीज प्रोडक्टस की जगह पर लकड़ी, जूट और दूसरी तरह से तैयार देसी सामान खरीद रहे हैं.

सामान्य बाजारों के अलावा मौल्स और बाजारों में देसी सामान बेचने वालों के मेले लग गये हैं. लखनऊ में ऐसे तमाम मेले लगे हैं. लखनऊ का गोमती नगर इलाका पौश कालोनी में शुमार है. यहां के सिटी मौल में पहले 2 दिन का दीवाली मेला ‘हथकरघा’ का आयोजन किया गया था. ‘हथकरघा’ की आयोजक दीपिका निगम और मीनाक्षी अग्रवाल कहती हैं ‘दीवाली मेले के पहले 2 दिन लोगों का उत्साह देखकर हमें इसे एक दिन के लिये बढ़ाना पड़ा.’

‘हथकरघा’ दीवाली मेले में घर की सजावट के सामान, पहनने के लिये खादी, कौटन और हैंडलूम के कपड़े, मिटटी के दिए, हैंडमेंड एलईडी लाइट, मिरर, पेंटिंग जैसी चीजों की दुकाने लगाई गई. दीपिका ने बताया कि इस मेले में आने वाले सभी लोग हैंडीक्राफ्ट वर्क के लिये बहुत मशहूर है. यहां खरीददारी कर रहे लोगों से बात करने पर पता चला कि वह इस  दीवाली को पूरे देसीपन के साथ मनाना पसंद कर रहे हैं.

यहां खरीदारी करने आई सलोनी केसरवानी ने बताया ‘दीवाली को पूरी तरह से ट्रेडिशनल तरीके से मनाना है. हमारी ड्रेस से लेकर सजावट तक में देसीपन की झलक दिखाई देगी. वह कहती है ‘यहां के सामान बड़ी शौप के मुकाबले किफायती और बेहतर हैं’ रेखाकृति नाम से हैंडीक्राफ्ट वर्क की शौप चला रही रेखा सिन्हा ने बताया ‘हर साल दीवाली में इस तरह की खरीददारी बढ़ जाती थी. इस बार यह ट्रेंड ज्यादा देखने को मिल रहा है.’

दीवाली के बाजारों में बात करने पर पता चल रहा है कि बाजार से चाइनीज सामानों की ब्रिकी आधी हो गई है. लोगों ने इस बात को समझते हुये पहले से ही चाइनीज सामान कम मंगवाये थे. ज्यादातर चाइनीज प्रोडक्टस बिजली और पटाखों के होते थे. बिजली के सजावट के लिये तो लोगों ने चाइनीज सामान ले भी लिये पर सजावट के लिये चाइनीज सामान पूरी तरह से नहीं लिया. चाइनीज पटाखों की खरीददारी पूरी तरह से प्रभावित हो गई है. देसी बनाम चाइनीज के इस पंसद में देसी कितना भारी पड़ा यह तो त्योहार के बाद ही सही तरह से पता चल सकेगा पर यह बाजार को देखने में साफ दिखा कि पहले के मुकाबले देसीपन बाजार पर छाया रहा.

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