पश्चिमी कौरिडोर के एक भाग में महाराष्ट्र का कोंकण तट आता है, जो भारत के पश्चिमी भाग का पर्वतीय हिस्सा है. यह स्थान समुद्रतटों के साथसाथ पहाड़ों और प्राकृतिक वनस्पति की खूबसूरती को भी अपने में समेटे हुए है. ऐडवैंचर के शौकीन पर्यटकों के लिए यह स्थान खास है. एमटीडीसी (महाराष्ट्र टूरिज्म डैवलपमैंट कौरपोरेशन) के जौइंट एमडी आशुतोष राठौड़ कहते हैं कि पहले महाराष्ट्र केवल धार्मिक और प्राकृतिक टूरिज्म के लिए ही जाना जाता था लेकिन पिछले 3-4 सालों में यह ग्लोबल टूरिज्म स्पौट के तौर पर उभरा है, जिस में मैडिकल, ऐडवैंचर, फोर्ट सर्किट, एग्रो टूरिज्म आदि आ गए हैं. यहां सैलानियों की संख्या में करीब 17 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. महाराष्ट्र में उस के वैलनैस हब होने की अवधारणा पर काम किया जा रहा है.

मुंबई

देश की आर्थिक राजधानी मानी जाने वाली मुंबई में पर्यटकों के लिए ढेरों ऐसी जगहें हैं जहां सैलानी अपनी छुट्टियों का आनंद उठा सकते हैं. मायानगरी की माया ऐसी है कि यहां कोई एक बार आता है तो उस का मन बारबार यहां आना चाहता है.

पब्लिक ट्रांसपोर्ट से मुंबई  घूमा जा सकता है. यहां एसी और नौन एसी बसें और टैक्सी चलती हैं, जो शहर के हर स्थान को कवर करती हैं.

7-8 घंटे में ये बसें पूरी मुंबई की सैर करवा देती हैं. ये काफी किफायती भी होती हैं. यातायात की यह सुविधा मुंबई के बीचोंबीच गेटवे औफ इंडिया और दादर में उपलब्ध है, जिसे औनलाइन बुक किया जा सकता है.

गेटवे औफ इंडिया को भारत का प्रवेशद्वार भी कहा जाता है. 1924 में ब्रिटिशकाल में बने इस द्वार का उद्देश्य ब्रिटिश महाराज जौर्ज बी और महारानी मैरी के भारत आगमन पर स्वागत करना था. इस के अलावा मुंबई के देश के प्रमुख बंदरगाह होने की वजह से भी इस का नाम गेटवे औफ इंडिया रखा गया. यह इलाका अपोलो बंदरगाह के सामने होने की वजह से आज दुनियाभर का दर्शनीय स्थल बन गया है.

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गेटवे औफ इंडिया के पास ही होटल ताज है, जो देखने लायक है. इसे 1902 में जमशेदजी टाटा ने बनवाया था. 2008 में 26/11 का आतंकवादी हमला इसी होटल में हुआ था.

छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय गेटवे से पैदल दूरी पर है. इस की स्थापना 10 जनवरी, 1922 को हुई थी. इस के निर्माण में मुगलों, मैराथन और जैनों की मिलीजुली शैली दिखाई पड़ती है. यहां आने पर भारत की पुरानी संस्कृति के बारे में पता चलता है. यहां अंदर औडियो गाइड मिलते हैं जो 40 रुपए ले कर संग्रहालय के अंदर रखी वस्तुओं के बारे में बताते हैं.

मरीन ड्राइव की सुंदरता रात को देखते ही बनती है. रात को जब स्ट्रीट लाइट्स जलती हैं तो ऐसा लगता है कि मानो किसी रानी ने गले में हार पहना हो. इसे क्लीन नेकलैस भी कहते हैं. 4 किलोमीटर में फैली यह सड़क मुंबई की सब से सुंदर सड़कों में से एक है. इसे लवर्स पौइंट भी कहते हैं. यहां की चाट और चाय बहुत प्रसिद्ध हैं.

मरीन ड्राइव के पास ही चौपाटी बीच है, जिसे गिरगांव चौपाटी भी कहा जाता है. खानपान के शौकीनों के लिए यह खास है. यहां ठेलों पर कई तरह की चाट, पानीपूरी और भेलपूरी मिलती हैं. यहां बग्घी पर बैठने का आनंद भी लिया जा सकता है.

जुहू बीच पर सैलानियों का हमेशा तांता लगा रहता है. साथ ही यहां कई नामीगिरामी फिल्मी हस्तियों के घर होने की वजह से यह समुद्री किनारा काफी पौपुलर है.

यहां की पावभाजी, भेलपूरी, पानीपूरी, बर्फ का गोला आदि पूरे मुंबई में प्रसिद्ध होने की वजह से लोग दूरदूर से इस का स्वाद लेने पहुंचते हैं. यहां घुड़सवारी, बंदर नाच और लोकल खिलौनों का मजा भी पर्यटक खूब लेते हैं.

एलिफैंटा केव, गेटवे औफ  इंडिया से 9 किलोमीटर की दूरी पर समुद्र के बीच में पहाड़ को काट कर बनाया गया एक विशेष स्थल है जिस की कलाकृति बहुत ही उम्दा है. इस में बने हौल, आंगन, खंभे काफी कलात्मक हैं. यहां जाने के लिए मोटरबोट का सहारा लेना पड़ता है, जो हर 30 मिनट पर आतीजाती हैं. यह बोट सेवा गेटवे औफ इंडिया से सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक उपलब्ध रहती है.

इस के अलावा मुंबई में देखने के लिए एस्सेल वर्ल्ड, संजय गांधी नैशनल पार्क, कलाघोड़ा भवन आदि हैं जिन्हें घूमने में 2 दिन का समय लगता है.

यहां रहने और खानेपीने की ढेरों जगहें हैं, जिन्हें बजट के अनुसार बुक किया जा सकता है. मुंबई स्ट्रीट शौपिंग के लिए जानी जाती है. यहां कई चीजें किफायती दामों पर मिल जाती हैं. कोलाबाकाजवे, लिंकिंग रोड, हिल रोड आदि कुछ ऐसी जगहें हैं, जहां जूते, चप्पल और कपड़े सस्ते दामों पर मिलते हैं.

माथेरान महाबलेश्वर से तकरीबन 5 घंटे की ड्राइव के बाद रायगढ़ स्थित माथेरान हिल स्टेशन पर पहुंचा जा सकता है. समुद्रतल से 2,650 फुट की ऊंचाई पर बसा यह महाराष्ट्र का खास पर्यटन स्थल है. यहां प्रदूषणरहित वातावरण, आकर्षक दृश्य, ठंडी हवा के झोंके, दूरदूर तक फैली हरीभरी घाटी और उड़ते बादल पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं. यहां के खास आकर्षण चरलोटी झील, पेमास्टर पार्क, रामबाग, ओलंपिया रेसकोर्स, पैनोरमा पौइंट, कैथेड्रल पार्क, मंकी पौइंट आदि हैं.

चरलोटी झील में पिकनिक के लिए काफी लोग आते हैं. इसी झील से पूरे माथेरान को पानी सप्लाई होता है. पेमास्टर पार्क बच्चों के लिए खास आकर्षक जगह है, जबकि रामबाग माथेरान के घने जंगलों के बीच स्थित है. इस का मुख्य आकर्षण इस की सीढि़यां हैं, जहां से ऊपर चढ़ कर वहां की हरियाली का आनंद लिया जा सकता है. ओलंपिया रेसकोर्स में घुड़सवारी का आनंद लिया जा सकता है, जो यूथ के लिए खास आकर्षण का केंद्र है. पैनोरमा पौइंट अपनी नैचुरल खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है, जबकि कैथेड्रल पार्क की सुंदरता रात को देखते ही बनती है.

यह स्थान रेल और सड़कमार्ग से जुड़ा है. निकटतम रेलवेस्टेशन नेरल है. यहां एक छोटी टौय ट्रेन भी है, जो नेरल को माथेरान के मुख्य बाजार से जोड़ती है. इस के अलावा सार्वजनिक और निजी बसें भी यहां आती हैं, जो लक्जरी और नौन लक्जरी दोनों तरह की होती हैं.यहां ठहरने की अच्छी सुविधा है. होटल, गैस्टहाउस, विला, मोटेल के अलावा छोटेछोटे मकानों में भी ठहरने की उत्तम व्यवस्था है. वैसे तो पूरे साल यहां सैलानियों का तांता लगा रहता है लेकिन जाड़े के मौसम में यहां आना उत्तम होता है.

खंडाला

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लोनावाला से 3 किलोमीटर की दूरी पर मुंबईपुणे राजमार्ग पर  प्रसिद्ध रमणीक स्थल और पर्वतीय नगर खंडाला है. सहृद्री पर्वत शृंखला के पश्चिमी घाट पर भोरघाट के छोर पर स्थित यह स्थान छोटा, लेकिन शांत है. वर्षाऋतु की प्रथम फुहार के बाद खंडाला का प्राकृतिक सौंदर्य अत्यंत मनोहारी हो जाता है. इस स्थान पर बौलीवुड फिल्मों की अकसर शूटिंग होने की वजह से पर्यटकों के लिए यह काफी लोकप्रिय है. हाईकिंग के शौकीन पर्यटकों के लिए खंडाला खास है. ड्यूक की नाक पहाड़ी से खंडाला और भोर घाट के सुंदर नजारों का आनंद लिया जा सकता है.

यहां विशेषकर, विश्रामगृहों, धर्मशालाओं, सैनिटोरियम और कम बजट के होटलों की भरमार है. किसी भी मौसम में यहां जाया जा सकता है, क्योंकि यहां मौसम पूरे साल खुशनुमा रहता है.

लोनावाला

मुंबई से करीब 2 घंटे की ड्राइव कर लोनावाला पहुंचा जा सकता है. परिवार के साथ घूमने के लिए यह उत्तम जगह है. समुद्रतल से 622 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह हिल स्टेशन सहयाद्रि पर्वत पर स्थित है. यहां जलवायु पूरे साल अच्छी रहती है, जो पर्यटकों के लिए खास आकर्षण का केंद्र है. बरसात में इस स्थान की खूबसूरती और अधिक बढ़ जाती है. यहां की गुफाएं लोनावाला के आकर्षणों में से एक हैं. 200 ईसापूर्व की बनी 18 गुफाएं भिन्नभिन्न शैली की हैं. इस के अलावा यहां ट्रैकिंग का भी मजा लिया जा सकता है. इस के अलावा वलवम डैम, रोज गार्डन, वैक्स म्यूजियम, करला केव्स, लोहागढ़ किला आदि भी घूमने के लिए बेहतर स्थान हैं. लोनावाला के पास बुशी डैम है, जो स्थानीय लोगों के लिए पार्टी करने के लिए बेहतर जगह है.

बस, रेल और टैक्सी से आसानी से यहां जाया जा सकता है. पुणे जाने वाली सभी ट्रेनें लोनावाला से हो कर गुजरती हैं. यहां ठहरने और खानेपीने की ढेरों जगहें हैं, जिन्हें अपने बजट के अनुसार औनलाइन बुक कराया जा सकता है.

पुणे

लोनावाला से करीब सवा घंटे ड्राइव कर पुणे पहुंचा जा सकता है. पुणे को महाराष्ट्र की सांस्कृतिक राजधानी कहा जाता है. इसे क्वीन औफ दक्कन के नाम से भी जाना जाता है. यहां उच्चकोटि के शिक्षण संस्थान, शोध केंद्र के साथसाथ योगा, आयुर्वेद, समाज सेवा आदि से जुडे़ कई केंद्र हैं. वर्तमान समय में पुणे तकनीकी दृष्टिकोण से भी काफी विकसित हो चुका है.

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ऐतिहासिक रूप से भी यह स्थान काफी चर्चित है. मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म पुणे के शिवनेरी में ही हुआ था. उन का साम्राज्य यहीं था. फलस्वरूप, यहां कई बड़ेबड़े महल और उन के अवशेष देखने को मिलते हैं.

शनिवार वाड़ा : यह पेशवाओं का निवास था. इस की नींव बाजीराव प्रथम ने 1730 ईस्वी में रखी थी. इस महल की दीवारों पर रामायण और महाभारत के दृश्य चित्रित हैं. कमल के 16 फूलों के आकार में बना फौआरा उस समय की तकनीक की पहचान है.

इस महल में हर दिन लाइट ऐंड म्यूजिक शो का आयोजन किया जाता है. यह सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक प्रत्येक दिन खुला रहता है, जिस का प्रवेश शुल्क 15 रुपए है.

आगा खान महल : इस का निर्माण आगा खान ने 1892 में कराया था. 1942 में स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी, उन की पत्नी कस्तूरबा गांधी और उन के सचिव महादेव भाई देसाई इसी महल में रहे थे.

कात्रज सर्प उद्यान : इस उद्यान में बड़ी संख्या में सांप और रेंगने वाले जंतुओं के अलावा मगरमच्छ भी पाए जाते हैं. यहां एक संग्रहालय है, जहां सांपों के बारे में काफी दिलचस्प जानकारी मिलती है.

पुणे से करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर खूबसूरत कोणार्क पक्षी अभयारण्य है. यहां कई विदेशी पक्षी भी मौजूद हैं, जिन में औस्ट्रेलिया का बेयर आइड कोकेटू, चीन का पीला सुनहरा तीतर, कीनिया का रिंग आइड तीतर आदि हैं.

पुणे में खानेपीने की अच्छी सुविधाएं हैं. सब से अधिक रैस्तरां सैनिक छावनी के पास बोट क्लब रोड, कोरगांव पार्क और मुख्य सड़क पर स्थित हैं.

खरीदारी के लिए यह स्थान बहुत अच्छा है. महाराष्ट्र की नौवारी साड़ी से ले कर गहने तक सभी यहां किफायती दामों पर मिलते हैं. यहां कपड़े, साडि़यां, डिजाइनर घडि़यां, जूते, बैग आदि खरीदे जा सकते हैं, लेकिन ये दुकानें 1 बजे से 4 बजे तक बंद रहती हैं.

पुणे हवाई, रेल और सड़कमार्ग से जुड़ा हुआ है. यहां ठहरने की भी सुविधाएं मौजूद हैं. छोटे बजट के होटल भी काफी हैं.

महाबलेश्वर

महाराष्ट्र के सतारा जिले के महाबलेश्वर में तापमान पूरे साल खुशनुमा रहता है. समुद्रतल से 1,438 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस पर्यटन स्थल को महाराष्ट्र के हिल स्टेशन की रानी कहा जाता है. दूरदूर तक फैली हरीभरी पहाडि़यों की छटा देखते ही बनती है. पुणे से करीब 3 घंटे की ड्राइव के बाद पश्चिमोत्तर में सह्याद्रि की पहाडि़यों में स्थित इस स्थान पर पहुंचा जा सकता है.

एलिफैंट हैड पौइंट, बौंबे पौइंट, सावित्री पौइंट, और्थर पौइंट आदि यहां काफी मशहूर पौइंट हैं. महाबलेश्वर जाने पर प्रतापगढ़ का किला देखना न भूलें, जो वहां से करीब 24 किलोमीटर की दूरी पर है.

कहा जाता है कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने ताकतवर योद्धा अफजल खान को नाटकीय तरीके से मार कर किले पर कब्जा कर लिया था. जहां से मराठा साम्राज्य ने निर्णायक मोड़ लिया था. पानघाट पर स्थित यह किला शिवाजी महाराज के 8 प्रमुख किलों में से एक है. सनराइज पौइंट देखने की खास जगह है, जहां से आप सूर्योदय का आनंद ले सकते हैं.

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एलिफैंट हैड पौइंट में पत्थरों की बनावट हाथी के सिर के आकार की है, जो देखने लायक है, जबकि बौंबे पौइंट से पहले पूरी मुंबई दिखाई पड़ती थी, लेकिन अब केवल साफ मौसम में ही दिखती है.

इस के अलावा लिंग्माला वाटर फौल, वेन्ना लेक, पुराना महाबलेश्वर मंदिर, हेरेसन फौल, कमलगढ़ का किला आदि सभी देखने योग्य स्थान हैं. वेन्ना लेक में पैडल बोट, रोइंग बोट, रंगबिरंगी मछलियां पकड़ना, घुड़सवारी करने का आनंद आप परिवार के साथ ले सकते हैं. यहां एग्रो टूरिज्म का भी काफी विकास हुआ है. इस के अंतर्गत यहां बडे़ पैमाने पर स्ट्राबैरी की खेती होती है. यहां पर्यटक ताजीताजी स्ट्राबैरी के स्वाद का आनंद लेते हैं.

महाबलेश्वर में शाकाहारी और मांसाहारी दोनों प्रकार का भोजन मिलता है. यहां आने वाले 75 प्रतिशत पर्यटक गुजराती होते हैं, इसलिए यहां पर उन की पसंदीदा कढ़ीखिचड़ी और दालखिचड़ी हर रैस्तरां में मिलती है.

खरीदारी के लिए यह स्थान काफी अच्छा है. यहां छोटीछोटी दुकानों में हैंडमेड नैचुरल स्ट्राबैरी आइसक्रीम मिलती है, जिसे आप अपनी पसंद के अनुसार बनवा कर खा सकते हैं. यहां स्थानीय फलों से बने जैम, जैली, जूस, सिरप और चौकलेट फ्रेश व सस्ते होने के साथसाथ स्वादिष्ठ भी होते हैं. यहां आने के लिए सब से अच्छा मौसम अप्रैल से दिसंबर तक रहता है. मानसून के दौरान भी यहां लोग आते हैं.

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