सवाल-

मेरा नाती 11 साल का है. उस का दिमाग बहुत तेज है और वह अपनी क्लास में अव्वल आता है. लेकिन हम उस के गुस्से से बहुत परेशान हैं. अगर उसे कोई जरा सा भी टोक दे तो वह घंटों चिड़चिड़ाता रहता है. वह बहुत जिद्दी भी हो गया है. सिर्फ अपने पिता से डरता है. उस के खानेपीने की आदतें भी अजीबोगरीब हैं. कभी खूब खाता है और कभी लाख कहने पर भी खाना नहीं छूता. उचित सलाह दें?

जवाब-

कोई भी बच्चा जन्म से न तो जिद्दी होता है और न चिड़चिड़ा. उस का व्यक्तित्व किस रंग में रंगता है, यह उस की परवरिश और घर की स्थितियों पर निर्भर करता है. आजकल जब सभी परिवार छोटे हो गए हैं, घर में 1 या 2 बच्चे होते हैं. वे मातापिता, दादादादी, चाचाचाची, बूआमौसी, नानानानी के जरूरत से ज्यादा लाड़प्यार से जिद्दी और उद्दंड बन जाते हैं. उन की जिद अगर पूरी नहीं होती तो उन का अंतर्मन इस छोटी सी बात से ही आहत हो जाता है और उन के अंदर की परेशानी गुस्से का गुबार बन ज्वालामुखी सी फट उठती है. घर के सभी बड़ेबूढ़ों के लिए जरूरी है कि वे बच्चे के साथ सुलझा हुआ संतुलित व्यवहार करें. उस की कोई बात ठीक न लगे या उसे किसी चीज के लिए मना करना हो तो उसे प्यार से समझाएं कि क्यों उसे मना किया जा रहा है. वह तब भी न समझे तो उसे यह बात बारबार समझाएं, मगर अपने फैसले पर अडिग रहें. लाड़प्यार में उसूलों से समझौता न करें. इस से बच्चे का अपरिपक्व मन अच्छेबुरे और स्थितियों की सचाई को ठीकठीक समझ सकेगा. उसे यह बात भी साफ हो जाएगी कि जिद या गुस्से से कोई लाभ नहीं मिलने वाला.

जहां तक उस के कभी खूब खाने, कभी न खानेपीने की बात है, तो सच यह है कि हमारे मूड का हमारी भूखप्यास से बहुत गहरा नाता है. मन उदास हो तो भूखप्यास पर ताला लग जाना स्वाभाविक है. बच्चे का मूड उस के एपेटाइट पर सीधा असर डालता है. इस पर अधिक ध्यान न दें. बच्चा भूखा होगा तो वह अपने से भोजन कर लेगा. उस का भूखा रहना सिर्फ अटैंशन सीकिंग बिहेवियर का हिस्सा है, इस बात को जब तक आप तूल देते रहेंगे तब तक वह यह मैकेनिज्म अपनाता रहेगा.

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