हौलीवुड इंडस्ट्री में इन दिनों ऐक्टर जौनी डेप और उन की एक्स वाइफ एंबर हर्ड का वैवाहिक विवाद आए दिन नई खबरों के साथ सुर्खियों में है. जौनी डेप और एंबर हर्ड की तरफ से एकदूसरे पर कई आरोप लग चुके हैं. एंबर हर्ड ने जहां डेप पर घरेलू हिंसा का केस दर्ज कराया है, वहीं जौनी डेप ने एंबर हर्ड पर मानहानि का केस किया है.

एंबर हर्ड की तरफ से हाल ही में उन की डाक्टर डौन ह्यूज कोर्ट में पेश हुई थीं और जौनी डेप पर गंभीर आरोप लगाए थे. डौन ह्यूज का कहना था कि जौनी डेप एंबर हर्ड से जबरन सैक्स करते थे और हिंसक हो जाते थे. जॉनी डेप हमेशा नशे में रहते थे और एक दिन भंयकर नशे में एंबर हर्ड को बेड पर पटक कर उन का गाउन फाड़ दिया फिर उन के साथ जबरन सैक्स करने की कोशिश की.

जब एंबर हर्ड ने इस का विरोध किया तो जौनी डेप ने उन के साथ मारपीट की. यही नहीं जौनी डेप जब भी गुस्से में होते थे तो वे एंबर हर्ड को जबरन ओरल सैक्स करने पर मजबूर करते थे. डेप नहीं चाहते थे कि एंबर हर्ड फिल्मों में बोल्ड सीन करें.

एंबर ने यह भी खुलासा किया कि जौनी ने शराब की बोतल से उन का यौन उत्पीड़न किया था. शादी के तुरंत बाद उन्हें मारने की धमकी भी दी थी. कोर्ट में पेश किए गए दस्तावेजों के अनुसार 2013 में जौनी डेप ने एंबर हर्ड के साथ मारपीट की और फिर उन की चीजों को भी जलाया था. इस के अलावा 2014 में उन्होंने एंबर हर्ड के साथ प्लेन में भी बुरा बरताव किया था, जबकि डेप के वकील की दलील थी कि एंबर हर्ड को हिंसा और टकराव की आदत और जरूरत थी. एंबर अकसर डेप के खिलाफ अपमानजनक, चुभने वाली, टौक्सिक और हिंसात्मक बातें करती थीं.

हाल ही में जौनी ने अपनी ऐक्स वाइफ पर मानहानि का मामला दर्ज कराया है, जिस की सुनवाई अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी में 11 अप्रैल से चल रही है. जौनी डेप ने एंबर पर 50 मिलियन डौलर का मुकदमा दायर किया है. जौनी ने दावा किया है कि एंबर ने वाशिंगटन पोस्ट के लिए 2018 के एक औप एड में उन्हें बदनाम करने के लिए लेख लिखा था. उन का दावा है कि इस लेख ने उन के फिल्मी कैरियर और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया. अभिनेता को ‘फैंटास्टिक बीस्ट्स’ फिल्म फ्रैंचाइजी से हटा दिया गया. वहीं एंबर के वकीलों का कहना है कि यह जौनी के लिए नहीं लिखा गया था.

क्या है पूरा मामला

58 साल के जौनी डेप ने अपनी पूर्व पत्नी और अभिनेत्री एंबर हर्ड पर मुकदमा किया है. ‘पाइरेट्स औफ कैरिबियन’ फिल्म और एक सीरीज में काम कर चुके अभिनेता जौनी डेप 3 बार औस्कर अवार्ड के लिए नामांकित हो चुके हैं और गोल्डन ग्लोब अवार्ड जीत चुके हैं. जौनी डेप और एंबर हर्ड 2011 में फिल्म ‘द रम डायरी’ के सैट पर मिले थे जो प्यूर्टो रिको में शूट हुई थी.

कुछ साल बाद दोनों दोबारा फिल्म की पब्लिसिटी के दौरान मिले और वहीं से दोनों का रिश्ता शुरू हुआ. इस के बाद दोनों एकदूसरे को डेट करने लगे और फरवरी, 2015 में शादी कर ली. लेकिन दोनों ज्यादा दिनों तक साथ नहीं रहे. 2016 में ही दोनों ने तलाक की अर्जी दे दी. जौनी डेप ने तलाक के बाद एंबर को 7 मिलियन डौलर दिए जिस पर एंबर ने कहा कि वे इस राशि का दान करना चाहती हैं.

बाद में 2018 में एंबर ने वाशिंगटन पोस्ट अखबार में एक लंबाचौड़ा लेख लिखा था कि वे घरेलू हिंसा की शिकार हुई हैं. हालांकि उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया था. लेकिन जौनी डेप ने कहा कि यह लेख उन की मानहानि करता है और इस से उन के कैरियर पर असर पड़ा है. इसी के बाद जौनी डेप ने अपनी पूर्व पत्नी पर 50 मिलियन डौलर का मुकदमा दायर कर दिया. बदले में एंबर ने भी 100 मिलियन डौलर का केस किया है.

जब पूनम पांडे ने खो दी सूंघने की क्षमता

बोल्ड और बिंदास पूनम पांडे ने हाल ही में रिऐलिटी शो ‘लौकअप’ में अपनी पर्सनल लाइफ को ले कर बड़ा खुलासा किया. पूनम ने बताया कैसे उन के ऐक्स हसबैंड सैम बौंबे उन के साथ मारपीट करते थे. इस वजह से पूनम को ब्रेन हैमरेज तक हो गया था और इस से उन की सूंघने की क्षमता चली गई.

पूनम पांडे ने 2020 में सैम बौंबे से शादी की थी. दोनों लंबे वक्त से एकदूसरे को डेट कर रहे थे. पूनम पांडे और सैम बौंबे की शादी होने के साथ ही विवादों में आ गई थी. गोवा में हनीमून के दौरान ऐक्ट्रैस ने सैम को मारपीट, प्रताड़ना के आरोप में जेल भिजवा दिया था. बाद में दोनों का पैचअप हो गया. लेकिन कुछ वक्त बाद पूनम और सैम के बीच फिर से लड़ाई?ागड़े होने लगे. पूनम ने सैम बौंबे को घरेलू हिंसा के आरोप में दोबारा जेल भिजवाया. इस बार पूनम को गंभीर चोट की वजह से अस्पताल में भरती होना पड़ा था. अब दोनों अलग हो चुके हैं.

पूनम का आरोप था कि सैम उन्हें डौमिनेट करते थे. घर में पूनम को एक से दूसरे कमरे तक में जाने की इजाजत नहीं थी. सैम जिस रूम में होते थे वे पूनम को भी उसी रूप में चाहते थे. अपने खुद के घर में अपना फोन छूने की इजाजत नहीं थी जबकि सैम पूनम के सभी आरोपों को गलत बताते हैं.

ग्लैमर की दुनिया से अकसर ऐसी घरेलू हिंसा की खबरें आती रहती हैं:

करिश्मा कपूर संजय कपूर

हिंदी सिनेमा जगत के सब से पावरफुल फैमिली से ताअल्लुक रखने वाली करिश्मा कपूर खानदान की पहली फीमेल सुपरस्टार रहीं. 2003 में करिश्मा ने बिजनैसमैन संजय कपूर से शादी कर ली. जिस वक्त करिश्मा ने शादी की तब वे अपने कैरियर के पीक पर थीं. 11 साल की शादी से दोनों के 2 बच्चे भी हैं. लेकिन 2014 में जब अभिनेत्री ने तलाक की अर्जी दी तब सचाई सामने आई कि वे घरेलू हिंसा का शिकार रह चुकी हैं. करिश्मा ने पति संजय कपूर और उन के घर वालों पर घरेलू हिंसा करने की बात कही तो वहीं संजय ने भी करिश्मा पर कई आरोप लगाए. करिश्मा संजय की दूसरी पत्नी थीं.

बकौल करिश्मा संजय उन से शादी के बाद भी पहली पत्नी के संपर्क में थे. यहां तक कि जब वे अपने हनीमून पर थीं तो संजय ने उन्हें अपने दोस्त के साथ शारीरिक संबंध बनाने को कहा. न कहने पर मारपीट की गई.

पूजा भट्ट रणवीर शौरी

पूजा भट्ट की गिनती बौलीवुड की बोल्ड अभिनेत्रियों में होती थी. एक समय वे अभिनेता रणवीर शौरी के साथ लिव इन में रहती थीं. लेकिन फिर एक दिन दोनों का ब्रेकअप हो गया. पूजा के अनुसार, रणवीर बहुत ही ज्यादा वायलैंट थे. शराब पर उन का कोई कंट्रोल नहीं था और जब भी पूजा इन सब बातों पर रणवीर को रोकती थीं तो दोनों के बीच बहस होती. तब रणवीर उन के साथ मारपीट भी करते.

प्रीति जिंटा नेस वाडिया

डिंपल गर्ल के नाम से मशहूर प्रीति जिंटा ने बिना किसी फिल्मी बैकग्राउंड के बाद भी बौलीवुड में ऐक्टिंग की छाप छोड़ी. वे इतनी बोल्ड और मुखर थीं कि कैरियर के शुरुआती दिनों में ही अंडरवर्ल्ड से पंगा ले लिया. प्रीति ने छोटा शकील के खिलाफ कोर्ट में गवाही दी थी. 2005 में वे बौंबे डाइंग के उत्तराधिकारी नेस वाडिया के साथ रिश्ते में आईं. लंबे समय तक रिश्ते में रहने के बाद फिर एक दिन दोनों के ब्रेकअप की खबर सामने आ गई. 13 जून, 2014 को प्रीति ने अपने ऐक्स बौयफ्रैंड नेस वाडिया पर अपने साथ छेड़छाड़ करने, गालियां देने और आईपीएल मैच के दौरान धमकी देने के आरोप लगाए थे.

युक्ता मुखी प्रिंस तुली

युक्ता मुखी ने 1999 में मिस इंडिया और मिस वर्ल्ड का खिताब जीता. फिर वहां से उन के लिए बौलीवुड का दरवाजा खुला. हालांकि वे बौलीवुड में सफलता हासिल नहीं कर पाईं. 2008 में युक्ता ने न्यूयौर्क बेस्ड बिजनैसमैन प्रिंस तुली से शादी कर ली. लेकिन दोनों की शादी 5 साल से ज्यादा नहीं टिकी. 2013 में युक्ता ने मुंबई में पति प्रिंस तुली के खिलाफ घरेलू हिंसा का केस दर्ज कराया. एफआईआर में मारपीट, दहेज प्रताड़ना, अननैचुरल सैक्स जैसी बातें कही गईं. बात कोर्ट तक पहुंची. फिर दोनों ने सहमति से तलाक ले लिया. दोनों का 1 बेटा है जिस की कस्टडी युक्ता के पास ही है.

सोचने वाली बात है कि यदि बोल्ड और ग्लैमरस ऐक्ट्रैसेस को इस का शिकार होना पड़ता है तो फिर सामान्य घरेलू या कामकाजी महिलाओं के साथ क्या होता होगा.

‘नैशनल फैमिली हैल्थ रिपोर्ट’ के मुताबिक हर 3 में से 1 महिला घरेलू हिंसा की शिकार है. रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में महिलाओं पर घरेलू हिंसा के केस बढ़े हैं. भारत में 59% महिलाओं को बाजार, हौस्पिटल या गांव से बाहर जाने की इजाजत नहीं मिलती है. 79% महिलाएं पति के जुल्म चुपचाप सहती हैं.

देश में महिलाओं की उम्र बढ़ने के साथ ही उन पर घरेलू हिंसा भी बढ़ती जाती है. 18-19 साल की 17% महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार हैं, जबकि 40 से 49 साल की 32% महिलाओं को यह दंश ?ोलना पड़ रहा है. एनएफएचएस जेड की रिपोर्ट के अनुसार, 79.4% महिलाएं कभी अपने पति के जुल्मों की शिकायत नहीं करतीं.

सैक्सुअल हिंसा के केस में तो 99.5% महिलाएं चुप्पी साध लेती हैं. जिन के पति अकसर शराब पीते हैं ऐसी 70% महिलाओं हिंसा झेलती है. 23% महिलाएं ऐसी भी हैं जिन के पति शराब नहीं पीते फिर भी हिंसा का शिकार होती हैं. शहरों के मुकाबले गांवों में घरेलू हिंसा ज्यादा होती है.

देश के 22 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में किए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के मुताबिक महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा के मामलों में सब से बुरा हाल कर्नाटक, असम, मिजोरम, तेलंगाना और बिहार का है, जहां 30% से अधिक महिलाओं को अपने पति द्वारा शारीरिक और यौन हिंसा का सामना करना पड़ा है.

मगर गौर करने की बात यह है कि भारत में वैवाहिक हिंसा की शिकार सिर्फ पत्नियां ही नहीं हैं, 10% पति भी हिंसा के शिकार हो रहे हैं. एनएफएचएस सर्वे से यह खुलासा हुआ है.

एनएफएचएस के सर्वे में यह भी खुलासा हुआ है कि देश की 45% महिलाएं मानती हैं कि अगर पत्नियां अपने कर्तव्य ठीक से नहीं निभाती हैं तो उन पर घरेलू हिंसा जायज है, जबकि 44% पुरुष इस से सहमत दिखे. सैक्स सो से मना करने पर भी महिलाएं ही सब से अधिक महिलाओं की पिटाई के पक्ष में हैं.

घरेलू हिंसा के कारण

घरेलू हिंसा अकसर उसी के साथ होती है जो कमजोर है या जिसे सहने की आदत हो. महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा का मुख्य कारण यह मानसिकता है कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में शारीरिक और भावनात्मक रूप से कमजोर होती हैं. सामान्यतया महिला का आर्थिक रूप से पति या परिवार पर निर्भर होना इस की मुख्य वजह बनता है.

घरेलू हिंसा के मामलों के बारे में जानकारी न होना भी इस का एक बड़ा कारण है. इसी वजह से सही मेल न होने का नतीजा यह होता है कि कभी दहेज के नाम पर तो कभी शक के आधार पर पति उस पर हाथ उठाने लगते हैं. घर वाले भी उस के कामों में कमियां गिनाते हुए उसे टौर्चर करने लगते हैं.

मायके से पैसे मंगवाने से इनकार करने, पति के साथ बहस करने, उस के साथ यौन संबंध बनाने से इनकार करने, बच्चों की उपेक्षा करने, पति को बताए बिना दोस्त से मिलने के लिए घर से बाहर जाने, स्वादिष्ठ खाना न बनाने जैसी तोहमतें लगा कर उस के साथ मारपीट की जाती है. कभीकभी विवाहेतर संबंध होना, ससुराल वालों की देखभाल न करना या बां?ापन भी परिवार के सदस्यों द्वारा उस पर हमले का कारण बनता है. अगर कामकाजी है तो उस की तरक्की भी इस की वजह बन सकती है.

घरेलू हिंसा का एक बड़ा कारण शराब भी है. एक व्यक्ति जब नशे की हालत में होता है तो उसे पता नहीं होता कि वह क्या कर रहा है. अगर लोग शराब पीना छोड़ दें तो घरेलू हिंसा बहुत कम हो सकती है. तालमेल का अभाव भी घरेलू रिश्ते में दरार बढ़ाता है. इस के लिए आपसी भरोसा होना आवश्यक है, जो रिश्ते में मजबूत स्तंभ का काम करता है.

ज्यादातर औरतों को लगता है कि पुरुषों से पिटना औरतों की नियति है. यही वजह है कि घरेलू हिंसा के मामले अधिकतर तो रिपोर्ट ही नहीं होते. इस हिंसा के वही मामले रिपोर्ट होते हैं जिन में हिंसा गंभीर किस्म की होती है. पत्नी के साथ घर में मारपीट, प्रताड़ना और समान रूप से व्यवहार नहीं होना घरेलू हिंसा है. लेकिन इसे रिपोर्ट नहीं किया जाता. ऐसे मामले मैट्रो शहरों में तो सामने आ जाते हैं, लेकिन छोटे शहरों, कसबों और गांवों से इस तरह के मामले रिपोर्ट नहीं होते.

समाज का रवैया भी एक महत्त्वपूर्ण कारक है. पति या परिवार की शिकायत ले कर पुलिस में जाने वाली महिला को समाज में अच्छी नजरों से नहीं देख जाता. फिर भी वह शिकायत करती है तो अकसर उसे कोई समर्थन नहीं मिलता और वह अकेली पड़ जाती है. इस के बाद उस के पास सम?ाता करने के सिवा कोई रास्ता नहीं होता.

महिलाओं के खिलाफ अपराधों में दंड दिए जाने की दर महज 23.7% है. वहीं इस तरह के मामलों के लंबित होने का प्रतिशत 91.2 है. इस का कारण विशेष अदालतों की कमी, पुलिस जांच में ढिलाई, गवाहों का सामने नहीं आना, समाज का नकारात्मक रुख और अदालतों का दूर होना है.

घरेलू हिंसा कानून में कहा गया है कि

3 दिनों के अंदर मामले की सुनवाई होगी और

60 दिनों के अंदर अंतिम आदेश आएगा. लेकिन असल में तो पहली सुनवाई के लिए ही महीनों लग जाते हैं. अंतिम आदेश आने में सालों निकल जाते हैं. मुकदमे लंबे चलते हैं, इसलिए वे थक कर पीछे हट जाती हैं.

महिलाओं को मैडिकल टैस्ट की जानकारी नहीं होती. वे समय रहते टैस्ट नहीं कराती हैं, जिस से हिंसा के सुबूत ही नहीं मिल पाते हैं.

घरेलू हिंसा के प्रभाव

यदि किसी महिला ने अपने जीवन में घरेलू हिंसा का सामना किया है तो उस के लिए इस डर से बाहर आ पाना अत्यधिक कठिन होता है. लगातार काफी समय तक घरेलू हिंसा का शिकार होने के बाद व्यक्ति की सोच में नकारात्मकता हावी हो जाती है. इस से पीडि़त व्यक्ति अकसर या तो अपना मानसिक संतुलन खो बैठता है या फिर अवसाद का शिकार हो जाता है.

जिन लोगों पर हम इतना भरोसा करते हैं और जिन के साथ रहते हैं जब वही हमें इस तरह का दुख देते हैं तो व्यक्ति का रिश्तों पर से विश्वास उठ जाता है और वह स्वयं को अकेला कर लेता है. कई बार इस स्थिति में लोग आत्महत्या तक कर लेते हैं.

जिस घर में घरेलू हिंसा होती है या जिन बच्चों के साथ ऐसा होता है वे अपने पिता से गुस्सैल व आक्रामक व्यवहार सीखते हैं. ऐसे बच्चों को अन्य कमजोर बच्चों व जानवरों के साथ हिंसा करते हुए देखा जा सकता है. वहीं बेटियां दब्बू, चुपचुप रहने वाली या परिस्थितियों से दूर भागने वाली बन जाती हैं.

समाधान के उपाय

हमारे समाज में जिस तरह लड़कों में बचपन से मर्दानगी की भावना भरी जाती है और उसी के ओट में वे अपनी पत्नियों पर हाथ आजमाते हैं, यह निहायत ही निंदनीय मानसिकता है. अब समय आ गया है कि लड़कों को रुलाने वाला न बना कर सुरक्षा देने वाला पिलर बनाया जाए. उन के मन में बचपन से उदारता और औरतों के लिए इज्जत की भावना विकसित की जाए ताकि बड़ा हो कर वे पत्नियों को इज्जत दे सकें.

कुरीतियों को खत्म करें

घरेलू हिंसा पर रोक लगाने के लिए महिलाओं को शिक्षित करना एक उपाय हो सकता है. इस के साथसाथ हमें उस पुरुषप्रधान सत्ता का भी अंत करना होगा जो सदियों से चली आ रही है. हमें समाज की उन कुरीतियों को दूर करना होगा जो घरेलू हिंसा को बढ़ाती हैं जैसे पुत्र न होने पर महिला की उपेक्षा की जाती है, मासिकधर्म के दौरान उस से दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता है. दहेज के नाम पर टौर्चर किया जाता है. समाज में लैंगिक समानता की सोच विकसित करना आवश्यक है.

शीघ्र न्याय जरूरी

महिलाओं की सुरक्षा व संरक्षण के लिए बने कानूनों का सफल क्रियान्वयन जरूरी है. किसी महिला का शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक या यौन शोषण किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा किया जाना जिस के साथ महिला के पारिवारिक संबंध हैं घरेलू हिंसा में शामिल है. घरेलू हिंसा पर तभी रोक लगाई जा सकती है जब अन्याय का शिकार होती महिलाओं को शीघ्र न्याय मिले.

नारी स्वावलंबन जरूरी 

जो नारियां घरेलू हिंसा की शिकार होती हैं उन्हें स्वावलंबी बनाया जाए. इस से उन में आत्मविश्वास बढ़ेगा जिस से वे किसी भी घरेलू हिंसा का मुकाबला कर सकेंगी. शिक्षित, स्वावलंबी नारी ही समाज को शक्तिशाली बना सकती है. जब लड़की अपने पैरों पर खड़ा होने लायक हो तभी उस का विवाह किया जाना चाहिए.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...