रेटिंगः दो स्टार
निर्माताः सुभास्करन अल्लिराजाह, आनंद एल राय और महावीर जैन
लेखकः पंकज मट्टा
निर्देशकः सिद्धार्थ सेन गुप्ता
कलाकारः जाह्नवी कपूर,दीपक डोबरियाल, मीता वशिष्ठ, नीरज सूद,समता सुदिक्षा,जसवंत सिंह दलाल,साहिल मेहता,सौरभ सचदेव,मोहन कंभोज और सुशांत सिंह व अन्य.
अवधिः लगभग दो घंटे
ओटीटी प्लेटफार्मः हॉटस्टार डिजनी
एक लड़की के संघर्ष को दिखाने के लिए क्या उसका ड्ग्स के कारोबार से जुड़ा होना दिखाना आवश्यक है? क्या एक लड़की के संघर्ष को दिखाने के लिए उसका पंजाब में रहने वाली पंजाबी लड़की की बजाय मूलतः बिहार निवासी लड़की पंजाब में अपनी मां के इलाज के लिए ड्ग्स के कारोबार से जोड़ना उचित कहा जाएगा या इसे लेखक का दिमागी दिवालियापन कहा जाएगा. कुछ नया परोसने के नाम पर पर एक लड़की को ड्ग्स के कारोबार से जुड़ना दिखाना जरुरी तो नही कहा जाना चाहिए. भारत जैसे देश में हर लड़की को हर कदम पर कई तरह के संघर्ष से गुजरना पड़ता है. उन संघर्षों पर बात करने की जरुरत है. मगर ब्लैक कौमेडी अपराध कथा की श्रेणी वाली फिल्म ‘गुडलक जेरी’ के लेखक ने अपनी फिल्म में लड़की जेरी के संघर्ष को दिखाने के लिए उसे पंजाब में ड्ग्स के कारोबार से जुड़ा दिखा कर ख्ुाद को महान फिल्मकार साबित करने की कोशिश की है. मगर लेखक व निर्देशक फिल्म को संभाल नही पाए.
यॅूं तो यह मौलिक फिल्म नही है. बल्कि यह 17 अगस्त 2018 को सिनेमा घर में प्रदर्शित और इन दिनों ओटीटी प्लेटफार्म ‘‘जी 5’’पर स्ट्रीम हो रही तमिल फिल्म ‘कोलामावू कोकिला’ की रीमेक है. हिंदी में इस फिल्म में कहानी के स्तर पर ज्यादा बदलाव नही किया गया है. सिर्फ बैकड्ाप को पंजाब करने के साथ ही किरदारों को थोड़ा सा हिंदी भाषी दर्शकों को ध्यान रखकर कुछ बदला गया है. इसके अलावा फिल्म का क्लायमेक्स बदल दिया गया है.
कहानीः
जेरी अपनी मां व छोटी बहन के साथ दरभ्ंागा,बिहार से पंजाब के लिए ट्रेन पकड़कर पंजाब पहुॅचती है. पंजाब में जया कुमारी उर्फ जेरी (जान्हवी कपूर) एक मसाज पार्लर में नौकरी करती है,यह बात जेरी की मां शरबती (मीता वशिष्ठ ) को पसंद नही है. जबकि जेरी की उसकी छोटी बहन छाया उर्फ चेरी(समता सुदिक्षा) पढ़ाई करती है. जेरी की मां मोमो बना व बेचकर परिवार चलाती है. घर में यह तीन महिलाएं हैं और इन्हें एकतरफा प्यार करने वाले प्रेमी भी मौजूद हैं. जेरी की मां सरबती से पड़ोसी (नीरज सूद) प्यार करते हैं और वह खुद को इस घर का सदस्य ही समझते हैं. जबकि जेरी को रिंकू (दीपक डोबरियाल) अपनी प्रेमिका मानकर चल रहा है और गाहे बगाहे घर में घुसता रहता है. तो वहीं छाया उर्फ चेरी से शादी रचाने का मन-मस्तिष्क में ख्याल लिए एक पगलैट प्रेमी अक्सर दूल्हे के कपड़े पहनकर घर के अंदर घुसता रहता है.
इसी बीच एक दिन पता चलता है कि जेरी की मां सरबती को सेकंड स्टेज लंग कैंसर है. डॉक्टर उनके इलाज के लिए 20 लाख रुपए का खर्च बताते हैं. जेरी पहले मसाज पार्लर की मालकिन से मां के इलाज के बीस लाख रूपए उधार मांगती है. जो कि वह मना कर देती है. अब जेरी व चेरी दोनों चिंता मग्न रहने लगते हैं. एक दिन जेरी व चेरी दोनों बहने शॉपिंग करने जाती है,जहां एक ड्रग्स तस्कर का पीछा करते हुए पुलिस उस शॉपिंग कॉम्पलेक्स में पहुॅच जाती है. ड्ग्स तस्कर भागता है,जो कि अचानक एक दुकान से बाहर निकलने के लिए जेरी के दरवाजा खोलने से वह तस्कर दरवाजे से टकराकर गिर जाता है. पुलिस तस्कर को पकड़कर ले जाती है,लेकिन नाटकीय तरीके से जेरी ड्ग्स सप्लायर टिम्मी के संपर्क में आती है और मां को बचाने की मजबूरी में इस धंधे में शामिल हो जाती है. उसे मां का इलाज कराने के लिए पैसे मिल जाते हैं. इस बीच दो बार वह पुलिस के चंगुल से ख्ुाद को किसी तरह बचाने में कामयाब हो जाती है. मां का इलाज हो जाने के बाद हो जाने के बाद जेरी पुलिस के झंझटो से बचने के लिए खुद को ड्ग्स के ध्ंाधे से अलग करना चाहती है. तब कया होता है,यह जानने के लिए तो फिल्म देचानी पड़ेगी.
लेखन व निर्देशनः
कमजोर कहानी व पटकथा के चलते फिल्म दर्शकों को बांधकर नही रखती. ठोस कहानी न होने के चलते फिल्म में कई दृश्यों का दोहराव भी है. फिल्म की पटकथा के चलते दर्शक ख्ुाद को ही भ्ंावर में फंसा हुआ महसूस करने लगता है. फिल्म अचानक चलते चलते ठहर सी जाती है. कई किरदार ठीक से गढ़े ही नही गए. कहानी के अंदर हास्य दृश्य अपने आप में अच्छे हैं, मगर वह फिल्म के साथ फिट नही बैठते. जेरी,उसकी मां व बहन दरभ्ंागा, बिहार से पंजाब आकर क्यों रह रहे हैं,इस पर यह फिल्म कुछ नही कहती. फिल्म का क्लायमेक्स अति घटिया है. वैसे फिल्म में एक नही कई क्लायमेक्स हैं,शायद ख्ुाद लेखक व निर्देशक ही निर्णय नहीं कर पा रहे थे कि फिल्म को किस मोड़ पर खत्म किया जाए. लेखक व निर्देशक दर्शकांे को एक नई सीख देते है कि जेरी बिहार से है,इसलिए वह ‘मै’ की जगह ‘हम ’बोलती है. वाह क्या कहने ? इससे लेखक का भारत देश के बारे में कितना ज्ञान है,वह सामने आता है. दूसरी बात जेरी के परिवार को बिहारी रखने के पीछे क्या सोच रही,यह तो लेखक व निर्देशक ही बेहतर जानते होंगे. क्या पंजाबी लड़कियां कभी किसी गलत ध्ंाधे से नही जुड़ती? पूरी फिल्म में जेरी व शरबती महज चंद संवाद ही बिहारी लहजे मे बोलती है अन्यथा बिहारी लहजे की भाषा का बंटाधार ही किया गया है.
पंजाब में ड्ग्स तस्करी बहुत बडा मुद्दा है,मगर लेखक व निर्देशक इस पर बहुत उपर उपर से ही अपनी कहानी ले जाते हैं. उन्होने साफ साफ कुछ भी कहने से बचने की कोशिश की है. वह एक तरफ एक पुलिस वाले को ड्ग तस्कर से मिला हुआ दिखाते हैं,तो वहीं दूसरे पुलिस वाले को ड्ग्स तस्कारों का सफाया करने पर आमादा दिखाते हैं. इस तरह की बातें तो तमाम फिल्मों में आ चुकी हैं. बहुत ही उथली सी फिल्म है.
एडीटिंग टेबल पर फिल्म को कसा जाना चाहिए था.
अभिनयः
जेरी के किरदार में जान्हवी कपूर हैं,जो अपने समय की मशहूर व सशक्त अदाकारा स्व. श्रीदेवी की बेटी हैं. जान्हवी कपूर ने फिल्म ‘धड़क’ से बौलीवुड में कदम रखा था,पर इस फिल्म को खास सफलता नही मिली थी. इसके बाद वह ‘गंुजन सक्सेना’ और ‘रूही’ में नजर आयीं, मगर इन फिल्मों में भी उनके अभिनय में बहुत अच्छा निखार नहीं आया था. अब इस फिल्म में भी जान्हवी कपूर अपने अभिनय से बहुत ज्यादा असर नही डाल पाती. उन्हे अपने चेहरे के भावों को घटनाक्रम के अनुरूप तेजी से बदलना सीखना पड़ेगा. जेरी के किरदार के लिए जिस तरह से उन्हे सशक्त इरादे वाली नजर आनी चाहिए,वैसी वह नही है. वह जिस तरह की सीख अपनी बहन व मां को देती है,ठीक उसके विपरीत उसके चेहरे पर भाव रहतेहैं. रोने वाले दृश्य जरुर अच्छे बन पड़े हैं. पर लंबी रेस का घोड़ा बनने के लिए जान्हवी कपूर को अभी बहुत मेहनत करने की जरुरत है. रिंकू के किरदार में दीपक डोबरियाल जरुर अपने अभिनय की छाप छोड़ जाते हैं,मगर लेखक व निर्देशक ने उनके किरदार को कुछ अजीब सा क्यों बनाया,यह समझ से परे है. शरबती के किरदार में मीता वशिष्ठ का अभिनय शानदार है. पड़ोसी के किरदार में नीरज सूद का अभिनय ठीक ठाक ही कहा जाएगा,अफसोस उन्हे पटकथा से कोई मदद नही मिली. चेरी के छोटे किरदार में समता सुदिक्षा अपने स्वाभाविक अभिनय के कारण याद रह जाती हैं. टिम्मी के किरदार में जसवंत सिंह दलाल ने बहुत स्वाभाविक अभिनय किया है. जिगर के किरदार मे साहिल मेहता भी अपनी छाप छोड़ जाते हैं. अन्य कलाकार ठीक ठाक हैं.
निर्माता ने फिल्म ‘‘गुडलक जेरी’’ को सिनेमाघरों की बजाय ओटीटी पर रिलीज करने का निर्णय कर अपने हक में फैसला किया है.
 
             
             
             
           
                 
  
           
        



 
                
                
                
                
                
                
               