अभिनेता शीजान एम खान ने मॉडलिंग से अपना करियर शुरू किया है. टीवी में उन्होंने‘कुछ तो है तेरे मेरे दरमियान’ के साथ अभिनय शुरू किया. वर्ष 2016 में, उन्होंने परवरिश – सीजन 2 में झोंटी शर्मा की भूमिका निभाई और उनके अभिनय को दर्शकों ने काफी पसंद भी किया. इसके बाद शीजान, जोधा अकबर, सिलसिला प्यार का, चंद्र नंदिनी, पृथ्वी वल्लभ और एक थी रानी एक था रावण जैसे कई लोकप्रिय टीवी शो में दिखाई दिए.शीजान फिटनेस फ्रीक है और नियमित जिम जाना पसंद करते है.

शीजान हमेशा एक अलग और चुनौतीपूर्ण भूमिका को करने में विश्वास रखते है, यही वजह है कि उन्होंने सोनी सब टीवी पर ‘अलीबाबा दास्तान ए काबुल’ में अलीबाबा की भूमिका निभा रहे है, जो चैलेंजिंग होने के साथ-साथ मजेदार भी है, जो उनके चरित्र से काफी मिलता है. हंसमुख और मेहनती शीजान ने अपने बिजी शिड्युल से समय निकाल कर बात की, जो काफी रोचक थी, पेश है कुछ खास अंश, आइये जानें.

मिली प्रेरणा

एक्टिंग में आने की प्रेरणा के बारें में पूछने पर वे बताते है कि मैंने इंडस्ट्री में आने की कोई योजना नहीं बनायी थी, लेकिन कुछ अलग काम करने की इच्छा थी, क्योंकि मैं जॉब पर्सन नहीं था, नौ से पांच बजे तक के किसी काम को मैं नहीं कर सकता था. मेरे बहन फलक नाज़ है, जो एक एक्ट्रेस है,मैं उनका काम देखता था. परिवार में दोनों ही एक्टिंग फील्ड से है. मेरी बहन पहले सरोज खान के साथ एक कोरियोग्राफर थी, बाद में उन्होंने सरोज खान के कहने पर ही एक्टिंग शुरू की है.

परिवार का मिला सहयोग

 

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शीजान कहते है कि पहले मुझे भी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ, मुझे जानने वाले किसी ने मुझे एक ऑडिशन में भाग लेने के लिए कहाँ, मैंने ऑडिशन बहुत ख़राब दिया, पर मुझे बहुत मजा आया, फिर मैंने एक्टिंग को सुधारने की प्लानिंग की. इसमें मैंने एक्टिंग की किताबे पढ़ी, कई अच्छी-अच्छी फिल्में देखी. इसके बाद मुझे टीवी शो ‘जोधा अकबर’ में अभिनय का मौका मिला. मैंने इसे बहुत ही मेहनत से निभाया, क्योंकि मेरे लिए ये एक बेहतर मौका था. परिवार का सहयोग बहुत रहा .

किया संघर्ष

 

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अभिनेता शेह्जान आगे कहते है कि मुझे संघर्ष करना पढ़ा, आज से 10 साल पहले मैंने अभिनय शुरू किया था. हम दोनों भाई-बहन ने एक दूसरे के काम में कभी दखल नहीं दिया. मुझे कभी कोई गॉडफादर नहीं मिला, इसलिए जितना भी काम किया, उसे खुद ही ढूंढ़कर किया. बिना किसी शर्म के काम मांगने भी गए. इस शो के लिए भी मैं खुद मांगने गया था, आज भी संघर्ष है, लेकिन काम में कमिटमेंट मैने हमेशा रखा है.

अलीबाबा का चरित्र है चैलेंजिंग

वे कहते है कि अलीबाबा की भूमिका सभी चरित्र से अलग है, इसमें शारीरिक, मानसिक और चरित्र की दृष्टि से बहुत चुनौतीपूर्ण है, जिसे मैं करना पसंद करता हूँ. बिना चुनौती के किसी भी भूमिका को निभाने में कोई मजा नहीं होता. इससे निकलकर आगे बढ़ना ही मेरे लिए सबकुछ है, दर्शकों का प्यार सफलता के लिए जरुरी है, अली को सब पसंद कर रहे है. इस शो को करने में मुझे शुरू में निर्देशक ने बहुत साथ दिया. उन्होंने कई वर्कशॉप रखे. अली बनने के लिए मैंने 9 साल तक जो सीखा था, उसे भुलाना पड़ा. एक्टिंग के पुराने पैटर्न को पूरी तरह से दिल से निकलना पड़ा. अली को मेरे अंदर उतारने में निर्देशक मान सिंह  ने बहुत मेहनत की, भावनाओं को मेरे अंदर उतारने में उन्होंने मेरा हाथ पकड़कर आगे लाये है. कठिन अभिनय को करने में ही सबसे अधिक ख़ुशी मुझे मिलती है.

रिलेट करना हुआ आसान

अलीबाबा की भूमिका मुझसे बहुत मिलती है, मैंने इसके नैरेशन सुनते ही माँ को कह दिया था कि ये मैं ही हूँ. ये मेरा विश्वास रहा है और मैं इसे कर पाया है.इसके अलावा अली के 5 बच्चे है और वह एक अनाथालय को चलता है. इसे लेकर मेर विजन था, कृष्णा शो के बाद मेरा हेल्थ काफी ख़राब हो गया था. वेट को बढ़ाना पड़ा, क्योंकि बाबा शब्द नाम के साथ जुड़ते ही एक जिम्मेदारी आती है और मैं वैसा दिखना भी चाहता था. चरित्र के अनुसार मैंने अपने हाव-भाव, चाल-चलन पर काफी कामकिया है. ये सब मैं रात को आईने के सामने खड़े होकर प्रैक्टिस करता था. उर्दू मैं जानता हूँ, क्योंकि घर में बोली जाती है.

ड्रीम

आगे शीजान का कहना है कि मेरी ड्रीम डायरेक्टर संजय लीला भंसाली है और ये मैं दिल से उनके साथ काम करना चाहता हूँ, क्योंकि वे एक कलाकार को पूरी तरह से निखार देते है. एक्ट्रेस अदिति पोहनकर के साथ अभिनय की इच्छा है. बचपन से मुझे फिल्में देखने का बहुत शौक है, कभी एक्टर तो कभी डायरेक्टर की नजरिये से फिल्में देखता हूँ. बहुत अधिक एन्जॉय मैं शाहरुख़ खान की फिल्मों को करता हूँ. बचपन से मैं उनकी फिल्में देख रहा हूँ.

रिजेक्शन है आवश्यक

समय मिलने पर शीजान सोते है और घरवालों के साथ समय बिताते है. रिजेक्शन का सामना उन्हें भी बहुत बार करना पड़ा , लेकिन उससे उनकी कमजोरी पता चला और उन्होंने उसपर काम किया और खुद को सुधारा. उन्हें कई बार लगा कि ये भूमिका उन्हें मिलेगी, लेकिन नहीं मिली, पर वे मायूस नहीं हुए,उन्होंने अपनी माँ की बात याद की, जो कहा करती है कि कुछ न मिलने पर मायूस न हो, बल्कि आगे कुछ अच्छा उन्हें मिलेगा. ये बातें शीजान को सुकून देती है.

दिया सन्देश

रियल लाइफ में शीजान हंसमुख है, वे किसी से कहासुनी पसंद नहीं करते, खाने-पीने के शौक़ीन है. उन्हें समुद्री बीच बहुत पसंद है और एक गिटार के साथ पूरी जिंदगी बिता सकते है. आटिज्म से ग्रसित बच्चों के लिए कुछ सोशल वर्क करना चाहते है, ताकि वे बच्चे जीवन में आत्मनिर्भर बन सकें. पेरेंट्स का सहारा उन्हें जरुरी न हो.

शीजान कहते है कि सपने पूरे करने में पेरेंट्स का सहयोग हमेशा जरुरी है. मुंबई किस्मत बनाती या बिगाडती है, इसलिए शोर्टकट न अपनाएं. पूरी धैर्य, मेहनत और लगन ही किसी को सफलता दिला सकती है.

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